नई दिल्ली केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने देशवासियों को 100 वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर शुभकामनाएँ दीं हैं। अपने ट्वीट्स में श्री अमित शाह ने कहा कि 100वें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर उन सभी महापुरुषों को नमन करता हूँ जिन्होंने भारत में सहकारिता के विचार को बल देने के लिए अथक प्रयास किये। साथ ही सहकारिता क्षेत्र के माध्यम से गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवनस्तर को ऊपर उठाने में जुटे सभी भाईयों-बहनों को बधाई देता हूँ। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता का विचार सर्वस्पर्शीय व सर्वसमावेशी विकास की कल्पना को चरितार्थ करने का सबसे उत्तम माध्यम है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाकर इस क्षेत्र को और सशक्त, आधुनिक व पारदर्शी बनाने के लिए संकल्पित है। सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा है कि मैं यह निश्चित तौर कह सकता हूं कि सहकारिता का मॉडल एक बीच का मार्ग है। यह एक ऐसा मॉडल है जिसके सफल होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। कार्यक्रम के दौरान सहकारिता मंत्री ने कहा है कि बीते सौ सालों के दौरान हमने बहुत बेहतर तरीके से से काम किया है। आने वाले सौ सालों में हमें और अधिक बेहतर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि सहकारिता एक विचार है, इसके मूल्यांकन के लिए 100 समय बहुत कम है। केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने 100वें सहकारिता दिवस पर कहा है कि आने वाले सौ सालों में उन क्षेत्रों में काम करने की जरूरत है जो क्षेत्र पीछे छूट गए हैं। उन्होंने यहां 100वां अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में गरीबों की भलाई और उन्हें बिजली, रसोई गैस, आवास तथा स्वास्थ्य बीमा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ ”गरीबी हटाओ” का नारा दिया, लेकिन गरीबी को खत्म करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए। उन्होंने कहा कि पूंजीवाद और साम्यवाद शासन के चरम रूप हैं, और विकास का सहकारी मॉडल ही देश के लिए सबसे उपयुक्त है। सहकारिता मंत्रालय सहकारी क्षेत्र को पेशेवर और बहुआयामी बनाकर विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कौशल प्रशिक्षण देने के लिए लेखांकन, विपणन और प्रबंधन जैसे विषयों पर आधारित एक सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित किया जाएगा। शाह ने कहा कि प्रशिक्षित जनशक्ति को सहकारी समितियों में शामिल किया जा सकता है और इससे नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद भी समाप्त होगा।उन्होंने कहा कि कानूनों में भी बदलाव की जरूरत है, लेकिन साथ ही उन्होंने सहकारी समितियों के बीच स्व-नियमन पर जोर दिया। शाह ने कहा कि सरकार ने हाल ही में 2,516 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सभी कार्यात्मक 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कंप्यूटरीकरण का फैसला किया है। इस कदम से लेखांकन और बही-खाता पद्धति में पारदर्शिता आएगी। भारत में सहकारिता आंदोलन दुनिया में सबसे बड़ा है। वर्तमान में भारत में सहकारी समितियां 8.5 लाख से अधिक के नेटवर्क के साथ 90 प्रतिशत गांवों को कवर करती हैं, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समावेशी विकास के लिए सामाजिक आर्थिक विकास लाने के लिए महत्वपूर्ण संस्थान है।
100वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस का विषय सहकारिता से एक बेहतर विश्व का निर्माण है। एक बेहतर दुनिया बनाने में आत्मनिर्भर भारत के महत्व को ध्यान में रखते हुए, सहकारिता मंत्रालय और एनसीयूआई सहकारिता से एक आत्मनिर्भर भारत और बेहतर विश्व का निर्माण विषय वस्तु के साथ कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत की मूल अवधारणा और विजन भारतीय अर्थव्यवस्था के आत्मनिर्भर विकास पर आधारित है और भारत का सहकारिता मॉडल भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत पर बल देने के अनुरूप है। बता दें कि केंद्र सरकार पीएसी के कारोबार का दायरा बढ़ाना चाहती है। उसके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, फसल बीमा योजना और खाद तथा बीज वितरण का नोडल एजेंसी बनाना चाहती है। सरकार चाहती है कि पीएसी इस क्षेत्र में सार्वजनिक बैंकों का एकाधिकार समाप्त करे। इसके लिए केंद्र सरकार की सहकारिता मंत्रालय के माधाम से आगामी पांच सालों में इस क्षेत्र में बड़ी क्रांति करने की योजना है। राज्यों में सहकारी क्षेत्र को व्यापक बनाने की कोशिश की जा रही है। सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा है कि मैं यह निश्चित तौर कह सकता हूं कि सहकारिता का मॉडल एक बीच का मार्ग है। यह एक ऐसा मॉडल है जिसके सफल होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है l