देशभर में VIVO सहित कई चीनी कंपनियों पर छापा पड़ गया है! प्रवर्तन निदेशालय की ओर से मंगलवार को बड़ी कार्रवाई की गई है। जानकारी के मुताबिक, यूपी, एमपी व बिहार समेत दक्षिणी राज्यों के 40 ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है।चीनी स्मार्टफोन मोबाइल निर्माता वीवो व उससे संबंधित कंपनियों के खिलाफ मंगलवार को ईडी की ओर से बड़ी कार्रवाई की गई। ईडी की टीम ने देशभर में वीवो व उससे संबंधित कंपनियों के 44 ठिकानों पर छापेमारी की। जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में ईडी की ओर से यह कार्रवाई की गई है।
जानकारी के मुताबिक, यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत की गई है। अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी जारी है और जरूरी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। इस मामले में सीबीआई भी जांच कर रही है। बता दें, चाइनीज फर्म पहले से ही भारतीय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं।
इससे पहले मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का गुरुग्राम स्थित एचएसबीसी बैंक का खाता अटैच कर राज्य वस्तु एवं सेवाकर (एसजीएसटी) विभाग ने 220.13 करोड़ रुपये की वसूली की है। साल 2020 में नियमों का उल्लंघन कर रिटर्न दाखिल करने के दौरान 110.06 करोड़ रुपये अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
फरवरी से सितंबर 2020 तक कंपनी की ओर से दाखिल की गई जीएसटी रिटर्न की जांच कराई गई थी। डाटा मूल्यांकन के आधार पर पता चला कि दाखिल रिटर्न से 110.06 करोड़ रुपये अधिक का आईटीसी क्लेम किया गया है। अनियमितता के आधार पर सेक्टर ऑफिसर की ओर से कंपनी को धारा-74 के अंतर्गत नोटिस जारी किया गया था। विधि अनुरूप नोटिस का जवाब न मिलने पर उपायुक्त खंड-2 गौतमबुद्ध नगर जितेंद्र प्रताप सिंह ने कंपनी के खिलाफ 7 अप्रैल 2021 को आदेश जारी कर आईटीसी की राशि के साथ उतनी ही जुर्माना राशि मिलाकर 220.13 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश जारी किया था। आदेश के खिलाफ कंपनी उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की थी, लेकिन न्यायालय की तरफ से कोई राहत नहीं मिली! जांच एजेंसी ने कुछ समय पहले FEMA के तहत Xiaomi के एसेट्स सीज किए थे। हालांकि, कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। अब एक मामले में चीनी मोबाइल कंपनियां भारत में आईटी और ईडी के रडार पर हैं। ईडी ने उसी मामले में 40 ठिकानों पर छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि, इस मामले में सीबीआई पहले से जांच कर रही है।केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देश में फिलहाल 92 चीनी कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 80 कंपनियां वे हैं जो सक्रिय रूप से कारोबार करती हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में स्मार्टफोन बाजार करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का है. इसमें 70 फीसदी हिस्सेदारी सिर्फ चीनी कंपनियों की है. वहीं, भारत में टीवी का मार्केट करीब 30 हजार करोड़ रुपये का है. इसमें भी चीन की कंपनियों की काफी बड़ी हिस्सेदारी है. आंकड़ों के मुताबिक स्मार्ट टीवी के बिजनेस में करीब 45 फीसदी हिस्सेदारी चीनी कंपनियों की है! चीनी कंपनियों के खिलाफ अमेरिका भी एक्शन ले चुका है. बीते नवंबर महीने में चीन की करीब 13 कंपनियों पर अमेरिकी सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था. साथ ही इन कंपनियों को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया गया. सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया कि ये कंपनियां चीनी सेना को उनके मिलिट्री एप्लिकेशन में मदद करने के लिए अमेरिकी मूल के सामान को हासिल करने की कोशिश करती हैं. एक दिन पहले मंगलवार, 21 दिसंबर को खबर आई थी कि नेपाल ने भी चीन की कई कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया है! एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में स्मार्टफोन बाजार करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का है. इसमें 70 फीसदी हिस्सेदारी चीनी की कंपनियों के प्रोडक्ट का है.
वहीं, भारत में टेलीविजन का मार्केट करीब 30,000 करोड़ रुपये का है. इसमें चीन की कंपनियों की स्मार्ट टीवी की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है. नॉन स्मार्ट टीवी की हिस्सेदारी करीब 10 फीसदी है! इससे पहले मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का गुरुग्राम स्थित एचएसबीसी बैंक का खाता अटैच कर राज्य वस्तु एवं सेवाकर (एसजीएसटी) विभाग ने 220.13 करोड़ रुपये की वसूली की है। साल 2020 में नियमों का उल्लंघन कर रिटर्न दाखिल करने के दौरान 110.06 करोड़ रुपये अधिक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ लेने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
चीन समर्थित अलग-अलग तीन कंपनियों- चीन सीएमसी इंजीनियरिंग कंपनी, नॉर्थवेस्ट सिविल एविएशन एयरपोर्ट कंस्ट्रक्शन ग्रुप और चाइना हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी को विभिन्न अपराधों में संलिप्त पाए जाने के बाद ब्लैकलिस्ट कर दिया है.
इसके अलावा अमेरिका नवंबर में चीन की करीब 13 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा चुका है. इन कंपनियों को अमेरिकी कारोबार करने से पूरी तरह रोक दिया गया है. इन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है.
अमेरिका की ओर से जारी बयान में बताया गया था कि ये कंपनियां चीनी सेना को उनके मिलिट्री एप्लिकेशन में मदद करने के लिए अमेरिकी ऑरिजिन की वस्तुओं को हासिल करने की कोशिश कर रही थी.
आपको बता दें कि चीनी कंपनियों पर पहले भी चीन की सेना की मदद करने का आरोप लग चुका है. कुछ कंपनियों पर पूर्व चीन की सेना के लिए जासूसी करने के भी आरोप भी लगे हैं!