ऐसा सुपरकॉप जिससे कापता था अतीक अहमद!

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आज कहानी ऐसे सुपर कॉप की जिससे अतीक अहमद भी कापता था! देश में कई ऐसे पुलिस ऑफिसर हुए हैं जिनके नाम को सुनते ही अपराधियों को होश उड़ जाते थे। जिन्होंने अपराध पर ऐसी लगाम लगाई कि उनके डर से कई अपराधी अंडरग्राउंड हो गए और उनमें से एक है उत्तर प्रदेश के जांबाज पुलिस ऑफिसर अनंत देव। बीहड़ के डकैत ददुआ का अंत हो या फिर विकास दूबे केस इस ऑफिसर के नाम की चर्चाएं काफी ज्यादा रहीं। उत्तर प्रदेश का माफिया अतीक अहमद भी जब तक जिंदा रहा अनंत देव के नाम से थरथराता था। 63 एनकाउंटर करने वाले अनंत देव फतेहपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने अपना पुलिस करियर 1987 बैच के प्रदेश पुलिस सर्विस (PPS) अधिकारी के के रूप में शुरू किया। वो कई जिलों में डीएसपी और फिर एसएसपी बने। साल 2006 में अनंत देव को आईपीएस के रूप में प्रमोट किया गया था। इसके बाद उन्हें जो अहम रोल मिला था एसटीएफ में, जिसके बाद वो सबसे ज्यादा चर्चा में आए।

अपने तेज तर्रार तेवरों के लिए जाने जाने वाले अनंत देव अपराधियों पर काल बनकर टूटते थे। जहां भी अनंत देव की पोस्टिंग होती वहां अपराधियों में पहले ही दहशत का माहौल कायम हो जाता। आजमगढ़ में तो ISI से नाता रखने वाले कई क्रिमिनल्स को इस जाबाज ऑफिसर ने एनकाउंटर में मार गिराया था। जनता इन्हें अपराधियों का यमराज तक करने लगी थी। अनंत देव का डकैत ददुआ को मारने में भी अहम रोल माना जाता है । ये बात है साल 2007 की अनंत देव के आईपीएस बनने के बाद तत्कालीन यूपी एसटीएफ चीफ अमिताभ यश ने उन्हें अपनी टीम का हिस्सा बनाया। वो एएसपी के तौर पर बीहड़ से डाकुओं के खात्मे का काम मिला। तब शिव कुमार उर्फ ददुआ का ऐसा खौफ था कि उस इलाके में ददुआ की पैरलल सरकार चलती थी। राजनेता भी ददुआ के दरबार में नतमस्तक रहते थे। ऐसे वक्त में अनंत देव और उनकी टीम ने लंबे ऑपरेशन के बाद डाकू ददुआ को मार गिराया। न सिर्फ ददुआ बल्कि बीहड़ के एक और बड़े डाकू ठोकिया का अंत भी अनंत देव ने ही किया।

इन दोनों डाकुओं के सफाए के बाद अनंत देव काफी ज्यादा फेमस हो गए थे। उनके नाम से बड़े-बड़े अपराधी भी खौफ खाने लगे थे। साल 2020 में अनंत देव फिर काफी चर्चा में रहे वजह थी विकास दुबे एनकाउंटर। बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे ने मध्यप्रदेश में सरेंडर कर दिया था। दरअसल कानपुर के गांव बिकरु में विकास दुबे उसे पकड़ने आई पुलिस की टीम पर भयानक हमला किया था। विकास दुबे और उसके साथियों ने इतनी ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी कि वहां 8 पुलिसवाले शहीद हो गए थे। इसके बाद विकास दुबे फरार हो गया था। इस दौरान विकास दुबे के कई राजनीतिक लोगों से संबंध सामने आए थे। ऐसे में पुलिस के सामने विकास दुबे जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी थी। इसी बीच मध्यप्रदेश में विकास दुबे ने सरेंडर कर दिया।

विकास दुबे को यूपी लाने के लिए एसटीएफ की टीम मध्य प्रदेश रवाना हुई। इस टीम को लीड कर रहे थे अनंत देव। विकास दुबे गाड़ी से लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में एनकाउंटर में विकास दुबे की गाड़ी पलट गई। इस गैंगस्टर की मौत से एक तरफ लोग खुश थे तो दूसरी तरफ एसटीएफ के इस एनकाउंटर पर सवाल भी उठने लगे थे। यहां तक कि इस एनकाउंटर के बाद अनंत देव को सस्पेंड कर दिया गया।विकास दुबे को यूपी लाने के लिए एसटीएफ की टीम मध्य प्रदेश रवाना हुई। इस टीम को लीड कर रहे थे अनंत देव। विकास दुबे गाड़ी से लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में एनकाउंटर में विकास दुबे की गाड़ी पलट गई। इस गैंगस्टर की मौत से एक तरफ लोग खुश थे तो दूसरी तरफ एसटीएफ के इस एनकाउंटर पर सवाल भी उठने लगे थे। यहां तक कि इस एनकाउंटर के बाद अनंत देव को सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि दो साल बाद यानी इसी साल मार्च में एक बार फिर उनकी बहाली एसटीएफ में हुई।हालांकि दो साल बाद यानी इसी साल मार्च में एक बार फिर उनकी बहाली एसटीएफ में हुई।

होली के ठीक एक दिन पहले डीआईजी अनंत देव को एसटीएफ का अतिरिक्त भार दे दिया गया। ये खबर जैसे ही राज्य में फैली माफिया अतीक अहमद और उसके परिवार की नींद उड़ गई। ये मामला उमेश पाल हत्याकांड के बाद का है। विकास दुबे कांड ने वैसे ही सारे अपराधियों को डराकर रखा हुआ था। ऊपर से एक बार फिर टॉप एनकाउंटर स्पेशलिस्ट अनंत देव की एसटीएफ में वापसी अतीक गैंग के लिए खतरा बन चुकी थी। अतीक और उसके परिवार को डर सताने लगा था कि कहीं वो भी एनकाउंटर में ना मारा जाए। यहां तक कि अतीक के परिवार ने कोर्ट में अर्जी तक लगा दी थी। अतीक जब तक जिंदा रहा अनंत देव के नाम से कांपता रहा।