राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति है उन्होंने 15वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। आज स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या उन्होंने देश को अपना पहला संबोधन दिया। उन्होंने देश के नागरिकों को 75वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दी। राष्ट्रपति ने अपने पहले संबोधन में कोरोनावायरस से जूझ रहे भारत तथा अन्य देशों की बात की जिसमें उन्होंने यह बताया कि भारत ने कोरोना महामारी से अच्छी तरह लड़ाई की है और भारत के अर्थव्यवस्था बाकी देशों के मुकाबले अपनी सही गति पर है। द्रौपदी मुर्मू ने महिला अधिकार से लेकर आदिवासी समुदाय, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
आइए आपको बताते हैं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने पहले संबोधन में किन-किन विषयों पर देश को अपना पहला संदेश दिया-
कोरोनावायरस महामारी-
कोरोना महामारी के विषय पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत कोरोना संकट से उबर पाने में काफी सक्षम रहा। हमने देश में बनी वैक्सीन सेना सिर्फ अपने लोगों की जान बचाई बल्कि मानवता की रक्षा के लिए विदेशों में भी वैक्सीन भेजी। मानव इतिहास का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुआ जो अभी तक सफलतापूर्वक चल रहा है। हमने देश में बनी वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने 200 करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां दुनिया के विकसित देशों से बेहतर रही है।
नागरिकों के नाम संबोधन-
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज देश को अपना पहला संबोधन दिया उन्होंने नागरिकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे संविधान में मूल अधिकार और मूल कर्तव्यों का जिक्र है। सभी नागरिकों को अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जरूर जानकारी होनी चाहिए तथा पर उनका पालन भी करें जिससे हमारा राष्ट्र नई बुलंदियों को छू सके। हमें अपने अधिकारों से ज्यादा अपने कर्तव्यों पर ध्यान देना चाहिए। ताकि आत्मनिर्भर भारत के लिए हर नागरिक समर्पित रहे आज देश में स्वास्थ्य शिक्षा और अर्थव्यवस्था जैसे सभी क्षेत्रों में अच्छे परिवर्तन नजर आए हैं। उन्होंने कहा सरकार का और सिविल सोसाइटी का उद्देश्य है कि सभी वंचित जरूरतमंद लोगों के जीवन में सुधार लाएं तथा उन तक विकास की योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा सके।
उन्होंने नागरिकों से संकल्प लेने के लिए भी कहा जिसमें राष्ट्रपति ने कहा कि यह देश हमारा है और इसकी सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि हमारी जिम्मेदारी है।इसलिए हर नागरिक को जल, जंगल, जमीन, धरती पर्यावरण इन सभी चीजों का संरक्षण करने का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए क्योंकि यह सब हमारी ही मातृभूमि का दिया हुआ है हमारे इस देश का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए हम सभी को जल जंगल जमीन धरती पर्यावरण की सुरक्षा करनी चाहिए।
महिलाओं के नाम संबोधन
अपने संबोधन में विचार पेश करते वक्त राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में महिलाओं के बारे में भी अपने विचार रखें। जिसमें राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकांश लोकतांत्रिक देशों में महिलाओं को मताधिकार हासिल करने के लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी जबकि भारत में गणतंत्र की शुरुआत से ही सार्वभौमिक व्यस्त मताधिकार को अपनाया इससे शुरुआत से ही महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।
राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण की बात करते हुए कहा कि बेटियां फाइटर पायलट से लेकर स्पेस साइंटिस्ट तक बनी है। उन्हें मौका मिलने पर उन्होंने अपना शानदार प्रदर्शन किया है तथा हर ऊंचाइयों को भी हासिल किया है। आज हमारे देश की बेटियां फाइटर पायलट से लेकर स्पेस साइंटिस्ट तक हर काम में अपना परचम लहरा रहे हैं। हमारे देश की महिलाएं अधिक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही है सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी हमारी पंचायत राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या 14 लाख से भी ज्यादा है।
आदिवासी समुदाय के नाम संबोधन-
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी समुदाय से आती है उन्होंने कहा कि भारत की मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़े बड़ी है साथ-साथ समृद्ध भी हुई है लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में दुनिया की मदद करने का श्रेय भारत को दिया जा सकता है। हम भारतीयों ने संदेह जताने वालों को गलत साबित किया है। साथ ही राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय सरकार ने लिया है जो कि एक बहुत ही स्वागत योग्य कदम है हमारी जनजाति महानायक सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे।