ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद ऋषि सुनक नए प्रधानमंत्री बनने की कतार में है! ब्रिटिश प्रधानमंत्री की रेस में ऋषि सुनक और लिज ट्रूस दो ही दावेदार बचे हैं जिनके बीच सोमवार को बीबीसी पर लाइव डिबेट होगी। इसी शुक्रवार से दोनों उम्मीदवार पूरे देश में टोरी पार्टी के सदस्यों के बीच अपने लिए वोट मांगेंगे। जिसके बाद टोरी पार्टी के 160000 सदस्य अपने नेता के लिए डाक के जरिए वोट डालेंगे। इन डाक मतपत्रों की गिनती कर 5 सितंबर को विजेता की घोषणा की जाएगी।ऋषि सुनक ने बुधवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ के अंतिम चरण में जगह बना ली। सुनक ने टोरी सांसदों (कंजर्वेटिव पार्टी) के पांचवें और अंतिम दौर के मतदान में 137 मतों से जीत हासिल की। अब फाइनल में उनका मुकाबला विदेश मंत्री लिज ट्रूस के साथ होगा। इसके बावजूद ब्रिटेन के चुनाव पर पैनी नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि ऋषि सुनक के लिए 10 डाउनिंग स्ट्रीट की राह आसान नहीं रहने वाली है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ऋषि सुनक को अब टोरी सदस्यों के बीच बहुत कठिन मतदान का सामना करना पड़ेगा। हाल के सर्वेक्षणों के आंकड़े बता रहे हैं कि टोरी सदस्यों की वोटिंग में लिज ट्रूस को बढ़त हासिल है। ऐसे में ऋषि सुनक पांच दौर का चुनाव जीतकर भी हार सकते हैं।
आखिरी राउंड में कैसे चुना जाएगा PM
अब सुनक और ट्रूस दो ही दावेदार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में बचे हैं जिनके बीच सोमवार को बीबीसी पर लाइव डिबेट होगी। शुक्रवार से दोनों उम्मीदवार पूरे देश में टोरी पार्टी के सदस्यों के बीच अपने लिए वोट मांगेंगे। जिसके बाद टोरी पार्टी के 160000 सदस्य अपने नेता के लिए डाक के जरिए वोट डालेंगे। इन डाक मतपत्रों की गिनती कर 5 सितंबर को विजेता की घोषणा की जाएगी। जिसके बाद 7 सितंबर को नए प्रधानमंत्री ब्रिटिश संसद में सवालों का सामना करेंगे। ऐसे में अगस्त का पूरा महीना ब्रिटेन के लिए गहमागहमी भरा रहने वाला है।
सुनक ने इस महीने की शुरुआत में नेतृत्व के लिए अपनी दावेदारी पेश किए जाने के बाद से बहस और इंटरव्यू की सीरीज में कहा कि यह नेतृत्व प्रतियोगिता सिर्फ हमारी पार्टी के नेता होने से ज्यादा है, यह हमारे ब्रिटेन के संरक्षक बनने के बारे में है। उन्होंने 1960 के दशक में पूर्वी अफ्रीका से आए अपने भारतीय परिवार की कहानी के साथ अपना प्रयास शुरू करने से लेकर व्यक्तिगत और पेशेवर के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है। सुनक ने कहा कि मेरी मां ने फार्मासिस्ट बनने के वास्ते योग्यता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की। वह मेरे पिता, एक एनएचएस (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा) जीपी से मिलीं, और वे साउथेम्प्टन में बस गए। उनकी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, लेकिन यहीं से मेरी कहानी शुरू हुई उन्होंने अपने चिकित्सक पिता यशवीर और मां उषा के संदर्भ में यह बात कही।
यह व्यक्तिगत कहानी हाल ही में उनके सास-ससुर – इन्फोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति तक भी विस्तारित हुई जब सुनक ने अपनी पत्नी अक्षता की पारिवारिक संपत्ति पर हमलों को लेकर पलटवार किया। उन्होंने कहा था कि मेरे ससुर के पास कुछ भी नहीं था, बस एक सपना था और कुछ सौ पाउंड थे जो मेरी सास की बचत ने उन्हें प्रदान किए। इसके साथ ही उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी, सबसे प्रतिष्ठित और सबसे सफल कंपनियों में से एक का निर्माण किया जो यहाँ ब्रिटेन में हजारों लोगों को रोजगार देती है। यह वास्तव में एक ऐसी कहानी है जिस पर मुझे गर्व है और प्रधानमंत्री के रूप में, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हम यहां उनकी तरह और भी कहानियां बना सकें।
सुनक धर्मनिष्ठ हिंदू?
धर्मनिष्ठ हिंदू के रूप में, सुनक नियमित रूप से मंदिर में जाते हैं। उनका जन्म साउथेम्प्टन में हुआ था और नवंबर 2020 में 11 डाउनिंग स्ट्रीट के अपने कार्यालय-निवास के बाहर दीपावली के दीये जलाने वाले पहले वित्त मंत्री बने। उनकी बेटियां, अनुष्का और कृष्णा भी भारतीय संस्कृति से जुड़ी हैं। उन्होंने हाल ही में बताया था कि कैसे अनुष्का ने पिछले महीने वेस्टमिंस्टर एब्बे में महारानी के प्लेटिनम जयंती समारोह के लिए अपने सहपाठियों के साथ कुचिपुड़ी का प्रदर्शन किया।लेकिन व्यक्तिगत जीवन से परे, उन्हें पेशेवर मोर्चे पर वित्त मंत्री के रूप में अपने विरोधियों के हमलों का सामना करना पड़ा। वह परंपरागत रूप से कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों को लुभाने के लिए कर कटौती के किसी वादे के बजाय मुद्रास्फीति पर अपना ध्यान केंद्रित करने पर दृढ़ रहे हैं। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि मैं इस संसद में कर कम कर दूंगा, लेकिन मैं इसे जिम्मेदारी से करने जा रहा हूं। मैं चुनाव जीतने के लिए कर कटौती की बात नहीं कहूंगा, मैं कर कम करने के लिए चुनाव जीतना चाहता हूं।
ब्रिटेन के सबसे अच्छे स्कूलों में से एक विनचेस्टर कॉलेज से ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय तक उनकी स्व-निर्मित साख विद्वानों को देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद के लिए उनके नाम को सही मानने की वजह देती है। उनका राजनीतिक करियर 2015 में यॉर्कशायर में रिचमंड की एक सुरक्षित टोरी सीट जीतने के साथ शुरू हुआ था और कनिष्ठ भूमिकाओं से वह अचानक तब चांसलर ऑफ एक्सचेकर के पद पर पहुंच गए जब उनके पूर्व बॉस साजिद जाविद ने फरवरी 2020 में इस्तीफा दे दिया।