क्या ईडब्ल्यूएस के जरिए चुनावों में लगी बीजेपी की लॉटरी?

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ईडब्ल्यूएस जैसे कई मुद्दों के जरिए बीजेपी की चुनावों में लॉटरी लग चुकी है! गुजरात, हिमाचल में विधानसभा चुनाव और दिल्ली में एमसीडी इलेक्शन से पहले सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने बीजेपी को गुलजार कर दिया है। केंद्र की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग EWS को दिए गए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से जितनी राहत और तसल्ली गरीब सवर्ण वर्ग के लोगों को हुई होगी, उससे कहीं ज्यादा यह फैसला बीजेपी के लिए फायदेमंद लग रहा है। दरअसल केंद्र सरकार ने 2019 में सिस्टम में बदलाव करते हुए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों EWS के लिए 10 प्रतिशत कोटा देने का फैसला किया था। देश में गुजरात ऐसा पहला राज्य है, जिसने सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण को देने का फैसला किया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पूरे देश में लागू करने पर सहमति दे दी है। ऐसे में चुनाव से पहले बीजेपी के पास जनता के बीच वोट मांगने की बड़ी वजह मिल गई है।

कांग्रेस समेत पूरी विपक्षी पार्टियां विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी को बेरोजगारी और मंहगाई के मुद्दे पर घेर रही है। कांग्रेस ने तो केंद्र सरकार को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरने के लिए पूरे देश में भारत जोड़ो यात्रा शुरू कर रखी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से ईडब्ल्यूएस आरक्षण को मंजूरी देते ही विपक्ष को बड़ा झटका लगा होगा और बीजेपी को बैठे-बैठे जनता से लोट मांगने की वजह मिल गई है। गुजरात में आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को उच्च जाति के हिंदुओं का 60 से 62 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की संभावना काफी बढ़ गई है।

EWS कोटे में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आर्थिक आधार पर आरक्षण मिला हुआ है। इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के अनुसार, अब देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण जारी रहेगा। शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10% आरक्षण की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला की 5 जजों की बेंच ने सात दिनों तक इस मामले पर चर्चा की और फिर फैसला सुनाया।

दिल्ली नगर निगम चुनाव MCD Election 2022 की तारीख 4 दिसंबर तय की गई है। उसी दिन 250 वार्डों में दिल्‍ली की ‘छोटी सरकार’ चुनने के लिए वोट डाले जाएंगे। दिल्ली की केजरीवाल सरकार बीजेपी को कूड़े के पहाड़ के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को हरी झंडी देकर दिल्ली का चुनावी समीकरण काफी हद तक बिगाड़ दिया है। दरअसल दिल्ली में रहने वाली एक बड़ी आबादी बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से हैं, जो 10 से 15 हजार की मासिक आमदनी में अपना जीवन गुजारा करती है। इस फैसले इन लोगों को काफी राहत मिलेगी और बीजेपी को इसका सीधा फायदा एमसीडी चुनाव में मिलेगा।

हिमाचल प्रदेश में 68 विधानसभा और गुजरात में 182 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में EWS श्रेणी में आने वाले गरीब सवर्णों का वोट सीधे तौर पर बीजेपी के खाते में जा सकता है। बीजेपी को इन दोनों राज्यों में उच्च जाति के हिंदुओं का 60 से 62 प्रतिशत वोट शेयर मिलने की पूरी संभावना है। गुजरात में इस सवर्ण आरक्षण से प्रदेश के 2 करोड़ लोगों को फायदा मिलेगा जो आबादी का लगभग 30 फीसदी हैं। ईडब्ल्यूएस कोटे से राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण और कायस्थ, बनिया और पाटीदार जातियों को फायदा मिलेगा। उधर हिमाचल में जाति समीकरण की बात करे तो राजपूत 33 फीसदी, ब्राह्मण 20 फीसदी और ओबीसी 14 और एसटी करीब 6 फीसदी हैं। ऐसे में चुनाव से पहले गरीब सवर्ण वर्ग को मिले आरक्षण का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही होता दिखाई दे रहा है।दरअसल दिल्ली में रहने वाली एक बड़ी आबादी बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से हैं, जो 10 से 15 हजार की मासिक आमदनी में अपना जीवन गुजारा करती है। इस फैसले इन लोगों को काफी राहत मिलेगी और बीजेपी को इसका सीधा फायदा एमसीडी चुनाव में मिलेगा। यहां हम आपको बता दें कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को भारत में ईडब्ल्यूएस कहा जाता है। इस वर्ग में ऐसे लोग आते हैं जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 8 लाख रुपये से कम है। इस श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जो एसटी / एससी / ओबीसी की जाति श्रेणियों से संबंधित नहीं हैं जो पहले से ही आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।