‘आदुजीवितम’ फ़िल्म एक मलयालम फ़िल्म है जिसका हाल ही में ट्रेलर रिलीज़ हुआ है आपको बता दे पृथ्वीराज सुकुमारन को मलयालम फ़िल्म का स्टॉर कहा जाता है. पृथ्वीराज सुकुमारन अपने मलयालम इंडस्ट्री को इंटरनेशनल पहचान दिलाना चाहते हैं जिसके लिए जमकर मेहनत करने में लगे रहते हैं. ‘आदुजीवितम’ फ़िल्म का ट्रेलर असल ज़िंदगी पर आधारित है जिसे देख आप हैरान हो जाएंगे. इस फ़िल्म को देख कर आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा साथ ही बता दे इस फ़िल्म में पृथ्वीराज सुकुमारन बड़े कमाल का ट्रांसफॉर्मेशन के साथ नज़र आए हैं. इस फ़िल्म की कहानी को बनने में क़रीब 14 साल का समय लगा है. इस फ़िल्म की कहानी सऊदी अरब से जुड़ी हुई है.
हमारे देश में देश से बाहर जाकर काम करना बहुत ही बड़ा और अच्छा माना जाता है और लोगों उसे तो आप अक्सर ही सुनते होंगे बाहर काम करने वाले लोग काफ़ी अच्छा पैसा कमाते हैं. कई लोग इंडिया में पढ़ाई कर बाहर देश में अच्छी कमाई, सुरक्षित जीवन और अच्छे लाइफ़स्टाइल जीने के लिए विदेश से निकल जाते हैं जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और कई बड़े और अच्छे कामों के लिए परंतु कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो अपने घर की हालात को ठीक करने के लिए विदेश में रहना और काम करना चुनते हैं परंतु जब नौकरी करने के लिए विदेश पहुँचते हैं तो उसी देश में जाकर फँस जाते हैं. इस प्रकार की ख़बरें आए दिन भी न्यूज़ और न्यूजपेपर में आती रहती है. इस फ़िल्म का ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है जिस पर इंडियन सिनेमा को अपनी नज़र रखनी चाहिए क्योंकि इंडियन सिनेमा से ज़्यादा तेज़ी से तेलुगू, कन्नड़ और तमिल इंडस्ट्रीज़ अपनी पकड़ बना रही है. जिसके कारण मलयालम इंडस्ट्री की पहुँच नहीं बढ़ पा रही. आपने भी कई बार पृथ्वीराज सुकुमारन से कहते सुना होगा कि उन्हें मलयालम इंडस्ट्री को इंटरनेशनल लेवल पर लेकर जाने का सपना है जहाँ साउथ की बाक़ी इंडस्ट्री पहले से मौजूद है.
जानिए फ़िल्म को बनाने में 14 साल क्यों लगे ?
‘आदुजीवितम’ फ़िल्मों को बनने में पूरे 14 साल का समय लगा है जिसके पिछले साल की पैक की तस्वीरें सामने आयी थी जिसे शेयर करते हुए पृथ्वीराज ने लिखा था, ‘14 साल हज़ार बाधाएँ, लाखो चुनौतियाँ, एक महामारी यानी (Covid-19) के तीन लहर…. और एक अद्भुत विजन!’ फ़िल्म का नाम मलयालम नॉवल पर आधारित है. यह नॉवल्स साल 2008 में आया था जैसे पढ़ने के बाद फ़िल्ममेकर ब्लेसी इस कहानी को एडापट करना चाहती थी. जिसके लेखक बेनयामिन है. जिसके बाद साल 2010 में फ़िल्ममेकर ब्लेसी ने पृथ्वीराज सुकुमारन को इस फ़िल्म में लेने का अनाउंसमेंट कर दिया था और साल 2010 में ही इस फ़िल्म की शूटिंग शुरू होने वाली थी पर हो ना सकी. साल 2012 में ब्लेसी की ओर से कहा गया फ़िल्म के प्रोडक्शन के लिए जितना बजट चाहिए वे अधिक है. साल 2017 की बात करें तो इस साल एक्ट्रेस के साथ कास्टिंग को फ़ाइनल किया गया था जिसमें सोमालिया और हैती को कास्ट किया गया था. साल 2018 में फ़िल्म की शूटिंग को शुरू किया गया.
फ़िल्म की कहानी
‘आदुजीवितम‘ एक मलयाली प्रवासी मजदूर, नजीब मोहम्मद की कहानी है. नौकरी करने के लिए सऊदी अरब पहुँचता है जहाँ खो जाताहै. एक फ़ार्म मालिक उसे अपना गुलाम बना लेता है और उससे बकरियां चरवाता है. फिल्म का ट्रेलर देखकर लगता है जैसे नजीब मोहम्मद और उसके साथ के दो और गुलाम इस नरक जैसी जिंदगी से बचने के लिए रेगिस्तान पार करने निकल जाते हैं. ‘आदुजीवितम‘ के ट्रेलर में एक किरदार, नजीब बने पृथ्वीराज को कहता दिख रहा है– ‘चलते ही रहना है, जब तक मर नहीं जाते‘.
फ़िल्म को ट्रांसफॉर्मेशन बनाता है खास
पृथ्वीराज सुकुमारन ने नजीब के रोल को निभाने के लिए अपना 24 किलो वज़न घटाया है जिसके बाद ट्रेलर में बेहद अलग लग रहे हैं. जिसे देख आप यक़ीन नहीं कर पाएंगे कि वह पृथ्वीराज है या नहीं. प्लेसी ने इस ट्रांसमिशन को लेकर बताया कि जब वह नोबल पढ़रही थी तभी उनके दिमाग़ में ख़ुद ऐसे तस्वीरें बनने लगे थे पर उसे फ़िल्मों में उतारना काफ़ी बड़ा चैलेंज था. नजीब को अरबी भाषा नहीं आती थी, इसलिए नॉवेल में जब उसका मालिक उसे डांटता है तो लोग मलयालम में पढ़ सकते हैं. मगर स्क्रीन पर ये दिखाना थाकि एक अनजान भाषा में डांट खाते नजीब के मन की क्या हालत थी. ब्लेसी ने कहा था कि वो फिल्म के विजुअल्स को, नॉवेल पढ़ते हुए रीडर के दिमाग में बनने वाले विजुअल्स से आकर्षित बनाना चाहते हैं ताकि देखने वालों को नजीब का एक्सपीरियंस महसूस हो.