हाल कि मैं बेंगलुरु में हुई विपक्षी मीटिंग से कई संकेत मिल रहे हैं! 26 विपक्षी दलों के शीर्ष नेता बेंगलुरु में हैं। ये सभी ‘महामंथन’ के लिए जुटे हैं। अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केंद्र की सत्ता में आने से रोकना इनका मकसद है। विपक्ष की एकजुटता को लेकर कई सवाल हैं। एक सवाल यह भी है कि विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा। इसके लिए कई दावेदार हैं। तृणमूल कांग्रेस TMC की ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी AAP के अरविंद केजरीवाल और जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार के नाम इनमें शामिल हैं। हालांकि, संकेतों से लगता है कि कांग्रेस ही इस गठबंधन की अगुआई करेगी। पटना में लालू प्रसाद यादव के बयान और पोस्टरों के बाद अब बेंगलुरु में लगे पोस्टर भी इस ओर इशारा करते हैं। बेंगलुरु में लगे तमाम पोस्टरों में कांग्रेस नेतृत्व सेंटर में है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को ठीक बीच में प्रमुखता से रखा गया है। इसके पहले लालू यादव ने राहुल गांधी के दूल्हा बनने की बात कर इस ओर इशारा भी किया था। पहले हिमाचल प्रदेश फिर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के बाद कांग्रेस आक्रामक हो गई है। उसके नेता राहुल गांधी को खुलकर अगले प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश करने लगे हैं। यह और बात है कि राहुल की सांसदी का मामला ही कोर्ट में फंसा हुआ है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले तक कांग्रेस बैकफुट पर थी। तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आप जैसे दल कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाने लगे थे। ममता बनर्जी तो खासतौर से कांग्रेस को निशाना बना रही थीं।
अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए विपक्षी दलों की यह दूसरी बैठक है। पटना में हुई पहली बैठक से ही इस बात के संकेत मिलने लगे थे कि विपक्षी दलों का नेतृत्व कांग्रेस करेगी। तब भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू यादव ने एक बड़ी बात कह दी थी। वह राहुल गांधी से बोले थे कि आप दूल्हा बनिए, हम सब बाराती बन जाएंगे। लालू ने राहुल को शादी की सलाह देते हुए यह बात कही थी। लेकिन, उनकी बात में बड़ा इशारा छुपा था। ज्यादातर लोगों ने इस पकड़ लिया था। पटना की बैठक में लगे पोस्टरों में भी कांग्रेस को सेंटर में रखा गया था।
बेंगलुरु में लगे पोस्टरों में भी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को बिल्कुल बीच में रखा गया है। सेंटर में सोनिया गांधी हैं। उनके एक तरफ राहुल गांधी और दूसरी ओर मल्लिकार्जुन खरगे हैं। बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दो दिवसीय बैठक में सोनिया गांधी की मौजूदगी भी दिखाती है कि कांग्रेस बैकसीट में नहीं रहने वाली है। वह विपक्षी मोर्चे को लीड करने के लिए तैयार है।
कांग्रेस के संगठन महासचिव वेणुगोपाल के कल के बयान से भी बहुत कुछ समझा जा सकता है। उन्होंने कहा था – हमें पूरा विश्वास है कि यह बैठक भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। हमें यह देख कर खुशी हो रही है कि जो अब तक ये कह रहे थे कि हम अकेले पूरे विपक्ष को आसानी से हरा देंगे, वे अब हमारी पटना बैठक के बाद खुद बैठकें शुरू कर रहे हैं। यही विपक्षी एकता की वास्तविक सफलता है।
बता दे कि अब 2024 की तैयारियों में हर दल जुटे हैं. आगामी लोकसभा चुनाव में महज़ 10 महीने का वक्त बचा है और बीजेपी के सामने मजबूत चुनौती पेश करने के लिए विपक्षी दलों के बीच एकजुटता बनाने की कोशिश जारी है. इस अभियान में नीतीश कुमार, शरद पवार और अब अध्यादेश के बहाने अरविंद केजरीवाल जी जान से जुटे हैं! नए संसद भवन के उदघाटन को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तनातनी से विपक्षी एकजुटता की मुहिम को एक तरह से संजीवनी मिल गई है. प्रशासनिक सेवाओं पर दिल्ली सरकार के अधिकार को नहीं मानने से जुड़े अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों को लामबंद करने में भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगे हैं. इन दोनों मुद्दों पर जिस तरह से विपक्षी दल नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने में लगे हैं, उससे सियासी गलियारे में इस पर बहस और तेज हो गई है कि क्या 2024 में चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ मजबूत विपक्षी गठबंधन बन सकता है!
इन सारी संभावनाओं को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि विपक्षी गठबंधन सुनिश्चित कर बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली और कर्नाटक में पहुंचाया जा सकता है. इसके अलावा जो भी राज्य हैं, उनके राजनीतिक समीकरणों पर विपक्षी गठबंधन बनने और न बनने से कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि विपक्षी गठबंधन बन भी गया तो इन राज्यों के अलावा किसी भी राज्य में कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है, जो कांग्रेस को जीत दिलाने में प्रभावी भूमिका में हो. हालांकि सीटों के लिहाज से इन राज्यों में बीजेपी को विपक्षी गठबंधन से बड़ा नुकसान होता है, तो फिर उसके लिए ये खतरा 2024 की सत्ता के लिहाज से गंभीर बाधा में तब्दील हो सकता है. हालांकि बीजेपी की सत्ता के सामने चुनौती पेश करने के लिए कांग्रेस को गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में खुद की बदौलत ही बेहतर प्रदर्शन करना होगा!