नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में इफको-कलोल में निर्मित नैनो यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सहकार, गांव के स्वाबलंबन का बहुत बड़ा माध्यम है और इसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है। । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में इस दौरान कहा कि यूरिया की एक बोरी में बिजली अब एक बोतल में संकुचित हो गई है… कल्पना कीजिए कि परिवहन लागत कितनी कम हो जाएगी और छोटे किसानों को लाभ होगा। इस प्लांट की क्षमता 1.5 लाख बोतलों के निर्माण की है, लेकिन आने वाले समय में भारत में ऐसे 8 और प्लांट स्थापित किए जाएंगे। आज हम आदर्श सहकारी ग्राम की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गुजरात के छह गांवों को चिन्हित किया गया है जहां सहकारिता की पूरी व्यवस्था की जाएगी। मुझे आज नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन करते हुए खुशी हुई। उन्होंने कहा कि आज आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश पहले नैनो यूरिया प्लांट का उद्घाटन करते हुए मैं विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं। अब यूरिया की एक बोरी की जितनी ताकत है, वो एक बोतल में समाहित है। नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि भारत के किसान को दिक्कत न हो इसके लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल 1.60 लाख करोड़ रुपये की सब्सिडी फर्टिलाइजर में दी है। किसानों को मिलने वाली ये राहत इस साल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा होने वाली है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि नैनो यूरिया की करीब आधा लीटर बोतल, किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी। 7-8 साल पहले तक हमारे यहां ज्यादातर यूरिया खेत में जाने के बजाए, कालाबाजारी का शिकार हो जाता था और किसान अपनी जरूरत के लिए लाठियां खाने को मजबूर हो जाता था। 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का काम किया। इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चित हुआ। साथ ही हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में 5 बंद पड़े खाद कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरू किया। हमारे यहां बड़ी फैक्ट्रियां भी नई तकनीक के अभाव में बंद हो गई। पीएम मोदी ने कहा कि सहकार,गांव के स्वाबलंबन का बहुत बड़ा माध्यम है और इसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए गांव का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है इसलिए पूज्य बापू और सरदार साहब ने जो रास्ता हमें दिखाया उसके अनुसार हम मॉडल कॉपरेटिव गांव की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.