क्या चुनावी बॉन्ड के नाम पर हुआ था घोटाला?

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यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या चुनावी बॉन्ड के नाम पर घोटाला हुआ था या नहीं! सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी उपलब्ध करा दी है। निर्वाचन आयोग की तरफ से इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। डेटा के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये बीजेपी को सबसे अधिक चंदा मिला है। डेटा के सामने आने के बाद विपक्ष इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल तो इससे सबसे बड़ा घोटाला बता रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस मामले में एसआईटी जांच की भी मांग कर दी है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से इसे कथित रूप से दुनिया का सबसे बड़ा एक्सटॉर्शन रैकेट बताया जा रहा है। दूसरी तरफ बीजेपी की तरफ से इस चुनावी चंदे में पारदर्शिता की बड़ी पहल करार दिया जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लग चुकी है।कपिल सिब्बल ने साफ कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये कंपनियों ने राजनीतिक दलों को अपने हित में साध लिया है। उन्होंने कहा कि डेटा से साफ पता चलता है कि घाटे में चल रही कंपनियों ने भी राजनीतिक दलों को इलेक्टरोल बॉन्ड के जरिए चंदा दिया। हालांकि, सिब्बल ने यह भी कहा कि उन्हें पता है कि इस मामले की कोई जांच नहीं होगी। सिब्बल ने इस मामले में सिर्फ कोर्ट से ही उम्मीद जताई। सिब्बल ने 2जी मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि एक एसआईटी का गठन कर इस बात का पता लगाया जाना चाहिए कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया। साथ ही इस चंदे की एवज में उसे कितना फायदा पहुंचा।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा ‘एक्सटॉर्शन रैकेट’ (जबरन वसूली गिरोह)’ बताया। राहुल ने इस स्कीम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘दिमाग की उपज’ करार दिया। राहुल इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा कि यह कॉर्पोरेट भारत से एक आपराधिक जबरन वसूली है। उन्होंने कहा कि हर एक कॉर्पोरेट यह जानता है। राहुल ने आरोप लगाया कि कॉन्ट्रैक्ट दिए जाने के महीनों बाद, कंपनियों ने बीजेपी को चुनावी बॉन्ड के जरिये दान दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई, ईडी मामले दर्ज करती है और फिर कॉरपोरेट बीजेपी को पैसा देते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य कॉरपोरेट्स को गुमनाम रूप से धन दान करने की अनुमति देना था। राहुल ने कहा कि विपक्षी सरकारों को गिराने, शिवसेना और एनसीपी जैसी पार्टियों को तोड़ने के लिए धन इलेक्शन बॉन्ड के जरिये प्राप्त किया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि यह योजना भारतीय राजनीति में काले धन के वर्चस्व को खत्म करने की एक पहल थी। शाह ने कहा कि इस योजना को खत्म करने की बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था। शाह ने कहा कि मैं इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहता हूं। कुल 20,000 करोड़ रुपये के चुनावी बांन्ड में से बीजेपी को लगभग 6,000 करोड़ रुपये मिले हैं। शाह ने सवाल उठाया कि बाकी बॉन्ड कहां गए? उन्होंने कहा कि 303 सांसद होने के बावजूद हमें 6,000 करोड़ रुपये मिले हैं और बाकियों को 242 सांसदों के बावजूद 14,000 करोड़ रुपये मिले हैं। शाह ने कहा कि किस बात को लेकर हंगामा है? उन्होने कहा कि मैं कह सकता हूं कि एक बार हिसाब-किताब हो जाने के बाद वे आप सभी का सामना नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा, गृह मंत्री ने यह भी कहा कि चुनावी बॉन्ड के लागू होने से पहले, विपक्षी दल कैश में राजनीतिक चंदा लेते थे। शाह ने आरोप लगाया कि 1,100 रुपये के दान में से, वे के पार्टी के नाम पर 100 रुपये जमा करते थे और 1,000 रुपये अपनी जेब में रखते थे।

भारतीय स्टेट बैंक ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 1 अप्रैल 2019 से इस साल 15 फरवरी के बीच कुल 22,217 चुनावी बॉन्ड खरीदे गए। वहीं, राजनीतिक दलों ने 22,030 बॉन्ड को कैश कराया। चंदा हासिल करने वाले टॉप पार्टियों में बीजेपी 6,060 करोड़ रुपये पहले नंबर पर रही। वहीं, दूसरे नंबर पर टीएमसी 1,609 करोड़ रुपये और तीसरे नंबर पर कांग्रेस 1,421 करोड़ रुपये रहीं। कांग्रेस के अलावा बीआरएस को 1214 करोड़ रुपये, बीजेडी को 775 करोड़ रुपये, डीएमके को 639 करोड़ रुपये मिले। आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा डोनेशन देने वाली कंपनियों में पहले नंबर पर फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज का नाम शामिल है। कंपनी ने 1368 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। दूसरे नंबर पर मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है। कंपनी ने 966 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये डोनेशन दिया है। इसके बाद क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड 410 करोड़ रुपये का नाम है। वहीं, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड ने 377 करोड़ रुपये, वेदांता लिमिटेड 376 करोड़, एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 225 करोड़ रुपये चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये दिए।