आपको जानकर गर्व होगा कि सभी देशों से ज्यादा महिला पायलट हमारे भारत में हैं! साल 1989 में निवेदिता भसीन दुनिया की सबसे कम उम्र की कमर्शियल एयरलाइन कैप्टन बनी थीं। यह भारतीय पायलट आज भी अपने उन शुरुआती दिनों को याद करती हैं। उस समय दूसरे क्रू मेंबर्स उन्हें कॉकपिट में ही रहने के लिए कहते थे, ताकि यात्री एक महिला को विमान उड़ाते देख घबरा न जाएं। भसीन के करियर की शुरुआत के 3 दशक बाद, अब भारत में महिला पायलट्स की भरमार हैं। जब एयरलाइन इंडस्ट्री में डायवर्सिटी की बात आती है, तो भारत दुनिया के सामने एक मिसाल बनकर खड़ा दिखाई देता है। भारत में विश्व स्तर पर महिला पायलट्स का प्रतिशत सबसे अधिक है। भारत में कुल पायलट्स का 12.4% महिलाएं हैं। जबकि दुनिया की सबसे बड़े एविएशन मार्केट अमेरिका में यह 5.5 फीसदी है और यूके में 4.7 फीसदी है। यह अनुमान इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वुमन एयरलाइन पायलट का है।
ऐसा क्या है खास?
ये आंकडे किसी को भी आश्चर्य में डाल सकते हैं। एक ऐसा देश जो विश्व आर्थिक मंच की लैंगिक समानता के आधार पर की गई रैंकिंग में 146 देशों में 135 वें स्थान पर है। उस देश ने महिला पायलट्स के मामले में पूरी दुनिया को पीछे छोड़ दिया। इस सवाल का जवाब खुद निवेदिता भसीन ने दिया है। भसीन ने कहा, ‘भारतीय महिलाओं को एविशन इंडस्ट्री में कई कारकों के चलते प्रोत्साहन मिलता है। इनमें आउटरीच कार्यक्रमों से लेकर बेहतर कॉर्पोरेट नीतियां और मजबूत पारिवारिक सर्मथन शामिल है। इसके अलावा कई महिलाएं नेशनल कैडेट कॉर्प्स (NCC) के एयरविंग से उड़ानों की ओर आकर्षित होती हैं।’
साल 1948 में बनी एनसीसी एक यूथ प्रोग्राम है, जहां छात्रों को हल्के एयरक्राफ्ट उड़ाना सिखाया जाता है। इससे महंगी कमर्शियल पायल ट्रेनिंग तक पहुंच महिलाओं के लिए आसान हो जाती है। देश में महिला पायलट्स के लिए बेहतर माहौल तैयार करने में सबने मिलकर प्रयास किया है। कुछ राज्य सरकारों ने सब्सिडी योजनाएं भी चला रखी हैं। इसके अलावा होंडा मोटर जैसी कंपनियां इंडियन फ्लाइंग स्कूल में महिलाओं को 18 महीने के कार्यक्रम की फुल स्कॉलरशिप देती हैं।
फ्लोरिडा में रह रहीं प्रोफेसर मिशेल हॉलरन ने कहा, ‘भारत ने दशकों पहले ही पायलट्स सहित एसटीईएम पदों पर महिलाओं की नियुक्ति करनी शुरू कर दी थी। दुनिया के अन्य देशों में ऐसा नहीं हुआ। भारतीय एयरफोर्स ने महिला पायलट्स को हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट के लिए 1990 के दशक से ही भर्ती करना शुरू कर दिया था।
भारत में एयरलाइंस ने महिला पायलट्स के लिए काफी सुविधाजनक माहौल तैयार किया है। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की ही बात करें, तो यह इन पायलट्स् को काफी आसान शर्तों पर जॉब देती है। महिला पायलट्स को गर्भावस्था के दौरान उड़ान की ड्यूटी नहीं दी जाती। कानून के अनुसार, उन्हें 26 महीने की तनख्वाह के साथ मैटरनिटी लीव दी जाती है। इसके साथ ही बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच भी उपलब्ध होते हैं। जब तक बच्चा 5 साल का न हो जाए, तब तक महिला पायलेट्स फ्लेक्सिबल कॉन्ट्रेक्ट ले सकती हैं। इसमें एक कैलेंडर महीने में 2 हफ्ते की छुट्टी दी जाती है।
कई एयरलाइंस देर रात तक उड़ान भरने वाली महिलाओं को एक ड्राइवर और गार्ड की सुविधा भी देती हैं। विस्तारा एयरलाइंस की बात करें, तो यह गर्भवति महिला पायलट्स और केबिन क्रू को अस्थाई तौर पर ग्राउंड या प्रशासनिक ड्यूटी का विकल्प देती है। साथ ही इन्हें 6 महीने की सैलरी के साथ मैटरनिटी लीव दी जाती है।
भारत में महिला पायलट्स की संख्या ज्यादा होने के पीछे एक कारण यहां का पारिवारिक माहौल भी है। भारत में संयुक्त परिवारों की भरमार हैं। यहां बच्चों को पैरेंट्स की ओर से भरपूर सपोर्ट मिलता है। महिला पायलट्स को भारतीय परिवारों में काफी सम्मान मिलता है और उन्हें सपोर्ट किया जाता है।
जो भारतीय महिलाएं एयलाइन इंडस्ट्री में सफल हुई हैं, वे लड़कियों को एविएशन के बारे में शिक्षित कर रही हैं। किसी भारतीय एयरलाइन की पहली महिला प्रमुख बनने वाली हरप्रीत ए डी सिंह ने यह बात कही। सिंह ने साल 2020 में एलायंस एयर एविएशन का कार्यभार संभाला था। वे पायलट्स, टेक्नीशियन और हवाई यातायात नियंत्रकों सहित कई दूसरी एविएशन सेक्टर की नौकरियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों में आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करती हैं। सिंह ने कहा, “समय के साथ पूरे देश में इस निरंतर प्रयास ने बड़ी संख्या में महिलाओं को यह पेशा चुनने के लिए प्रेरित किया है। कुछ को तो यह भी नहीं पता था कि ऐसा भी कोई काम होता है।”