यूक्रेन में युद्ध छिड़ने के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में पहली बार रूस के ख़िलाफ़ मतदान किया है.संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को इस दौरान वीडियो-टेलीकॉन्फ्रेंस के ज़रिए बैठक को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया.रूस ने फ़रवरी महीने में यूक्रेन पर हमला किया था. इसके बाद पश्चिमी देशों ने रूस के ख़िलाफ़ कई प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किए, जिससे भारत ने दूरी बनाए रखी. अमेरिका ने कई मौकों पर भारत को अपने रुख पर गौर करने की सलाह भी दी है.रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से भी भारत ने अपने रिश्तों पर असर नहीं आने दिया. बल्कि भारत ने रूस से सस्ती दरों पर तेल खरीदा और अपने इस फैसले का खुलकर बचाव भी किया.भारत बार-बार ये कहता आ रहा है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. भारत ने कई बार कूटनीतिक एवं वार्ता के रास्ते इस संघर्ष को ख़त्म करने की अपील भी की है.लेकिन भारत ने अब तक यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है. बीते छह महीने में ये पहली बार है जब भारत ने यूक्रेन के पक्ष में मतदान किया है.बीजेपी नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि पहली बार भारत ने यूएनएससी में रूस के ख़िलाफ़ मतदान किया. उन्होंने इसे बहुत अच्छा कदम बताते हुए एलएसी के मुद्दे पर चीन को अल्टीमेटम देने की मांग भी की.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में क्या हुआ
सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन की आज़ादी की 31वीं सालगिरह पर बीते छह महीने से जारी युद्ध की समीक्षा के लिए बुधवार को बैठक बुलाई थी.बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र में रूस की राजदूत वासिली एक नेबेंज़िया ने वीडियो टेली-कॉन्फ़्रेंस के ज़रिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की के बैठक में हिस्सा लेने के संबंध में एक प्रक्रियात्मक वोट कराने का अनुरोध किया.सुरक्षा परिषद के 15 में से 13 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस ने इसके ख़िलाफ़ वोट दिया और चीन वोटिंग से बाहर रहानेबेंज़िया ने इस बात पर ज़ोर दिया कि रूस ज़ेलेंस्की के बैठक में हिस्सा लेने के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि वो वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से संबोधन के ख़िलाफ़ है. रूस ने कहा कि ज़ेलेंस्की को व्यक्तिगत तौर पर बैठक में शामिल होना चाहिए.उन्होंने तर्क दिया कि कोरोना महामारी के दौरान सुरक्षा परिषद ने वर्चुअली काम करने का फ़ैसला लिया था लेकिन ये बैठकें अनौपचारिक होती थीं और महामारी के मंद पड़ने पर परिषद अपने पुराने नियमों का पालन करने लगा है.भारत वर्तमान में दो सालों के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है. ये सदस्यता इसी साल दिसंबर महीने तक है.भारत की ओर से कहा गया है कि ये मतदान रूस या यूक्रेन के बारे में नहीं था. वोटिंग इसलिए करनी थी क्या ज़ेलेंस्की को सुरक्षा परिषद की बैठक में हिस्सा लेने दिया जाए या नहीं.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बाग़ची से साप्ताहिक मीडिया ब्रीफ़िंग के दौरान वोटिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि हमने किसी के ख़िलाफ़ मतदान नहीं किया है. ये मुद्दा उनको (ज़ेलेंस्की) वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए बोलने देने के बारे में था और हमने इसके पक्ष में वोट किया.””ये तीसरी बार था जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में वर्चुअली भाषण दिया और हमने इसका समर्थन किया. इसलिए, रूस के ख़िलाफ़ हमारे मतदान करने का सवाल नहीं उठता.”
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है कि ये महज़ एक प्रक्रियात्मक मतदान था, किसी विषय से संबंधित प्रस्ताव नहीं था. इसलिए रूस का वोट वीटो नहीं माना गया.यूक्रेन पर सुरक्षा परिषद की चर्चा के दौरान राजदूत रुचिरा कंबोज ने एक बार फिर से भारत का रुख दोहराते हुए हिंसा को तत्काल रोकने की अपील की. उन्होंने कहा कि हम यूक्रेन और रूस के बीच बातचीत को बढ़ावा देते हैं. रुचिरा कंबोज ने ये भी ध्यान दिलाया कि ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों देशों के प्रमुख से बात कर चुके हैं.
यूक्रेन-रूस युद्ध के मुद्दे पर बदला भारत का रुख?
इस साल फ़रवरी महीने से लेकर अब तक सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र में रूस के ख़िलाफ़ लाए गए दर्जन भर से अधिक प्रस्तावों पर हुई वोटिंग से भारत ने दूरी बनाए रखी.यूक्रेन युद्ध का अब तक भारत और रूस के संबंधों पर कोई ख़ास असर नहीं दिखा है. बल्कि युद्ध शुरू होने के बाद रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ़ भारत के दौरे पर भी आए थे.लेकिन सुरक्षा परिषद के प्रक्रियात्मक मसलों पर भारत की स्थिति को जानकार इस मुद्दे पर उसके पुराने रुख में बदलाव के तौर पर नहीं देखते हैं.