भारती संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए और प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति 12 लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करते है। इसी कड़ी में आज उन्होंने चार को मनोनित किया। इन चार लोगो में सबसे ज्यादा चर्चित नाम है उड़न पारी पी टी उषा का। इसके अलावा 3 अन्य लोगों को भी नामांकित किया गया है उनमें इलैयाराजा, वीरेंद्र हेगड़े और केवी विजयेंद्र प्रसाद हैं। सभी दक्षिण भारतीय राज्यों से हैं।
पीएम ने दी बधाई।
इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सोशल मीडिया पर पूर्व ओलंपिक ट्रैक एंड फील्ड एथलीट पीटी उषा को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर बधाई दी। पीएम मोदी ने पीटी उषा के साथ एक तस्वीर साझा की और कहा, “उल्लेखनीय पीटी उषा जी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा हैं। खेलों में उनकी उपलब्धियों को व्यापक रूप से जाना जाता है, लेकिन पिछले कई वर्षों में नवोदित एथलीटों का मार्गदर्शन करने के लिए उनका काम भी उतना ही सराहनीय है।”
परोपकारी और धर्मस्थल मंदिर के प्रशासक वीरेंद्र हेगड़े और प्रसिद्ध पटकथा लेखक वी विजयेंद्र प्रसाद को भी भारतीय संसद के उच्च सदन के लिए नामित किया गया है। इसी के साथ पीएम मोदी इलैयाराजा और अन्य को संसद के उच्च सदन में नामांकन के लिए बधाई देने के लिए अलग-अलग ट्वीट साझा किए।
आईए जानते है क्या है राज्यसभा?
राज्यसभा अपने नाम के अनुरूप ही राज्यों का एक सदन होता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से राज्य के लोगों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है, जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाते हैं और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं।
राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किये जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होते हैं, जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होता है।
राज्यसभा के सदस्यों के लिए क्या शर्ते है जरूरी।
- व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- 30 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- किसी लाभ के पद पर न हो।
- विकृत मस्तिष्क का न हो।
यदि संसद विधि द्वारा कुछ और अर्हताएँ निर्धारित करे तो यह ज़रूरी है कि उम्मीदवार उसे भी धारण करे। ध्यातव्य है कि राज्यसभा, लोकसभा के निर्णयों की समीक्षा करने और सत्तापक्ष के निरंकुशतापूर्ण निर्णयों पर अंकुश लगाने में सहायता करता है।
कैसे होता है राज्यसभा के सदस्यों का चयन?
राज्यसभा सदस्यों के चयन की प्रक्रिया। नियमों के अनुसार, केवल राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य ही राज्यसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं। राज्य के विधायक प्रत्येक दो वर्ष में छह वर्ष के कार्यकाल के लिये राज्यसभा हेतु सदस्यों का चयन करते हैं। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा एक निरंतर चलने वाली संस्था है, यानी यह एक स्थायी संस्था है और इसका विघटन नहीं होता है, किंतु इसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष सेवानिवृत्त होते हैं।
इसके अतिरिक्त इस्तीफे, मृत्यु या अयोग्यता के कारण उत्पन्न होने वाली रिक्तियों को उपचुनावों के माध्यम से भर जाता है, जिसके पश्चात् चुने गए लोग अपने पूर्ववर्तियों के शेष कार्यकाल को पूरा करते हैं। नियमों के अनुसार, राज्यसभा चुनाव के लिये नामांकन दाखिल करने हेतु न्यूनतम 10 सदस्यों की सहमति अनिवार्य है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(4) के अनुसार, राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्त्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के आधार पर होता है।अन्य शब्दों में कहें तो एक या एक से अधिक दलों से संबंधित सांसदों का एक दल अपनी पसंद के सदस्य का चुनाव कर सकता है, यदि उनके पास अपेक्षित संख्याएँ हों तो।
एकल संक्रमणीय मत प्रणाली में मतदाता एक ही वोट देता है, किंतु वह कई उम्मीदवारों को अपनी प्राथमिकता के आधार पर वोट देता है। अर्थात् वह बैलेट पेपर पर यह बताता है कि उसकी पहली वरीयता कौन है और दूसरी तथा तीसरी वरीयता कौन है।
एक उम्मीदवार को जीतने के लिये पहली वरीयता के वोटों की एक निर्दिष्ट संख्या की आवश्यकता होती है।
यदि पहले दौर की मतगणना में एक से अधिक उम्मीदवार निर्दिष्ट संख्या प्राप्त करने में विफल रहते हैं तो दूसरे दौर की मतगणना की जाती है।
क्या है अभी राज्यसभा के सदस्यों की संख्या।
वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। जिसमें से 233 दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेशों को मिला कर अन्य राज्यों के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामित किए गए हैं