उत्तर प्रदेश के पुर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का आज मेंदाता हॉस्पिटल में देहांत हो गया. पिछले महीने से नेताजी की तबीयत में सुधार नही हो रहा था. नेताजी के मौत की पुष्टि उनके बेटे अखिलेश यादव ने किया, उन्होंने कहा कि मेरे आदरणीय पिता जी और सबके नेता जी नहीं रहे. नेताजी के देहांत पर प्रदेश में राजकीय शोक की घोषणा की गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया कि
श्री मुलायम सिंह यादव जी के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा करती है. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ होगा.
किस्सा 1: मुलायम यादव का पहलवानी वाला किस्सा
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव कभी पहलवान बनने की जद्दोजहद कर रहे थे. 1939 में जन्मे मुलायम सिंह यादव को उनके पिता अपने क्षेत्र का सबसे प्रमुख पहलवान बनाना चाहते थे. मुलायम सिंह यादव का शरीर तो समान्य था लेकिन उनके दांव-पेच जबरदस्त होते थे. एक बार उनका मुकाबला एक 6 फुट लंबे-चौड़े पहलवान सरयूदीन से हुआ. दोनों ने आधे घंटे तक एक दूसरे को पटखनी देने का प्रयास किया लेकिन सफल दोनों नही हो पाए, लेकिन कुश्ती के आख़िरी मिनटों में मुलायम सिंह यादव ने अपने दांव से सरयूदीन को चित कर दिया. जिंदगी में आगे बढ़ते हुए सरयूदीन सी.आई.डी में बतौर सब-इंस्पेक्टर नियुक्त हुए तो वही मुलायम सिंह यादव विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे. दिलचस्प बात यह है कि एक बार सरयूदीन विधानसभा में नियुक्त हुए और मुलायम सिंह यादव भी विधायक हो चूके थे, तो दोनों में जब मुलाकात हुई तो दोनों अपने-अपने पद को पीछे छोड़ते हुए एक-दुसरे से गर्मजोशी से मिले.
किस्सा 2: 15 साल की उम्र में गए जेल और बने बड़े नेता
मुलायम सिंह यादव राजनीति अखाड़े में बहुत ही कम उम्र से शामिल हो गए थे. साल था 1954 का और देश में राममनोहर लोहिया ने ‘नहर रेट आंदोलन’ छेड़ रखा था. मुलायम उस समय 15 साल के युवा बालक थे लेकिन फिर भी वह आंदोलन में शामिल हुए और जेल गए. साल 1960 में वह पूरी तरह से राजनीति में शामिल हुए और 1967 में पहली संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जसवंत नगर क्षेत्र से विधानसभा सदस्य चुने गए. मुलायम सिंह यादव विधायक तो बन गए थे लेकिन नेता नही बने थे. नेता बने तब जब इंदिरा गांधी के सरकार के खिलाफ वह जयप्रकाश नारायण के साथ आंदोलन कर रहे थे और उनको अपातकाल में 19 महिने जेल में रहना पड़ा. आपातकाल के बाद जब वह जेल से बाहर आए तो वह पूरे देश के अल्पसंख्यक, दलितों और पीड़ितों के नेता बन गए थे.
किस्सा 3: गेस्ट हाउस कांड, और महिलाओ पर मुलायम सिंह यादव का नज़रिया
मुलायम सिंह यादव को उनके विरोधी हमेशा उनके महिलाओ के प्रति नजरिए पर घेरे रहते हैं. इस कड़ी में गेस्ट हाउस कांड उल्लेखनीय हैं. साल था 1995 का, उत्तर प्रदेश की सरकार मुलायम सिंह यादव के हाथ में थी और उसको समर्थन दे रही थी मायावती. लेकिन सरकार से नाखुश मायावती ने सपा से समर्थन वापस ले लिया और इससे गुस्साए सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती पर हमला कर दिया. यह हमला इतना खतरनाक था कि लोगों ने कहा कि अगर उस समय मायावती को उनके समर्थक नही बचाए होते तो सपा कार्यकर्ता उनका जान ले लिए होते. इसके अलावा भी रेप पर मुलायम सिंह यादव ने के कुछ बयान आपको हैरान कर सकते हैं जैसे एक बार उन्होंने एक रैली में कहा था कि ‘लड़कों से ग़लती हो जाती है और इसके लिए उन्हें मौत की सज़ा नहीं देना चाहिए’.
किस्सा 4: जब मुलायम सिंह यादव स्वीकार दूसरी शादी का सच
मुलायम सिंह यादव की पहली शादी मालती देवी से हुई. 1973 में मुलायम सिंह यादव के पहले पत्नी से एकलौता बेटा अखिलेश का जन्म हुआ. 2003 में मालती देवी एक लम्बी बिमारी के बाद चल बसी. इधर अंदर-अंदर मुलायम सिंह यादव ने अपनी ही पार्टी के एक युवा कार्यकर्ता से शादी कर चुके थे. यह बात 2007 तक किसी को पता नही थी नही थी लेकिन चुनाव आयोग के सामने दूसरे पत्नी का सच मुलायम सिंह यादव छुपा नही सके और यह बात सबके सामने आ गई. मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी का नाम साधना गुप्ता है और वह इस समय समाजसेवा के काम लगी हुई हैं. कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी के घर में जितने भी झगड़े होते हैं उनकी मुख्य वजह मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता ही हैं. दिलचस्प है साधना से हुआ मुलायम सिंह यादव का दूसरा पुत्र प्रतीक यादव को कभी पद नही दिया गया है.