लोकतंत्र में चौथा स्तंभ कहे जाने वाली प्रेस फिर एक बार चर्चा में आ गई है। ये कोई पहला वाकिया नहीं जब किसी पत्रकार को पुलिस ने पकड़ा हो। राजनितिक लोगो पर टिप्पणी करने के मामले में कई बार ऐसा होता है। ऐसा ही कुछ आज सुबह तकड़े 5 बजे ज़ी न्यूज़ के TV एंकर और पत्रकार रोहित रंजन के साथ हुआ जब छत्तीसगढ पुलिस ने सुबह सुबह बिना किसी पूर्व सूचना के उनके नोएडा स्थित घर पर धावा बोला दिया। यहां ध्यान देने बात ये है कि पुलिस बिना स्थनीय पुलिस ने कोई पूर्व सूचना दिए ये कारवाही की जिससे ना केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठा बल्कि निजता की स्वतन्त्रता पर भी सवालिया निशान लगे। रोहित रंजन की माने तो उनका कहना है की कुछ लोग बिना किसी वर्दी और आई डी कार्ड के उनके घर में दाखिल हो गए और उन्हे अपने साथ जाने को कहने लगे। जिस पर रोहित और वहां की आरडब्ल्यूए द्वारा सवाल उठाया गया तो छत्तीसगढ़ पुलिस ने कहा सुनी हुई। सोसाइटी के चौकीदार से तो पुलिस ने धक्का मुक्की भी की। इसे लेकर वहां के लोगो में खासा आक्रोश देखने को भी मिला। इसी बीच चौकीदार ने समझदारी दिखाते हुए उतर प्रदेश पुलिस को कॉल कर दी और मौके पर पहुंची पुलिस ने रोहित और अपनी हिरासत में ले लिया वही कुछ मीडिया चैनल की में तो छत्तीसगढ पुलिस ने प्रदेश पुलिस के साथ भी अमर्यादित व्यवहार किया।
क्या है पूरा मामला आईए जानते है ?
राहुल गांधी ने 24 जून को उनके वायनाड का दौरा किया था। वही एक कार्यालय के दौरान हमला करने के लिए स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के बारे में एक टिप्पणी की। इस टिप्पणी में हमलावरों को बच्चों के रूप में वर्णित किया और कहा कि उनके खिलाफ उनकी कोई दुर्भावना नहीं है। वही इस वीडियो पर बोलते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि क्लिप को यह दिखाने के लिए छेड़छाड़ की गई थी कि यह उदयपुर में एक दर्जी के हत्यारों के बारे में एक टिप्पणी थी जबकि ये टिप्पणी केरल में की गई थी।
क्या रही राजनितिक प्रतिक्रिया?
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एंकर रोहित की गिरफ्तारी के मामले को लेकर कांग्रेस पर वार करते हुए उसे लोकतंत्र पर काला धब्बा बताया। मालवीय ने इमरजेंसी के दौर को याद करते हुए कहा कि राज्य की सरकार वहां की पुलिस का गलत इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने इस मसले पर ट्वीट करते हुए कहा कि कांग्रेस बेशर्मी से राजस्थान और छत्तीसगढ़ पुलिस का इस्तेमाल कर रही है, केवल दो राज्य एनसीआर में काम करने वाले पत्रकारों पर टारगेट करने के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि किसी की राय से असहमत होना अलग बात है, लेकिन उन्हें इस तरह डराना इमरजेंसी की गंभीर याद दिलाता हैं। कांग्रेस लोकतंत्र पर धब्बा है।
इस मामले पर बोलते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस मामले को लेकर राज्य की भूपेश बघेल सरकार का घेराव किया। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि यह कार्रवाई भूपेश बघेल के आदेश पर हुई है। पूर्व सीएम ने आरोप लगाया कि इस आदेश के दौरान IPC और CRPC के नियमों का पालन नहीं किया गया। वहीं इस मामले की निंदा करते हुए छत्तीसगढ़ के नेता-प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने राज्य की तुलना इमरजेंसी के दौर से कर दी ।
छत्तीसगढ़ पुलिस ने भी बताया अपना पक्ष
छत्तीसगढ़ पुलिस ने बोला के उन्होंने रोहित को कोर्ट का कोर्ट जारी गिरफ्तारी वारंट दिखाया था इसके बाद भी रोहित द्वारा सहयोग न करने की बात कही गई।वहीं छत्तीसगढ़ पुलिस ने पूर्व सूचना के बारे में जवाब देते हुए कहा कि पूर्व सूचित करने के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है।फिर भी, अब उन्हें सूचित किया जाता है। उन्होंने कहा की आरोपी चाहे कोई भी हो उसे वास्तव में सहयोग करना चाहिए, जांच में शामिल होना चाहिए और अपना पक्ष अदालत में रखना चाहिए। दरअसल, राहुल गांधी का वीडियो ज़ी न्यूज़ चैनल पर पर दिखाया गया था, जिसकी एंकरिंग रोहित रंजन कर रहे थे। हालाकि रोहित रंजन ने चैनल पर अपनी गलती के लिए माफी भी मांगी थी।
क्या है कानूनी दावपेंच?
दूसरे राज्य में हो सकती है गिरफ्तारी-किसी राज्य की पुलिस अगर दूसरे राज्य में गिरफ्तारी के लिए जाती है। तो सामान्य तौर पर स्थानीय पुलिस को इसकी जानकारी देना जरूरी होता है। अगर कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा हो तो गिरफ्तारी में दूसरे राज्य की पुलिस स्थानीय पुलिस की मदद ले सकती है।
ट्रांजिट रिमांड की व्यवस्था-
अगर दूसरे राज्य की पुलिस को स्थानीय पुलिस पर भरोसा ना हो।लोकल पुलिस को जानकारी देने से सूचना लीक होने का डर हो तो पुलिस बिना लोकल पुलिस की जानकारी के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन संबंधित क्षेत्र के कोर्ट में आरोपी को सक्षम मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है और ट्रांजिट रिमांड लेना पड़ता है। ट्रांजिट रिमांड के जरिए दूसरे राज्य की पुलिस आरोपी को अपने राज्य ले जा सकती है।
अगर कानूनी प्रक्रिया ना अपनाई जाए तो-अगर दूसरे राज्य की पुलिस गिरफ्तारी के लिए कानून प्रक्रिया का पालन नहीं करती है तो लोकल पुलिस उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। लोकल पुलिस किडनैपिंग का मामला दर्ज कर सकती है, जैसा कि तेजिंदर बग्गा के मामले में हुआ है।