11 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के नए संसद भवन में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ का अनावरण किया। और संसद भवन के निर्माण कार्यों का जायेजा लिया। इस दौरान मोदी ने अशोक स्तंभ के अनावरण से पहले पूजा अर्चना की इस मौके पर संसद के सदन के निचले सदन के अध्यक्ष ओम बिरला जी और ऊपरी सदन के उपा अध्यक्ष हरिवंश जी भी मौजूद रहे।
ये विशालकाय अशोक स्तंभ नए संसद भवन की छत पर बनाया गया है।अशोक स्तंभ की यह प्रतिमा कांस्य धातु से बनाई गई है। इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है। इसका वजन 9500 किलो बताया जा रहा है। अशोक स्तंभ की इस मूर्ति को कई चरणों में बनाया गया है।
आईए जाने कौन है इस भव्य स्तंभ के वास्तुकार।
इस अशोक स्तंभ का निर्माण औरंगाबाद के मूर्तिकार सुनील देवरे की नक्कासी पर तैयार किया गया है। गौर तलब ये है की सुनील देवरे जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से स्वर्ण पदक विजेता हैं और उन्होंने अपने काम के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल की है। वही ये आपको बता दे की सुनील जी के पिता जी इस संस्थान के पूर्व छात्र थे। देवरे और उनके पिता दभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जीर्णोद्धार विभाग के लिए काम कर चुके है।
श्रमजीवियों से पीएम की बातचीत।
जैसा की हम पीएम के बारे में जानते ही है वो जिस माहोल में जाते है वही के हो जाते ऐसा ही कुछ अशोक स्तंभ के अनावरण के बाद पीएम ने किया। अनावरण के बाद पीएम मोदी ने संसद भवन के निर्माण कार्य में लगे श्रमजीवियों से बात की और उनके हाल चाल जाने। इस मौके को पीएम ने वीडियो के द्वारा साझा किया।अपने ट्विटर अकाउंट पर पीएम ने श्रमजीवियों से हुई मुलकात का वीडियो शेयर किया है। पीएम ने करीब दो मिनट तक लोगों से बातचीत बातचीत को नए भारत के उदय का अस्तित्व बताया।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पीएम मोदी की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। जिसके लिए पीएम ने पहले ही संकप्ल लिया था। और आने वाले दिनों में जल्द ही ये संकल्प सिद्धी ले लेगा। इस संकल्प के तहत एक नए संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण किया जा रहा है। इसमें प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण हो रहा है। सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितम्बर 2019 में की गई थी। वही इसकी आधारशिला 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्वारा रखी गई थी। इसी परियोजना के तहत एक नए संसद भवन का निर्माण हो रहा है।
सेंट्रल विस्ता प्रोजेक्ट का हिस्सा है अशोक स्तंभ।
ये बात गौरतलब है की अशोक स्तंभ इसकी सेंट्रल विस्टा का ही एक हिस्सा है। इसका निर्माण संसद भवन की छत पर दिया गया है। और अब तक सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का पहला काम जो पूरा हुआ है वो ये अशोक स्तंभ ही है।
ओम बिरला बोले अगले शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में होगा।
मीडिया के बात करते हुए लोक सभा स्पीकर ने बताया की अगर सब ठीक रहा तो अगला शीत कालीन सत्र नए संसद भवन होगा। और ये आधुनिक सुविधाओ से लेश होगा। मीडिया से बात करते हुए स्पीकर उत्साहित दिखे।
आईए जानते है एक अलग अशोक स्तंभ के बारे में।
शायद आप अशोक स्तंभ को चार मुंह वाला शेर के साथ ही देखा और जानते होंगे। भारत में अशोक स्तंभ जो प्रथम माना जाता है वो वैशाली शहर में स्थित है। गौरतलब ये है की इस अशोक स्तम्भ के शीर्ष सिर्फ केवल एक ही शेर है। जो एक बौद्ध मठ के पास ही बना हुआ है। वहीं इसके पास स्तंभ बगल में ईंट से बना एक स्तूप और एक तालाब है, जिसे रामकुंड के नाम से जाना जाता है। वैशाली स्तिथ यह स्तम्भ अशोक के अन्य दूसरे स्तम्भों से बिलकुल अलग है क्योंकि इस स्तम्भ के शीर्ष पर केवल एक ही शेर है जिसका मुंह उत्तर दिशा की ओर है। जो बुद्ध की अपनी अंतिम यात्रा को दर्शाता है। इस अशोक स्तंभ की ऊंचाई यह 18.3 मीटर ऊँचा जिसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है।
अशोक स्तंभ कब बना रराष्ट्रीय प्रतीक चिह्न।
जब भारत का संविधान लागू हुआ। तब उसके साथ साथ ही भारत के विभिन्न चिन्हों को भी राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली। इन्ही चिन्हों में से एक उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ के सिंहों को 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में मान्यता मिली थी। इसमें दहाड़ते हुए सिंह धर्म चक्र प्रवर्तन के रूप में दृष्टिमान हैं। बुद्ध ने वर्षावास समाप्ति पर भिक्षुओं को चारों दिशाओं में जाकर लोक कल्याण हेतु ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’ का आदेश दिया था, जो आज सारनाथ के नाम से विश्विविख्यात है।