रूस-यूक्रेन संकट के समाधान के आसार दिखाई देने लगे हैं. रूस की न्यूज एजेंसी के मुताबिक, Kremlin बेलारूस में यूक्रेन के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हो गया है. रूसी दल में कई मंत्रियों समेत राष्ट्रपति प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद हैं. बेलारूस पहुंच रूसी दल ने कहा कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं और हम यूक्रेन के प्रतिनिधि मंडल का इंतजार कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर रूसी सेना यूक्रेन के दूसरे बड़े शहर Kharkiv में घुस गई हैं, जहां पर युद्ध जारी है. इससे पहले कीव में रूसी हमले को नाकाम करने के यूक्रेनी सरकार के दावे के बाद रूस ने सेना को राजधानी पर चौतरफा हमला करने का कथित आदेश दिया है.
- रूसी सेना ने शनिवार को तीसरे दिन भी यूक्रेन के कई शहरों पर आर्टिलरी और क्रूज मिसाइलें दागीं, लेकिन यूक्रेन का राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि राजधानी कीव यूक्रेन के हाथों में ही है.
- समाचार एजेंसी एएफपी ने सैनिकों के हवाले से बताया कि शहर के केंद्र के उत्तर-पश्चिम में एक क्षेत्र में तोप और ग्रैड मिसाइलें दागने और विस्फोट की आवाज शनिवार तड़के कीव में सुनी गई.
- राजधानी कीव में कर्फ्यू सख्त कर दिया गया है.कर्फ्यू तोड़ने वाले हर व्यक्ति पर दुश्मन की तरह कार्रवाई करने के निर्देश सेना को दिए गए हैं.जर्मनी ने यूक्रेन को रॉकेट लांचर की आपूर्ति करने का फैसला किया है. जबकि अमेरिका ने यूक्रेन को पहले ही 35 करोड़ डॉलर की सैन्य मदद देने का ऐलान किया है.
- जर्मनी और उसके पश्चिमी सहयोगी देश रूस को SWIFT वैश्विक भुगतान प्रणाली (global payment system) से बाहर करने पर सहमत हो गए हैं. जर्मन सरकार के एक प्रवक्ता ने शनिवार को यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को रोकने के उद्देश्य से लगाए गए प्रतिबंध की तीसरी किश्त का ऐलान किया.
- संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, कनाडा, इटली, ग्रेट ब्रिटेन और यूरोपीय आयोग के साथ सहमत प्रतिबंधों में रूसी करेंसी रूबल का समर्थन करने के लिए रूस के केंद्रीय बैंक की क्षमता को सीमित करना भी शामिल है. प्रवक्ता ने कहा, नया प्रतिबंध धनी रूसियों और उनके परिवारों के लिए “गोल्डन पासपोर्ट” को भी समाप्त कर देगा और रूस और अन्य जगहों पर व्यक्तियों और संस्थानों को लक्षित करेगा जो यूक्रेन के खिलाफ युद्ध का समर्थन करते हैं.
- जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “अगर रूस यूक्रेन पर अपने हमले को समाप्त नहीं करता तो यूरोपीय शांति व्यवस्था पर इसका असर पड़ सकता है इसलिए देशों ने और उपायात्मक कदम उठाने की इच्छा पर जोर दिया है.”
- यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है और रूस के आक्रमण की निंदा करने के लिए भारत द्वारा UNSC में वोटिंग से परहेज करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में “राजनीतिक समर्थन” की मांग की है.
- यूक्रेन के स्वास्थ्य मंत्री विक्टर ल्याशको ने कहा कि रूस के साथ हुए संघर्ष में अब तक तीन बच्चों सहित 198 नागरिक मारे गए हैं जबकि 1,115 घायल हुए हैं.
- यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के एक सलाहकार ओलेक्सी एरेस्टोविच ने कहा कि यूक्रेन पर मास्को के हमले में अब तक लगभग 3,500 रूसी सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं. ओलेक्सी एरेस्टोविच ने कहा, “हम कीव के आसपास दुश्मन पर हमला कर रहे हैं. फिलहाल आगे नहीं बढ़ रहे हैं.”
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी विदेश विभाग को शुक्रवार को अमेरिकी भंडार से यूक्रेन को अतिरिक्त $350 मिलियन मूल्य के हथियार जारी करने का निर्देश दिया है.
आखिरकार क्या है नेटो विवाद :
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने नेटो के सामने अपने 73 साल के इतिहास में सबसे बड़ी चुनौती पेश की है.नेटो क्षेत्र की पूर्वी सीमा के ठीक बगल में युद्ध हो रहा है और नेटो के कई सदस्य देशों को लग रहा है कि रूस आगे उन पर हमला कर सकता है.सैन्य गठबंधन नेटो, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं,
पूर्वी यूक्रेन में अधिक सैनिक तैनात कर रहा है. हालांकि ब्रिटेन और अमेरिका ये स्पष्ट कर चुके हैं कि उनका यूक्रेन में अपने सैनिक भेजने का कोई इरादा नहीं है.
नॉर्थ एटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो 1949 में बना एक सैन्य गठबंधन है जिसमें शुरुआत में 12 देश थे जिनमें अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस शामिल थे. इस संगठन का मूल सिद्धांत ये है कि यदि किसी एक सदस्य देश पर हमला होता है तो बाकी देश उसकी मदद के लिए आगे आएंगे.
यह यूरोपीय देशों का एक सैन्य गठबंधन है और इसमें भौगोलिक स्थिति के हिसाब से सामरिक शक्ति को बढ़ाने के लिए सदस्य जोड़े जाते रहे हैं अपनी भौगोलिक स्थिति और कूटनीतिक कारणों से भारत नेटो का सदस्य नहीं है. दरअसल में नेटो में कोई भी एशियाई देश सदस्य नहीं है.
इसका मूल मक़सद दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस के यूरोप में विस्तार को रोकना था. 1955 में सोवियत रूस ने नेटो के जवाब में पूर्वी यूरोप के साम्यवादी देशों के साथ मिलकर अपना अलग सैन्य गठबंधन खड़ा किया था जिसे वॉरसा पैक्ट नाम दिया गया था.
लेकिन 1991 में सोवियत यूनियन के विघटन के बाद वॉरसा पैक्ट का हिस्सा रहे कई देशों ने दल बदल लिया और वो नेटो में शामिल हो गए.
नेटो गठबंधन में अब 30 सदस्य देश हैं.