पोस्टिंग को हमारे पुराणों में काफी महत्वपूर्णता प्रदान की गई है! पुरुषों को जायफल के बारे में शायद अधिक जानकारी ना हो, लेकिन महिलाएं जायफल के बारे में जरूर जानती होंगी। जायफल का इस्तेमाल अनेक अवसर पर किया जाता है। कभी मसाले के रूप में तो कभी बच्चों की मालिश करने के लिए। जायफल के तेल का उपयोग साबुन बनाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में जायफल के फायदे से संबंधित बहुत सारी जानकारी दी गई है।
पतंजलि के अनुसार, जायफल का प्रयोग शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। रोगी जायफल का इस्तेमाल कर अपनी बीमारी की रोकथाम कर सकता है। कई बीमारियों का उपचार कर सकता है। इसके अलावा बच्चों के लिए भी जायफल के अनेक फायदे बताए गए हैं। आइए जायफल से होने वाले सभी लाभ के बारे में जानकारी लेते हैं।जायफल का वृक्ष हमेशा हरा रहने वाला और सुगन्धित होता है। वृक्ष के तने शयामले रंग के होते हैं, जिसमें बाहर छिद्र होता है। अन्दर लाल रंग के द्रव्य होते हैं। इसके पत्ते लम्बे और भालाकार होते हैं। इसके फूल छोटे-छोटे, सुगंधित और पीले-सफेद रंग के होते हैं। यह गोलाकार, अण्डाकार लाल और पीला रंग का होता है। फल पकने पर दो भागों में फट जाता है, जिसमें से जायफल निकलता है।
जायफल को चारों ओर से घेरे हुए लाल रंग का कड़ा मांसल कवच होता है, जिसे जावित्री‘ कहते हैं। यह सूखने पर अलग हो जाता है। इसी जावित्री के अन्दर जायफल होता है। यह अण्डाकार, गोल और बाहर से शमायला रंग का सिकुड़ा हुआ, और तीव्र गन्धयुक्त होता है।जायफल और मायाफल के बराबर-बराबर चूर्ण को धीमी आग पर भून लें। इसमें बारह भाग मिश्री मिला लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह दूध के साथ बच्चों को सेवन कराएं। इससे बच्चों के बल की वृद्धि होती है। बच्चों के रोगों ठीक होते हैं।
ऐसा प्रायः देखा जाता है कि माताएं जब छोटे बच्चों को दूध पीना छुड़ाना चाहती हैं तो बच्चे आसानी से दूध नहीं छोड़ते हैं। ऐसी स्थिति में जायफल आपके काम आ सकता है। बच्चों को दूध पीना छुड़ाने के लिए जायफल का प्रयोग करना चाहिए। यह लाभ देता है। उपयोग के बारे में किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर पूछ लें।
कई लोगों को सेक्सुअल पॉवर की कमी होने की शिकायत रहती है। ऐसे लोग पुरुषत्व (मर्दाना ताकत) को बढ़ाने के लिए जायफल का इस्तेमाल कर सकते हैं। जायफल, अकरकरा, जायफल, जावित्री, इलायची, कस्तूरी और केसर को दूध में पका लें। इस दूध में मिश्री मिलाकर पिएं। इससे पौरुष शक्ति (पुरुषत्व) की वृद्धि होती है।
मुंह के छाले को ठीक करने के लिए ताजे जायफल के रस को पानी में मिलाकर कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।जायफल को पीसकर शहद मिला लें। इसे चेहरे पर लगाने से चेहरे के दाग और धब्बे मिटते हैं।
जावित्री और जायफल के बारीक चूर्ण को पानी में घोलकर लेप करने से चेहरे की झाईयाँ मिट जाती हैं।
प्रायः सर्दी के मौसम में हाथों और पैरों की त्वचा फट जाया करती है। इसमें जायफल को जल में घिसकर पैरों में लेप करें। इससे बिवाइयां ठीक हो जाती हैं।
बराबर-बराबर भाग में कूठ, कमल, जावित्री और जायफल के चूर्ण लें। इसकी 500 मिग्रा की गोली बनाकर चूसें। इससे मुंह से दुर्गंध आने की परेशानी ठीक हो जाती है।जायफल के तेल में भिगोयी हुई रूई के फाहे को दांतों में रखें। आपको दांत में दबाकर रखना है। इससे दांत के दर्द से आराम मिलता है, जायफल के छिलके को वनफ्सा के तेल में पीस लें। इसे 1-2 बूंद नाक में डालने से आधासीसी (अधकपारी) के दर्द में आराम मिलता है।
खांसी का इलाज करने के लिए 500 मिग्रा जातिफलादि चूर्ण में मधु (शहद) मिलाकर सेवन करें। इससे खांसी, साँस का फूलना, भूख ना लगना, टीबी की बीमारी, और वात-कफ विकार के कारण होने वाली सर्दी-जुकाम में फायदा होता है।
बराबर-बराबर भाग में कंकोल, देवदारू, दालचीनी, सेंधा नमक, बेल, मरिच, जायफल, जीरक-द्वय और जावित्री लें। इनका बारीक चूर्ण कर लें। इसमें मातुलुंग नींबू का रस मिलाकर 250 मिग्रा की गोलियाँ बना लें। इसका सेवन करने से अरुचि (भूख का बढ़ना) और दस्त की परेशानी ठीक होती है। जायफल को पानी में घिसकर पिलाने से जी मिचलाना ठीक होता है।
बराबर-बराबर भाग में जायफल और सोंठ (500 मिग्रा) लें। इसे जल में घिसकर सेवन करने से दस्त ठीक हो जाता है। इस दौरान स्वस्थ भोजन करना जरूरी है।
दस्त पर रोक लगाने के लिए जायफल को घिसकर नाभि में लेप करें। इससे दस्त की गंभीर बीमारी भी तुरंत ठीक हो जाती है।
दस्त को ठीक करने के लिए जायफल, लौंग, सफेद जीरा और सुहागा के 1 ग्राम चूर्ण में मधु और मिश्री मिलाकर सेवन करें। इससे दस्त की गंभीर बीमारी ठीक हो जाती है।
इसी तरह 1-2 जातीफलादि वटी को सुबह और शाम छाछ के साथ सेवन करने से सभी तरह के दस्त ठीक हो जाते हैं।
500 मिग्रा जायफल (jayfal) चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से पेट की गैस और दस्त की समस्या से आराम मिलता है।
उल्टी और दस्त की बीमारी में 500 मिग्रा जायफल के चूर्ण में घी और खांड मिलाकर चाटें। इससे लाभ होता है।