आज सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का जन्मदिवस है. आज ही के दिन 1942 में बच्चन साहब का जन्म हुआ था. महानायक अमिताभ बच्चन के पिता लोकप्रिय कवि हरिवंशराय बच्चन हैं. अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म 1969 में मिली जिसका नाम था ‘सात हिन्दुस्तानी’. लेकिन जिस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को एक पहचान दिलाई वह थी ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित फिल्म ‘आनंद’. आनंद में अमिताभ बच्चन भास्कर बनर्जी के कैरेक्टर में खूब जमे. भले ही उस फिल्म में राजेश खन्ना ने महफ़िल लूट ली हो लेकिन उस फिल्म से अमिताभ ने लोगों के दिल में एक ख़ास जगह बना ली थी. कहते हैं कि उस समय राजेश खन्ना सुपरस्टार हुआ करते थे और अमिताभ बच्चन एक स्ट्रगलिंग एक्टर. राजेश खन्ना, बच्चन पर व्यंग्य बाण भी छोड़ा करते थे लेकिन अमिताभ बच्चन इसका कोई जवाब नही देते, क्योंकि एक तो वह काका का आदर करते थे और दूसरे किसी बड़ी फिल्म में अपने जौहर दिखाने लिए बेताब थे.
स्क्रिप्ट राइटर्स सलीम-जावेद की जोड़ी बड़े पर्दे पर चल निकली थी. उन्होंने उस समय के हिसाब से एक कैरेक्टर को लिख रहे थे जो समाज को बदलने का लिए कार्य करता है. यह कैरेक्टर शांत नही बल्कि उग्र हैं इसलिए इस कैरेक्टर को फिल्मी दुनिया में ‘एंग्री यैंगमेन’ का नाम दिया गया. इस एंग्री यैंगमेन के किरदार के साथ किसी ने न्याय किया तो वह थे अमिताभ बच्चन. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है फिल्म ‘ज़ंजीर’. थियेटर में जब अमिताभ बच्चन बोलते हैं कि, ‘जब तक बैठने को न बोला जाए तब तक चुपचाप खड़े रहो यह पुलिस स्टेशन हैं तुम्हारे बाप का घर नही’ तब दर्शकों की तालियां और सीटियाँ बजने लगती थी. जलवा यह हो गया कि राजेश खन्ना को पीछे छोड़ते हुए अमिताभ बच्चन नम्बर एक के हीरो बन गए. फिल्म ‘शोले’ बॉलीवुड की सबसे बड़ी फिल्म मानी जाती है और उसमें अमिताभ बच्चन का करैक्टर ‘जय’ बहुत ही लोकप्रिय होता है.
1982 में एक फिल्म आई थी ‘कुली’. इस फिल्म में एक एक्शन सीन शूट करते समय अमिताभ बच्चन को चोट लग गई. चोट बहुत भयानक थी. अमिताभ बच्चन की सलामती के लिए पूरे देश ने प्रार्थना की और प्रार्थना रंग भी लाई अमिताभ बच्चन सही सलामत अस्पताल से बाहर आए. उस समय बच्चन की दीवानगी सर चढ़ कर बोल रही थी. बच्चा-बच्चा बच्चन बनना चाहता था. आज भी हमारे इलाहाबाद में कोई बड़ी चीज होती है तो उसे बच्चन ही कहते हैं. आज ही अमिताभ बच्चन फिल्में कर रहे हैं. पिंक, पीकू जैसे फिल्मे जबरदस्त हिट भी हो रही है. लेकिन इन सबसे इतर एक बात जो बच्चन साहब को सबसे अलग बनाती है वह है उनका लोगों के प्रति रिस्पेक्ट भरा नज़रिया.
अमिताभ बच्चन के लोकप्रिय डायलॉग
1. फिल्म ‘डाॅन’ से
‘डाॅन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है’
‘यह तुम जानती हो कि यह रिवाॅल्वर खाली है, मैं जानता हूं कि यह रिवाॅल्वर खाली है, लेकिन पुलिस नहीं जानती कि यह रिवाॅल्वर खाली है.’
‘डाॅन जख्मी है, तो क्या…?
फिर भी डाॅन है.’
‘डाॅन का इंतजार तो ग्यारह मुल्कों की पुलिस कर रही है.’
2. फिल्म शोले से
तुम्हारा नाम क्या है बसंती?
प्यारी नहीं! बहुत सारी बातें करती है..!!
साला नौटंकी, घड़ी-घड़ी ड्रामा करता है.
3. फिल्म दीवार से
आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है, क्या है तुम्हारे पास
4. फिल्म सिलसिला से
‘मैं और मेरी तनहाई अक्सर ये बातें करते हैं तुम होती तो कैसा होता तुम या कहती तुम वह कहती तुम होती बात प्रति बालों वाली होती तुम इस बात पर कितने हंसती तुम होती तो ऐसा होता तुम होती से वैसा होता मैं और मेरी तनहाई अक्सर यह बातें करते हैं’
5. फिल्म नमक हलाल से
‘मैं अंग्रेजी बोल सकता हूं, मैं अंग्रेजी चल सकता हूं, मैं अंग्रेजी हंस सकता हूं क्योंकि अंग्रेजी बहुत ही फनी भाषा है। भैरो बायरन बन जाते हैं क्योंकि उनका दिमाग बहुत संकीर्ण है!’
6. फिल्म अग्निपथ से
पूरा नाम, विजय दीनानाथ चौहान, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान गांव मंडवा, उमर छत्तीस साल.
7. फिल्म शहंशाह से
‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह.’
8. फिल्म कालिया से
‘हम जहां से खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है.’
9. फिल्म सरकार से
मुझे जो सही लगता है मैं करता हूं … वो चाहे भगवान के खिलाफ हो, समाज के खिलाफ हो, पुलिस, कानून … या फिर पूरे सिस्टम के खिलाफ क्यों ना हो …
नाज़दीकी फ़यदा देखने से पहले … दूर का नुक्सान सोचना चाहिए …
मैं किसको सुनने से नहीं… करने से रोकता हूं…
सरकार एक प्रणाली है जिसमे जनता भी एक हिसा है..
तकत लोगों को जोड़ने से बढ़ती है…उन्हे खिलाफ करने से नहीं…
नहीं करूँगा मैं… और सुनो, तुझे भी करने नहीं दूंगा…