आज हम आपको एक ऐसी बेटी की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसने अपने ही घर वालों को मार दिया! हमारे देश में बेटियों को साक्षात देवी का रूप माना जाता है। कहते हैं बेटियों के होने से घर में खुशहाली आती है, लेकिन आज जिस बेटी की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं वो बेटी को देखकर हर किसी ने यही कहा कि भगवान न करे किसी के घर में ऐसी बेटी पैदा हो। एक ऐसी बेटी जिसने अपने ही परिवार के आठ लोगों को मौत देकर अपने घर को श्मशान में तब्दील कर दिया। हरियाणा के हिसार में एक भव्य कोठी जिसमें रहते थे एमएलए रेलू राम पूनिया और उनका एक बड़ा और खुशहाल परिवार। परिवार में थी रेलू राम की पत्नी कृष्णा, उनका बेटा सुनील, बहू, एक पोता, दो पोतियां और दो बेटियां प्रियंका और सोनिया। बेहद अमीर परिवार, घर में कोई कमी नहीं। रेलू राम पूनिया की गिनती राज्य के सबसे अमीर लोगों में होती थी। सारे ऐशो-आराम और सुविधाएं उन्होंने अपने परिवार को दी थी, लेकिन किसे पता था कि एक दिन ये खुशहाल परिवार इस तरह से खत्म हो जाएगा और इसे खत्म करने वाला भी कोई और नहीं खुद इस घर की औलाद होगी।
23 अगस्त 2001- घर में पार्टी चल रही थी। मौका था रेलू राम की छोटी बेटी प्रियंका के जन्मदिन का। प्रियंका हॉस्टल में रहती थी और उस दिन जन्मदिन मनाने घर पर आई थी। बड़ी बेटी सोनिया ने पूरी पार्टी का आयोजन किया था। परिवार पार्टी में मग्न था, सबलोग डांस मस्ती कर रहे थे, लेकिन ये पार्टी तो उसकी साजिश का एक हिस्सा थी। साजिश रेलूराम की बेटी सोनिया की। सोनिया ने उस दिन परिवार के खाने में अफीम मिला दी थी। खाने में अफीम के नशे की वजह सब लोग बेहोश की हालत में थे और अपने-अपने कमरे में सोने के लिए जा चुके थे। रेलू राम की बेटी सोनिया शादी-शुदा थी। सोनिया स्पोर्ट्स खेलती थी और स्पोर्ट्स में ही जूडो के एक खिलाड़ी संजीव से सोनिया ने लव मैरीज की थी। रेलूराम इस शादी के खिलाफ थे, लेकिन बाद में मान गए थे। ऐसा लगा था कि सबकुछ ठीक हो चुका है, लेकिन साल 2001 का वो दिन इस परिवार का आखिरी दिन बन चुका था। सोनिया ने अपने पति के साथ मिलकर अपने ही परिवार को खत्म करने का खेल खेला था और अफीम देना उसी खेल का एक हिस्सा था।
रात को पूरा परिवार बेहोश था। सोनिया घर के स्टोर रूम से लोहे की एक रॉड लेकर आई। उसने लोह की रॉड से अपने पिता के सिर पर वार किया और उन्हें उनके कमरे में ही मार डाला। उसके बाद वो अपनी मां के कमरे में गई जहां वो अपनी पोती के साथ सो रहीं थीं। सोनिया और संजीव ने लोहे की रॉड से दो साल की मासूम बच्ची और अपनी मां दोनों को मार डाला। सोनिया के पति संजीव के पास एक पिस्तौल थी। उस पिस्तौल से एक-एक कर परिवार के दूसरे लोगों के शरीर में गोलियां उतारी गई। भाई-भाभी, बहन सब खत्म हो चुके थे।
अब घर में बचे थे दो मासूम बच्चे। अपने भाई की एक बेटी को तो वो पहले ही रॉड से मार चुकी थी। अब सोनिया का पांच साल का भतीजा अमन और दो साल की भतीजी प्रीति लाशों के बीच अकेले थे। सोनिया की दरिंदगी की सीमा यहां भी खत्म नहीं हुई। उसने रोते हुए दोनों बच्चों को भी बेरहमी से मौत दी। उस रात वो खूबसूरत हवेली वीरान श्मशान में तब्दील हो गई थी। थोड़ी देर पहले चहकते घर में मौत का सन्नाटा था।
सोनिया ने एक चाल चली। उसने अपने पति से कहा वो रॉड से उसके सिर पर भी वार करे ताकि पुलिस को कोई शक न हो। संजीव ने अपनी पत्नी के कहने पर वैसा ही किया और उसे घायल करके वहां से निकल गया। सुबह जब नौकर घर पर आए तो घर का हाल देखकर दंग रह गए। हर तरफ खून फैला हुआ था। पूरा परिवार मर चुका था, सिर्फ सोनिया जिंदा थी। रेलू राम और उनके परिवार के इस हत्यकांड ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया।इस बात की उम्मीद किसी को नहीं थी कि खुद रेलू राम की बेटी परिवार की कातिल निकलेगी। हालांकि पुलिस का शक शुरू से ही सोनिया और उसके पति पर ही था। अस्पताल में इलाज के बाद पुलिस ने सोनिया से सच जानना चाहा। पुलिस की कड़ाई के सामने सोनिया टूट गई और फिर उसने बताया कैसे उसने अपने ही परिवार को अपने पति के साथ मिलकर मार डाला, लेकिन सवाल ये था कि क्यों सोनिया ये सारे कत्ल किए। परिवार को मारने के पीछे मोटिव क्या था।
सोनिया की अपने भाई सुनील से काफी समय से लड़ाई चल रही थी। दरअसल सुनील और सोनिया की मां अलग-अलग थीं। रेलू राम ने दो शादियां की हुई थीं। पैसों और जमीन-जायदाद को लेकर सोनिया और सुनील की लड़ाई चल रही थी। एमएलए रेलू राम के पास 50 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी थी। उनका तेल का कारोबार था। सोनिया चाहती थी रेलू राम कुछ जमीन बेचकर उसके पति संजीव को पैसा दें ताकि वो अपना बिजनेस शुरू कर सके, लेकिन सुनील इस बात के खिलाफ था। बस इसी बात को लेकर सोनिया कई दिनों से अपने परिवार को खत्म करने की प्लानिंग कर रही थी।
पैसों के लालच में सोनिया इतनी अंधी हो चुकी थी कि उसे अपना परिवार ही अपना दुश्मन लगने लगा और उसने घर में ही बिछा दी 8 लाशें। इस मामले में जिला अदालत ने सोनिया और संजीव को फांसी की सजा सुनाई जिसे हाइकोर्ट ने उम्र कैद में तब्दील कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो एक बार फिर इन दोनों को फांसी की सजा मिली। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत ये सजा फिर से उम्र कैद में तब्दील हो गई। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फांसी के जो मामले लंबे समय से अटके हुए हैं उन्हें उम्र कैद में तब्दील कर दिया जाए।