अस्थमा ऐसी बीमारी है जो सांस से संबंधित होती है, अतः इसका ध्यान रखना अति आवश्यक होता है! फेफड़े या सांस से संबंधित कोई भी समस्या आपको काफी असहज कर सकती है। अस्थमा जैसे रोगों में तो विशेष बचाव के उपाय करते रहना जरूरी हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सांस से संबंधित समस्याओं को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए, इससे शरीर को कई तरह से नुकसान हो सकते हैं। विशेषकर अस्थमा की स्थिति में वायुमार्ग संकीर्ण और सूज जाते हैं, इसके अलावा अतिरिक्त बलगम का उत्पादन होने लगता है। यह स्थितियां सामान्यरूप से सांस लेने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। कुछ लोगों के लिए अस्थमा की समस्या गंभीर भी हो सकती है, जिसके चलते उनके लिए सामान्य जीवन के कामकाज तक करना भी कभी-कभी कठिन हो जाता है। विश्व स्तर पर अस्थमा से बचाव और रोकथाम के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को अस्थमा की दिक्कत होती है, उन्हें इसे ट्रिगर करने वाली चीजों से विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है। त्वरित उपचार और प्रबंधन के लिए साथ में हमेशा इनहेलर रखना चाहिए, जिससे किसी भी समस्या से बचाव किया जा सके। इसके अलावा दैनिक जीवन में अस्थमा से बचाव को लेकर उपायों को प्रयोग में लाते रहना भी आवश्यक होता है।
अस्थमा की दिक्कत कई स्थितियों में बढ़ सकती है। एलर्जी को ट्रिगर करने वाले विभिन्न पदार्थों के संपर्क में आने से इसके लक्षणों के गंभीर होने का जोखिम होता है। ऐसे में अपने जोखिम कारकों को समझते हुए इनसे बचाव करना बहुत आवश्यक माना जाता है।
वायुजनित एलर्जी, जैसे पराग, धूल के कण, पालतू जानवरों के रोएं आदि से बचाव करें।
श्वसन संक्रमण जैसे सामान्य सर्दी या मौसम में बदलाव के समय सतर्कता बरतें।
शारीरिक गतिविधि का ध्यान रखें।
ठंडी हवा के सीधे संपर्क में आने से बचें।
अस्थमा से बचाव करते रहना आवश्यक माना जाता है। अगर आपमें इसके लक्षण हों तो दिनचर्या को ठीक रखने पर विशेष ध्यान दें। उचित आहार के साथ योग-व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं जिससे इसको ट्रिगर करने वाले कारकों से बचाव किया जा सके। अगर आपको सांस लेने से संबंधित कोई भी असुविधा महसूस होती है तो इस बारे में विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें।
अगर आपको अस्थमा की समस्या है तो सांस के पैटर्न को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहना चाहिए। हल्की खांसी, घरघराहट या सांस की तकलीफ होते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नियमित रूप से पीक एयरफ्लो मीटर का प्रयोग करते हुए सांस की गति को मापते रहें। फेफड़ों को स्वस्थ रखने वाली चीजों का सेवन करें, जिससे सांस से संबंधित दिक्कतों को प्रतिबंधित किया जा सके।