आज हम आपको ऐसे चूल्हा के बारे में बताएंगे जो करोड़ों रुपए बचाएगा! अभी तक देश में जितने भी सौर चूल्हे बने हैं, उनमें लगभग एक सी समानता दिखी है। यह चूल्हा एक बक्से की तरह होता है। उसमें चावल-दाल आदि भर दीजिए। फिर चूल्हे को धूप में रखना पड़ता है। लेकिन इंडियन ऑयल ने एक अनूठा चूल्हा विकसित किया है। इसे आप अपने किचन में रखिए और सोलर पैनल को छत या बाहर खुले में ताकि धूप से आपको खाना बनाने के लिए एनर्जी मिलती रहे। इसी चूल्हे को पीएम मोदी ने अनवेल किया है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने जिस सोलर कूकर का इजाद किया है, उसका इस्तेमाल घर के अंदर मतलब कि आप अपने किचन में कर सकते हैं। इस सौर चूल्हा को रिचार्ज किया जा सकता है। सौर ऊर्जा से चलने वाले इस चूल्हे को रसोई घर में रखकर उपयोग में लाया जा सकता है।
इंडियन ऑयल के निदेशक आरएंडडी (R&D) एस एस वी रामकुमार का कहना है कि इस चूल्हे को खरीदने की लागत के अलावा रख-रखाव पर कोई खर्च नहीं है। इसे जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। अर्थात इस सौर चूल्हे के लिए न तो ईंधन की जरूरत है और ना ही लकड़ी की। एस एस वी रामकुमार का कहना है कि यह चूल्हा सौर कुकर से अलग है। अलग इसलिए, क्योंकि इसे धूप में नहीं रखना पड़ता है। इस चूल्हे को फरीदाबाद में आईओसी के अनुसंधान और विकास विभाग ने विकसित किया है। यह छत पर रखे पीवी पैनल के जरिए प्राप्त सौर ऊर्जा से चलता है। इस चूल्हे से ना सिर्फ पैसा बचेगा, बल्कि प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगी।
आईओसी के इस चूल्हे में एक केबल लगी होती है। यह केबल छत पर लगी हुई सोलर प्लेट से जुड़ी होती है। सोलर प्लेट से जो ऊर्जा पैदा होती है, वह केबल के जरिए चूल्हे तक पहुंचती है। इस ऊर्जा से ही चूल्हा चलता है। सोलर प्लेट सौर ऊर्जा को पहले थर्मल बैटरी में स्टोर करती है। इस ऊर्जा से रात में भी खाना बनाया जा सकता है। इस चूल्हे से चार लोगों वाले परिवार के लिए तीन टाइम का खाना आसानी से बनाया जा सकता है। आज जिस चूल्हे को पीएम ने अनवेल किया, उसे देश भर में 60 जगहों पर आजमाया गया है। आईओसी के अधिकारी का कहना है कि चाहे कैसा भी मौसम हो, इस चूल्हे पर बॉयलिंग, फ्राइंग, बेकिंग आदि सभी काम हो सकते हैं। यदि कहीं मौसम खराब है और सूरज नहीं उग रहा है तो चूल्हे को बिजली से भी चार्ज किया जा सकता है। इसका परीक्षण लेह-लद्दाख से लेकर लक्षद्वीप, ग्वालियर, उदयपुर, दिल्ली और एनसीआर आदि जगहों पर हो चुका है।
सरकार का दावा है कि यह सौर चूल्हा बचत की खान है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सात साल की अवधि के दौरान इस चूल्हे के उपयोग पर हुए फायदों को गिनाया है।इस सौर चूल्हे के लिए न तो ईंधन की जरूरत है और ना ही लकड़ी की। एस एस वी रामकुमार का कहना है कि यह चूल्हा सौर कुकर से अलग है। अलग इसलिए, क्योंकि इसे धूप में नहीं रखना पड़ता है। इस चूल्हे को फरीदाबाद में आईओसी के अनुसंधान और विकास विभाग ने विकसित किया है। यह छत पर रखे पीवी पैनल के जरिए प्राप्त सौर ऊर्जा से चलता है। इस चूल्हे से ना सिर्फ पैसा बचेगा, बल्कि प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगी। मंत्रालय का कहना है कि यदि इस दौरान सिर्फ एलपीजी (LPG) की बात करें तो करीब एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।इस सौर चूल्हे के लिए न तो ईंधन की जरूरत है और ना ही लकड़ी की। एस एस वी रामकुमार का कहना है कि यह चूल्हा सौर कुकर से अलग है। अलग इसलिए, क्योंकि इसे धूप में नहीं रखना पड़ता है। इस चूल्हे को फरीदाबाद में आईओसी के अनुसंधान और विकास विभाग ने विकसित किया है। यह छत पर रखे पीवी पैनल के जरिए प्राप्त सौर ऊर्जा से चलता है। इस चूल्हे से ना सिर्फ पैसा बचेगा, बल्कि प्रदूषण की समस्या से भी निजात मिलेगी। इस एलपीजी के आयात में देश का करीब 50,000 करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा (Forex) जाता, इसकी भी बचत होगी। यही नहीं, कार्बन डाई आक्साइड (CO2) के इमिशन में भी करीब 50 मिलियन टन की कमी होगी। साथ ही भारत को करीब 4000 करोड़ रुपये का मार्केटेबल कार्बन क्रेडिट भी मिलेगा।