सुप्रीम कोर्ट ने केरल मामले में अपनी सुनवाई का फैसला किया है सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि 27 जुलाई को केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करेगा, जहाँ तक हम जानते है ये मामला काफी सालो से चलता आ रहा है अभी हालही के सुनवाइ से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस पर कोई हल निकाला जाये
सीबीआई ने जासूसी मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन की गिरफ्तारी के सिलसिले में 18 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह 27 जुलाई को केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करेगा। केरल उच्च न्यायालय के आदेश ने एक मामले में पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज को दी गई अग्रिम जमानत पर 60 दिन की समय सीमा हटा दी थी। 1994 के इसरो जासूसी मामले में वैज्ञानिक नंबी नारायणन को कथित रूप से फंसाने के लिए।
उच्च न्यायालय के 16 नवंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मैथ्यूज की याचिका पर अग्रिम जमानत की अवधि को 60 दिन तक सीमित करने की शर्त को चुनौती दी थी। एक निचली अदालत ने पिछले साल 24 अगस्त को उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी थी लेकिन अग्रिम जमानत की अवधि 60 दिनों तक सीमित कर दी थी। जब मामला शुक्रवार को शीधे के सामने सुनवाई के लिए आया, तो सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने कहा कि इसे उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत के आदेश के खिलाफ जांच एजेंसी द्वारा दायर लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए। मामले में चार अन्य लोगों को
न्यायालय ने कहा कि वह इन मामलों पर 27 जुलाई को सुनवाई करेगी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, “ऐसी परिस्थितियों में न्याय सुनिश्चित करने के लिए यह उचित है कि 60 दिनों की उक्त समय सीमा को हटा दिया जाए।” इससे पहले सीबीआई ने उच्च न्यायालय के पिछले साल 13 अगस्त के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था और मामला लंबित है। उच्च न्यायालय ने पिछले साल 13 अगस्त को गुजरात के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार, केरल के दो पूर्व पुलिस अधिकारियों एस विजयन और थंपी एस दुर्गा दत्त और एक सेवानिवृत्त खुफिया अधिकारी पीएस जयप्रकाश को मामले के सिलसिले में अग्रिम जमानत दी थी। श्रीकुमार उस समय इंटेलिजेंस ब्यूरो के डिप्टी डायरेक्टर थे। अदालत ने पिछले साल नवंबर में 13 अगस्त के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर नोटिस जारी किया था।
CBI ने पहले अदालत को बताया था कि उसने अपनी जांच-पड़ताल में पाया है कि कुछ वैज्ञानिकों को धमकी और गलत तरीके से पूछताछ किया गया है और इस मामले में फंसाया गया, जिसके कारण क्रायोजेनिक इंजन का विकास प्रभावित हुआ और इसके कारण भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगभग एक या दो दशक पीछे चला गया।
सीबीआई ने जासूसी मामले में इसरो के रह चुके पहले वैज्ञानिक नंबी नारायणन की गिरफ्तारी और हिरासत के संबंध में आपराधिक साजिश सहित इस के अलावा और अपराधों के लिए 18 लोगों के
खिलाफ मामला दर्ज किया है। 1994 में सुर्खियों में आया यह मामला दो वैज्ञानिकों और मालदीव की दो महिलाओं सहित चार और लोगो के साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम पर कुछ गोपनीय दस्तावेजों को विदेशों में में भेजा जा रहा था करने के डॉक्यूमेंट के अदला बदली के मामले में नारायणन, जिन्हें CBI ने क्लीन चिट दी थी, पहले कहा था कि यह मामला केरल पुलिस और 1994 के मामले में चुराई गई तकनीक द्वारा जान बूझ कर “गढ़ा” गया था, 1994 के मामले में जिस तकनीक को चुराने और बेचने का आरोप लगाया गया था, वह उस समय भी मौजूद नहीं थी। सीबीआई ने अपनी जांच में कहा था कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी के लिए केरल के तत्कालीन शीर्ष पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे। शीर्ष अदालत ने 14 सितंबर, 2018 को तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी, जबकि केरल
सरकार को नारायणन के साथ किये गये बदसलूकी “बेहद अपमान” के लिए मजबूर करने के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। उच्चतम अदालत ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को “मनोवैज्ञानिक उपचार” करार देते हुए सितंबर 2018 में कहा था कि उनकी “स्वतंत्रता और
गरिमा’ को ठेस पहुंची उनके मानवाधिकारों छीन लिए गए इस सब के बाद उनकी ब्यक्तिगत जीवन में काफी बदलब आये क्योंकि उन्हें हिरासत में ले लिया गया था और उन्हें लोगो की उनके प्रति घृणा का सामना करना पड़ा सामना करने के लिए मजबूर किया गया था।