कई जेलर ऐसे थे जो मुख्तार अंसारी के दोस्त थे! चित्रकूट मंडल मुख्यालय बांदा में बाहुबली मुख्तार अंसारी और चित्रकूट जेल में विधायक पुत्र अब्बास अंसारी कैद हैं। जिस तरह चित्रकूट में विधायक पुत्र से जेल के अफसरों को दोस्ती महंगी पड़ी, ठीक उसी तरह से बांदा जेल में मुख्तार अंसारी से याराना रखने वाले अफसरों पर भी निलम्बन की गाज गिर चुकी है। दो डिप्टी जेलर और एक जेलर निलंबित हुए जबकि कई बंदी रक्षकों को भी निलंबन की सजा झेलनी पड़ी। बात उस वक्त की है जब विधायक रहते जब मुख्तार अंसारी को सबसे पहले लखनऊ से बांदा जेल शिफ्ट किया गया था। उस समय भी बांदा के जेलर और डिप्टी जेलर उन पर मेहरबान रहे। मुख्तार को 30 मार्च 2017 को पहली बार मंडल कारागार में शिफ्ट किया गया था। उस वक्त जेलर रंजीत सिंह और डिप्टी जेलर ताड़केश्वर प्रताप सिंह तैनात थे। इनकी तैनाती के दौरान ही मुख्तार अंसारी को पंजाब कि रोपड़ जेल ट्रांसफर किया गया था। जांच में जेलर और डिप्टी जेलर की भूमिका की पुष्टि हुई थी। इसके बाद इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई निलंबन के रूप में हुई।
इसी तरह तत्कालीन जिलाधिकारी अनुराग पटेल और पुलिस अधीक्षक अभिनंदन द्वारा 6 जून 2022 को जेल का आकस्मिक निरीक्षण किया गया था। निरीक्षण के दौरान जिस बैरक में मुख्तार अंसारी बंद था। उसकी चाबी डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप पांडे ने देने में आनाकानी की थी। बैरक खोलने में 15 मिनट का समय लग गया था। संदेह होने पर दोनों अधिकारियों ने मुख्तार के बैरक की तलाशी ली। तलाशी के दौरान उनकी बैरक में दशहरी आम, खजूर और कीवी फल के अलावा जेल मैनुअल से अलग घर का बना हुआ खाना मिला था। इस पर जिलाधिकारी ने मामले की जानकारी जेल के उच्च अधिकारियों को दीं थी। इस पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप और चार बंदी रक्षकों को निलंबित किया गया था।
जेल अफसरों और बंदी रक्षकों से मुख्तार के याराना को देखते हुए जेल प्रशासन ने तमाम बंदिशें लगा दी।निरीक्षण के दौरान जिस बैरक में मुख्तार अंसारी बंद था। उसकी चाबी डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप पांडे ने देने में आनाकानी की थी। बैरक खोलने में 15 मिनट का समय लग गया था। संदेह होने पर दोनों अधिकारियों ने मुख्तार के बैरक की तलाशी ली। तलाशी के दौरान उनकी बैरक में दशहरी आम, खजूर और कीवी फल के अलावा जेल मैनुअल से अलग घर का बना हुआ खाना मिला था। इस पर जिलाधिकारी ने मामले की जानकारी जेल के उच्च अधिकारियों को दीं थी। इस पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप और चार बंदी रक्षकों को निलंबित किया गया था। यहां तक की हर महीने अलग-अलग जेलों से बंदी रक्षकों की तैनाती की गई। इस बीच मुख्तार अंसारी से दोस्ती के कारण निलंबन की गाज गिरने से यहां जेल अधिकारी व बंदी रक्षक आने से कतराने लगे। यही वजह है कि यहां 15 माह 13 दिन तक जेल अधीक्षक की कुर्सी खाली रही। जिनका ट्रांसफर बांदा जेल में हुआ उन्होंने यहां आने के बजाय दूसरी जेलों का चार्ज लिया।
इसी तरह बरेली कारागार के अधीक्षक विजय विक्रम सिंह की बांदा पोस्टिंग हुई थी।निरीक्षण के दौरान जिस बैरक में मुख्तार अंसारी बंद था। उसकी चाबी डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप पांडे ने देने में आनाकानी की थी। बैरक खोलने में 15 मिनट का समय लग गया था। संदेह होने पर दोनों अधिकारियों ने मुख्तार के बैरक की तलाशी ली। तलाशी के दौरान उनकी बैरक में दशहरी आम, खजूर और कीवी फल के अलावा जेल मैनुअल से अलग घर का बना हुआ खाना मिला था। इस पर जिलाधिकारी ने मामले की जानकारी जेल के उच्च अधिकारियों को दीं थी। इस पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप और चार बंदी रक्षकों को निलंबित किया गया था। उन्होंने ज्वाइन नहीं किया तब गृह मंत्रालय ने उन्हें निलंबित करते हुए संपूर्णानंद कारागार से संबद्ध कर दिया था।
अब इस बार रायबरेली कारागार से अविनाश गौतम को जेल अधीक्षक के रूप में भेजा गया और आखिरकार 15 माह 13 दिन बाद जेल अधीक्षक की कुर्सी पर कोई अधिकारी विराजमान हुआ।निरीक्षण के दौरान जिस बैरक में मुख्तार अंसारी बंद था। उसकी चाबी डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप पांडे ने देने में आनाकानी की थी। बैरक खोलने में 15 मिनट का समय लग गया था। संदेह होने पर दोनों अधिकारियों ने मुख्तार के बैरक की तलाशी ली। तलाशी के दौरान उनकी बैरक में दशहरी आम, खजूर और कीवी फल के अलावा जेल मैनुअल से अलग घर का बना हुआ खाना मिला था। इस पर जिलाधिकारी ने मामले की जानकारी जेल के उच्च अधिकारियों को दीं थी। इस पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप और चार बंदी रक्षकों को निलंबित किया गया था। अभी भी मुख्तार अंसारी के कारण जेल के अधिकारी यहां आने से कतरा रहे हैं। जेल प्रशासन विभागीय कर्मचारियों और बंदी रक्षकों की सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से लगातार निगरानी कर रहा है ताकि मुख्तार अंसारी से याराना रखने वाले बेनकाब हो सके।