Friday, November 22, 2024
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हृदय – फेफड़े दोनों को मजबूती देता है, यह योगासन!

योग हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं, इन के माध्यम से हम कई आंतरिक बीमारियों को अपने शरीर से दूर कर सकते हैं और लंबी उम्र एवं स्वास्थ्य प्रद उम्र जी सकते हैं! शरीर के बेहतर ढंग से काम करते रहने के लिए सभी अगों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते रहने की आवश्यकता होती है। इसमें भी हृदय और फेफड़ों की विशेष भूमिका होती है। हृदय रक्त को पंप करते रहने के लिए आवश्यक हैं, जबकि फेफड़े ऑक्सीजन को सभी अंगों तक पहुंचाने और श्वसन कार्य को व्यवस्थित रखने में मदद करते हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इन दोनों अंगों की समस्या से ग्रसित लोगों के मामले काफी बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। विशेषकर कोरोना संक्रमण ने इन दोनों अंगों की सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को इससे संबंधित बीमारियों के जोखिम को कम करते रहने वाले उपायों को करते रहने की सलाह देते हैं।

हृदय और फेफड़े के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने और इससे संबंधित तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने के लिए नियमित रूप से योगासनों के अभ्यास की आदत को काफी लाभकारी माना जाता है। योगासन, इन अंगों को स्वस्थ बनाए रखने के साथ इनके कार्यों को आसान बनाने में मदद कर सकते हैं।

मत्स्यासन या फिश पोज़, फेफड़ों और हृदय को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बेहतर योगासनों में से एक है। यह योग मुद्रा ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाने और शरीर में रक्त परिसंचरण को भी सुधारने में मददगार मानी जाती है।  कई प्रकार के श्वसन विकारों को दूर करने, फेफड़े और हृदय के कार्यों को बेहतर बनाए रखने के लिए रोजाना इस योगासन के अभ्यास की आदत आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। 

बो पोज़ या धुनषासन योग के अभ्यास को स्वास्थ्य विशेषज्ञ फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने, श्वसन क्रियाओं को बेहतर बनाए रखने के साथ हृदय को मजबूती देने वाला मानते हैं। इस योग का नियमित अभ्यास वायुमार्ग से बलगम को साफ करके सांस लेने की प्रक्रिया को सुलभ बनाता है। योग विशेषज्ञ कहते हैं, सूर्योदय से पहले इस योग के अभ्यास की आदत को काफी फायदेमंद माना जता है। यह आपको पूरे दिन ऊर्जावान, सकारात्मक और सक्रिय रखने में भी मदद करती है।

मेडिटेशन जिसे ध्यान मुद्रा के रूप में जाना जाता है, यह अभ्यास हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करने में विशेष मददगार हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि संगीत, ध्यान और माइंडफुलनेस जैसे अभ्यास आपके हृदय के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। प्रतिदिन 10 मिनट माइंडफुलनेस या मेडिटेशन का अभ्यास करने से हृदय गति में सुधार, तनाव कम होता है और रक्तचाप नियंत्रित बना रहता है। इस योग आसन का नियमित अभ्यास हृदय रोग, मधुमेह और स्ट्रोक के जोखिम को कम करता है।मेडिटेशन आजकल एक फैशन की तरह इस्तेमाल होने लगा है। कोई किताब पढ़ कर तो कोई किसी से कुछ सुनकर मेडिटेशन का अपना मतलब और अपना तरीका विकसित कर लेता है। ऐसे में बहुत जरूरी है यह जानना कि आखिर मेडिटेशन है क्या?’मेडिटेशनÓ शब्द के साथ लोगों के दिमाग में कई तरह की गलत धारणाएं हैं। सबसे पहली बात तो यह कि अंग्रेजी के मेडिटेशन शब्द का कुछ सार्थक मतलब नहीं है। अगर आप बस आंखें बंद कर बैठ जाएं तब भी अंग्रेजी में इसे मेडिटेशन करना ही कहा जाएगा। आप अपनी आंखें बंद करके बैठे हुए बहुत से काम कर सकते हैं- जप, तप, ध्यान, धारना, समाधि, शून्या कुछ भी कर सकते हैं।पश्चिमी समाज में देखें तो जाहिर है कि आज आप जिन चीजों को पाने का सपना देखते हैं, वे ज्यादातर पहले से ही उनके पास हैं। क्या आपको लगता है, वे संतुष्ट हैं, आनंद की स्थिति में हैं? नहीं आनंद के आसपास भी नहीं हैं वे। या यह भी हो सकता है कि आपको बस सीधे बैठकर सोने की कला में महारत हासिल हो।

तो आखिर वह चीज है क्या, जिसे हम मेडिटेशन कहते हैं? आमतौर पर हम ऐसा मान लेते हैं कि मेडिटेशन से लोगों का मतलब ध्यान से होता है। अगर आप ध्यान को मेडिटेशन समझते हैं तो यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे आप कर सकते हैं। जिन लोगों ने भी ध्यान करने की कोशिश की है, उनमें से ज्यादातर अंत में इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि इसे करना या तो बेहद मुश्किल है या फिर असंभव। और इसकी वजह यह है कि उसे आप करने की कोशिश कर रहे हैं।

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