यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पुराने समय में इंसानों की बलि दी जाती थी या नहीं! वर्तमान में हर एक धर्म में जानवरों की बलि जरूर दी जाती है… यह बलि भगवान को या अपने-अपने देवी देवताओं को खुश करने के लिए दी जाती है…. लेकिन कई सबूत ऐसे मिले हैं जिनसे यह पता चलता है कि पुराने समय में इंसानों की बलि दी जाती थी,आज हम आपको उन्हीं सबूत और इतिहास के बारे में जानकारी देने वाले हैं,
आपको बता दें कि प्राचीन समय में कई ऐसी प्रथाएं थीं, जिनका आज भी पालन किया जाता है। धार्मिक अनुष्ठानों में भी बलि देने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। लगभग हर धर्म में जानवरों की बलि देने की परंपरा रही है। अब वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे सूबतों की खोज की है, जिनसे पता चलता है एक समय धार्मिक अनुष्ठानों में इंसानों की भी बलि दी जाती थी। सबसे हैरान वाली बात यह है कि इस दौरान औरतों को बांधकर दफनाया जाता था। उनके साथ किए जाने वाले काम के बारे में जानकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। बता दें एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी फ्रांस के सेंट-पॉल-ट्रोइस-चैटो में एक मकबरे से तीन कंकाल निकाले गए थे। 20 साल पहले निकाले गए यह कंकाल 5,500 साल पुराने हैं। इनसे जानकारी मिलती है कि नवपाषाण युग में एक तरह का धार्मिक अनुष्ठान किया जाता था। इसके बाद महिलाओं को जिंदा बांधकर दफनाया जाता था। अनाज रखे जाने वाले गड्ढे में इन्हें दफना दिया जाता था। इनमें से 2 कंकालों की एक बार फिर व्याख्या की गई है। इनसे हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि महिलाओं को जानबूझकर मारा जाता था। महिलाओं को इनकैप्रेटामेंटो नामक तरीके से बांधकर दफनाया जाता था। उनकी गर्दन को पैरों के बीच फंसा दिया जाता था और पीठ से बांधा जाता था। ऐसा करने से महिलाओं की सिर्फ कुछ घंटों में ही मौत जाती थी। कब्र में मिली तीसरी महिला की उम्र ज्यादा थी, तो हो सकता है कि उसकी मौत प्राकृतिक वजहों से हुई हो। इस महिला को बीच में दफनाया गया था। साइंस एडवांसेज जर्नल में हाल ही में एक शोध प्रकाशित किया गया है। इसके मुताबिक, इस तरह के एक दर्जन से ज्यादा लोगों की पहचान हुई है। वैज्ञानिक मानते हैं कि यूरोप के करीब सभी देशों में लगभग 2000 साल तक यह प्रथा थी।
शोध के मुखिया और पॉल सबेटियर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एरिक क्रुबेजी ने इस प्रथा के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने बताया कि कब्र में कई कृषि उपकरणों को भी दफनाया जाता था। इसलिए प्रतीत होता है कि खेती के लिए यह अनुष्ठान किया जाता था। हो सकता है कि यह मान्यता रही हो कि इससे पैदावार अच्छी होती है। यही नहीं उन्होंने बताया कि सभी कब्र के ऊपर एक लड़की की संरचना रखी गई थी, जो सूर्य की तरह दिखती है। पास में अनाज पीसने वाले कई टूटे पत्थर भी रखे थे। यही नहीं गर्दन को पैरों के बीच फंसा दिया जाता था और पीठ से बांधा जाता था। ऐसा करने से महिलाओं की सिर्फ कुछ घंटों में ही मौत जाती थी। कब्र में मिली तीसरी महिला की उम्र ज्यादा थी, तो हो सकता है कि उसकी मौत प्राकृतिक वजहों से हुई हो। इस महिला को बीच में दफनाया गया था। साइंस एडवांसेज जर्नल में हाल ही में एक शोध प्रकाशित किया गया है। इसके मुताबिक, इस तरह के एक दर्जन से ज्यादा लोगों की पहचान हुई है। यह सब देखकर लगता है कि यह एक कृषि अनुष्ठान था। बता दें कि 20 साल पहले निकाले गए यह कंकाल 5,500 साल पुराने हैं। इनसे जानकारी मिलती है कि नवपाषाण युग में एक तरह का धार्मिक अनुष्ठान किया जाता था। इसके बाद महिलाओं को जिंदा बांधकर दफनाया जाता था। अनाज रखे जाने वाले गड्ढे में इन्हें दफना दिया जाता था। इनमें से 2 कंकालों की एक बार फिर व्याख्या की गई है। इनसे हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। इसमें बताया गया है कि महिलाओं को जानबूझकर मारा जाता था। उन्होंने बताया कि मानव बलि के लिए चेक गणराज्य से लेकर स्पेन तक इसी तरीके का पालन किया जाता था। इन्कैप्रेटामेंटो हत्या करने का एक अनोखा तरीका है, जिसका इस्तेमाल इटली में माफिया करते हैं। तो इस खुलासे से यह तो साफ हो गया कि पुराने समय में इस तरह से बलि दी जाती थी!