अमेरिका भारत के लिए धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट तैयार करता रहता है! विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने यूएससीआईआरएफ द्वारा भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण और गलत टिप्पणियों को देखा है। ये टिप्पणियां भारत और इसके संवैधानिक ढांचे, इसकी बहुलता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार की ‘गंभीर समझ की कमी’ को दर्शाती हैं।”भारत ने शनिवार को देश के खिलाफ ‘पक्षपाती’ और ‘गलत’ टिप्पणियों के लिए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की आलोचना की।
विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से यह कड़ी प्रतिक्रिया तब आई है जब एक दिन पहले यूएससीआईआरएफ ने भारत पर आलोचनात्मक आवाजों, विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके लिए रिपोर्टिंग और उनकी वकालत करने वालों का ‘दमन’ करने आरोप लगाया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “हमने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग द्वारा भारत के खिलाफ पक्षपातपूर्ण और गलत टिप्पणियों को देखा है।” उन्होंने कहा कि ये टिप्पणियां भारत और इसके संवैधानिक ढांचे, इसकी बहुलता और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार की ‘गंभीर समझ की कमी’ को दर्शाती हैं। बागची ने कहा, “अफसोस की बात है कि यूएससीआईआरएफ अपने प्रेरित एजेंडे के अनुसरण में अपने बयानों और रिपोर्ट्स में बार-बार तथ्यों को गलत तरीके से पेश करता है। इस तरह की कार्रवाई केवल संगठन की विश्वसनीयता और निष्पक्षता के बारे में चिंताओं को मजबूत करने का काम करती है।” विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।
बता दें कि इससे पहले जून के माह में यूएससीआईआरएफ ने एक रिपोर्ट में बाइडन प्रशासन को भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में ‘विशेष चिंता वाले देश’ के रूप में नामित करने की सिफारिश की थी। हालांकि बाइडन सरकार इस सिफारिश को मानने के लिए कहीं से भी बाध्य नहीं है।
इसी तरह साल 2020 में जब डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में में थे तब ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने भी भारत को सभी धर्मों के लिए ऐतिहासिक रूप से काफी सहिष्णु, स्मानपूर्वक देश बताते हुए कहा था कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के संदर्भ में जो भी हो रहा है उसे लेकर अमेरिका बहुत चिंतित है।
धार्मिक आजादी पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से एक दिन पहले जारी रिपोर्ट में भारत को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। भारत ने यह भी कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए इस तरह की रिपोर्ट अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी की जाती है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की इस रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक राजनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम आग्रह करते हैं कि पूर्वाग्रह पर आधारित और एकतरफा विचारों को इस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया जाए। भारत में सभी धर्मों के लोग रहते हैं और जिन्हें पूरी धार्मिक आजादी व उनके मानवाधिकार का संरक्षण किया जाता है। अमेरिका के साथ बातचीत में हम हमेशा ही नस्ली हिंसा, संप्रदाय विशेष पर हमला करने या गन कल्चर के मुद्दे को उठाते रहे हैं।’
बताते चलें कि मार्च, 2022 में अमेरिका यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी सार्वजनिक मंच से अमेरिका में मानवाधिकार के मुद्दे को उठाया था और कहा कि भारत को अमेरिका में कुछ मुद्दों को लेकर चिंता है।
ब्लिंकेन द्वारा जारी यह सालाना रिपोर्ट अमेरिकी सरकार का दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता का आकलन है. यह रिपोर्ट अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता आयोग द्वारा तैयार की जाती है. हालांकि आयोग अपनी रिपोर्ट अलग से भी जारी करता है, जो इस साल अप्रैल में आ चुकी है. अपनी रिपोर्ट में आयोग ने सिफारिश की थी कि भारत को उन देशों की सूची में डाला जाए, जहां धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति चिंताजनक है. ये वे देश होते हैं, जहां अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति सबसे खराब है. अमेरिका सरकार ने लगातार तीसरी बार भारत को चिंताजनक स्थिति वाले देशों की श्रेणी में शामिल करने की आयोग सिफारिश को स्वीकार नहीं किया है.रिपोर्ट को जारी करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने जिन देशों का विशेष तौर पर नाम लिया उनमें सऊदी अरब, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हैं. उन्होंने कहा, “चीन मुख्यतौर पर उइगुर मुसलमानों व अन्य अल्पसंख्यकों का संहार और दमन जारी रखे हुए है. अप्रैल 2017 से 10 लाख से ज्यादा उइगुर, कजाख मूलवासी और अन्यों को शिनजियांग के शिविरों में हिरासत में रखा गया है.”
ब्लिंकेन ने पाकिस्तान की स्थिति पर बात की. उन्होंने कहा कि 2021 में पाकिस्तान में कम से कम 16 लोगों को या तो ईशनिंदा के आरोप में या तो अदालत ने मौत की सजा सुनाई या फिर उन पर ऐसे आरोप लगाए गए.अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता ना सिर्फ एक मूलभूत अधिकार है बल्कि “विदेश नीति की महत्वपूर्ण प्राथमिकता” भी है. अप्रैल में भारत और अमेरिका के वरिष्ठ मंत्रियों के बीच 2+2 वार्ता के दौरान एक प्रेस सम्मेलन में भी ब्लिंकेन ने भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी की थी. ब्लिंकेन ने 11 अप्रैल को वॉशिंगटन में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में कहा था कि अमेरिका भारत में मानवाधिकारों के मोर्चे पर कुछ “चिंताजनक घटनाओं” पर नजर बनाए हुए है.
उसके कुछ ही दिन बाद 14 अप्रैल कोभारतीय विदेश मंत्री ने पलटवार करते हुए एक बयान दियाथा. जयशंकर ने पत्रकारों से कहा था, “लोगों को हमारे बारे में राय रखने का अधिकार है. हमें भी उतना ही अधिकार है कि उनकी राय, उसके पीछे के हित और उसे बनाने वाली लॉबियों और वोट बैंक पर अपनी राय रखें. तो इस पर जब भी कभी चर्चा होगी, मैं आपको बता सकता हूं कि हम अपनी पूरी बात रखेंगे.”