एच ए एल के प्रमुख माधवन ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि भारत के तेजस लड़ाकू विमान को कई देश खरीदने पर विचार कर रहे है। गौर तलब है कि 48000 करोड़ रुपए के सौदे के तहत भारतीय वायु को तेजेस लड़ाकू विमान की डिलीवरी मार्च 2024 से शुरु होनी है।और कुल 83 विमान की आपूर्ति पूरी होने तक हर साल लगभग 16 विमान को तैयार किया जायेगा।
माधवन ने कहा कि ये भारत और हमारे लिए गौरव की बात है कि कई देश अभी से ही तेजस को खरीदने के लिए गहरी इच्छुकता दिखा रहे है। माधवन ने तेजस की खूबियां बताते हुए कहा कि तेजस मार्क1 ए जेट चीन के जेएफ 17 के मुकाबले काफी बेहतर है और ये आधुनिक सुविधाओ से लेश है इसमें बेहतर इंजन, अत्याधुनिक रेडार प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट है। इसकी खूबी बताते हुए माधवन ने कहा की इसका सबसे बडा अंतर हवा से हवा में ईंधन को भरने का है जो चीनी विमान में नही है।
तेजस विमान खरीद को पीएम मोदी द्वारा नेतृत्व कमिटी “कमीटी ऑन सिक्योरिटी” ने 13 जनवरी को भारतीय वायु सेना को बढ़ावा देने के लिए। एच ए एल से 73 तेजस लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 48 हजार करोड़ के सौदे को मंजूरी दी थी।
एच ए एल प्रमुख ने विमान की किमत बताते हुए कहा की लड़ाकू विमान की लागत 309 करोड़ होगी वहीं ट्रेनरिंग विमान 280 करोड़ की लागत का होगा।
आइए जानते है क्यों तेजस है अलग।
तेजस विमान अपने वायुगतिकीय रूप से और अपने डेल्टा विंग की खूबियों की वजह को लेकर अद्वितीय है, इसका मतलब यह है कि ये अपनी तेज गति में रहते हुए भी अपनी दिशा तय कर सकता है। अगर आसान शब्दों में बताया जाए तो ये है कि ये शुद्ध वायुगतिकीय सिद्धांतों की परवाह किए बिना इसे किसी भी दिशा में चलाया जा सकता है।
तेजस को आज की आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह एक आधुनिक वायु सेना की सामरिक आवश्यकताओं को पूरा करता है और यह एक बहु-भूमिका वाला विमान है जो जरूरत के अनुसार अपना काम निभा सकता है जो किसी भी सेना के लिए बहुत जरूरी है।
इसमें एक ख़ास तकनीक है जो इसे दुसरे विमानों से अलग करती है वो है इसकी फ्लाई-बाय-वायर तकनीक है।
जिसका मतलब है कि मैन्युअल उड़ान नियंत्रण को इलेक्ट्रॉनिक इंटरफ़ेस द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है जो स्वचालित रूप से उड़ान को संचालित करता है।
और आवश्यक होने पर इसे स्थिर करने में मदद करता है। विमान के कंप्यूटरों द्वारा भेजे गए संकेतों को पायलट के इनपुट के बिना, विमान द्वारा ही कार्यों में अनुवादित किया जाता है। ये सिस्टम तेजस को ना केवल खास बनाता है बल्कि अन्य लड़ाकू विमानों से अलग करता है।
तेजस की खूबियों में सबसे अहम है इसमें इस्तेमाल होने सीएससी सामग्री। तेजस जिस सामग्री से बना है उसे इस तरह चुना गया है कि विमान सबसे हल्के वजन का और मजबूती के साथ जुड़ा रह सके। विमान हैधड़ (दरवाजे और खाल), पंख (त्वचा, स्पार्स और पसलियों), ऊंचाई, टेलफिन, पतवार, एयर ब्रेक और लैंडिंग गियर दरवाजे सहित फ्रेमवर्क का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा सीएससी सामग्री से बना है।
विमान में सबसे अहम जगह पायलेट के लिए कॉकपिट होती है।जो तेजस में अपने ग्लास कॉकपिट के साथ इसे अलग बनाती है। तेजस जो एक आधुनिक कॉकपिट को संदर्भित करता है जिसमें सभी गोल डायल किए गए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल उपकरणों को मल्टी-फंक्शन डिस्प्ले (एमएफडी) और एक हेड अप डिस्प्ले (एचयूडी) से बदल दिया गया है।
तेजस के ग्लास कॉकपिट उड़ान प्रबंधन प्रणालियों द्वारा संचालित कई डिस्प्ले का उपयोग करता है, जिसे आवश्यकतानुसार उड़ान जानकारी प्रदर्शित करने के लिए समायोजित किया जा सकता है। इससे तेजस के संचालन और नेविगेशन को आसान बनाता है। इससे पायलटों को केवल सबसे आवश्यक जानकारी पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है। और वह पूरी तरह से अपने काम पर एकाग्र हो जाता है।
हथियारों के मामले में भी तेजस का कोई तोड़ नज़र नहीं आता। बता दे की तेजस ले भारी हथियारों को ले जानें में भी सक्षम है।तेजस को हवा से हवा, हवा से सतह, सटीक निर्देशित और गतिरोध हथियारों की एक वास्तविक बहुतायत की मेजबानी करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हवा से हवा के क्षेत्र में, तेजस दृश्य सीमा हथियारों से परे लंबी दूरी तक ले जाता है। और इसका अचूक निशाना इसे और लड़ाकू विमानों से अलग करता है।
ये सिर्फ कुछ ही खूबियां बताई गई है।इसके अलावा भी तेजस में कई खूबियां है जो इसे बहुत अच्छा लड़ाकू विमान बनाती है। यही कारण है की दुनिया इसे खरीदने का विचार कर रही ।