ज्ञानवापी में शिवलिंग या फव्वारा? यह सवाल बहुत महीनों से लोगों के दिमाग में घूम रहा है! उत्तर प्रदेश में गरमाए ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में शुक्रवार को अहम मोड़ आया। वाराणसी कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए हिंदू पक्षकारों की ओर से मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कार्बन डेटिंग की मांग को नहीं माना जा सकता है। मुस्लिम पक्ष इसे अपनी जीत के रूप में पेश कर रहा है। लेकिन, क्या यह किसी पक्ष की जीत है? क्या हिंदू पक्ष की हार है? इस पर विधि विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। वकीलों का कहना है कि ऐसा तो बिल्कुल नहीं है कि यह किसी भी पक्ष की जीत है। हिंदू पक्ष की ओर से भी शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग के खिलाफ आवाज उठाई जा रही थी। याचिकाकर्ता राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग के कारण शिवलिंग को नुकसान पहुंचने की आशंका को लेकर कोर्ट से बाहर तक इसका विरोध किया था। ऐसे कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, वह किसी के खिलाफ नहीं है। फिर भी आज के समय में सवाल वही बरकरार है, ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखान में मिली आकृति शिवलिंग है या फव्वारा। यह कैसे तय होगा? कहां से तय होगा? क्या हिंदुओं को शिवलिंग की पूजा का अधिकार मिलेगा? ये सारे सवाल वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद भी बरकरार हैं। हिंदू पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रहा है।
वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय में जिला जज डॉ. अजय कुमार विश्वेश की अदालत ने शुक्रवार को बड़ा फैसला देते हुए शिवलिंग के कार्बन डेटिंग कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। जिला जज अजय सिंह विश्वेश की कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज करते हुए कहा कि 16 मई को जिस स्थान पर शिवलिंग मिला था, उसे सील करने का आदेश दिया गया था, वह आदेश बरकरार रहेगा। यानी, शिवलिंग का स्थल वजूखाना अभी सील ही रहेगा। कार्बन डेटिंग के संबंध में कोर्ट ने कहा कि वैज्ञानिक जांच के दौरान टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने या ग्राउंड पेनिनट्रेटिंग रडार के प्रयोग करने से कथित शिवलिंग को क्षति पहुंच सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई के आदेश में शिवलिंग को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। ऐसे में यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। अगर कथित शिवलिंग को कोई नुकसान पहुंचता है तो इससे आम लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस लग सकती है।
कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि तमाम स्थितियों को देखते हुए भारतीय पुरातत्व विभाग को सर्वे सर्वे से संबंधित निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा। ऐसा आदेश देने के बाद इस केस में निहि सवालों के न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना नहीं दिखती है। इसलिए कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की कार्बन डेटिंग नहीं होगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस केस में दोनों पक्षों के पास विकल्प क्या है? क्योंकि, कोर्ट ने शिवलिंग के अस्तित्व को किसी भी स्थिति में खारिज नहीं किया है।
हिंदू पक्ष की ओ से मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे लिए यह कोई झटका नहीं है। हम जल्द से जल्द वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके मामले का हल निकालना चाहते हैं। यह साफ होना चाहिए कि मिली आकृति ‘शिवलिंग’ है या कोई फव्वारा। यह वैज्ञानिक जांच से ही साबित होगा। जिला कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का संदर्भ दिया है, इसलिए हम सीधे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और इस आदेश को चुनौती देंगे। वहीं, ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु जैन ने कहा कि कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग की हमारी मांग को खारिज कर दिया है। हम इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और वहां इसे चुनौती देंगे। मैं अभी तारीख की घोषणा नहीं कर सकता, लेकिन हम जल्द ही इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।
वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की वैधता पर कोई सवाल नहीं उठाए हैं। केवल कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज किया है। इसका आधार 17 मई को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बनाया गया है। दरअसल, 16 मई को वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजुखाने में मिले कथित शिवलिंग के इलाके को सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी विवादित स्थल को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। ऐसे में निचली अदालत ने ताे इस मामले में अपना पक्ष साफ कर दिया है। अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच सकता है। वैसे भी अगर कार्बन डेटिंग के पक्ष में भी फैसला आता तो इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाता ही। ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट के पास ही पहुंचने वाला है। वहां के आदेश के साथ हिंदू पक्ष पूजा का अधिकार की भी मांग शुरू कर सकता है।