गुजरात में चुनाव से पहले कई प्रकार की भ्रांतियां फैल चुकी है! ये कहानी बस होटल की नहीं है। कई बड़े रेस्तरां तक डिजिटल पेमेंट लेने से मना कर देते हैं। कई बड़ी दुकानों पर ये सुविधा नहीं मिली। और जब मैंने अपने निजि अनुभवों के आधार पर यह सोशल मीडिया पर लिखा तो कुछ गुजराती भाई नाराज हो गये और मुझे जमकर गाली दे रहे। लेकिन गाली देने से पहले डिजिटल पेमेंट को लेकर गुजरात की स्थिति देश में क्या है, यह भी जान लेना था। ऐसा भी नहीं है कि गुजरात देश के दूसरे राज्यों से डिजिटल लेनदेन के मामले में बहुत आगे है या या नंबर वन राज्य ही है। भारत सरकार के आंकड़े भी यही कह रहे।भारत सरकार की वेबसाइट E-taal electroinc transaction aggregation and analysis layer ने मार्च 2022 में एक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में 2014 से 2022 के बीच राज्यों में हुए ई-ट्रांजेक्शन यानी की डिजिटल लेनदेन का ब्योरा दिया गया। ई-ट्रांजेक्शन का मतलब कार्ड, स्कैनर, वॉलेट से किया गया पेमेंट। प्रति 1,000 व्यक्ति पर डिजिटल लेनदेन के मामले में तेलंगाना सबसे आगे रहा। तेलंगाना में प्रति 1,000 व्यक्ति पर 1,38,266 डिजिटल लेनदेन हुए, आंध्र प्रदेश 1,37,264 लेनदेन के साथ दूसरे स्थान पर रहा, केरल 1,31,016 लेनदेन के साथ तीसरे स्थान पर था जबकि 72,935 के साथ गुजरात चौथे स्थान पर था। इसके बाद 43,133 लेनदेन के साथ तमिलनाडु पांचवें नंबर पर था।
मतलब गुजरात डिजिटल लेनदेन के मामले में अच्छी पोजिशन पर रहा। ये स्थिति और अच्छी तब दिखती है जब हम 1 जनवरी 2013 से 14 नवंबर 2022 तक लेनदेन के कुल आंकड़े देखते हैं। तब गुजरात दूसरे पर है। राज्य में इस दौरान 5 अरब, 70 करोड़, 52 लाख, 58 हजार 622 (5,70,52,58,622) डिजिटल लेनदेन हुए। जो कि आंध्र प्रदेश (7,45,56,27,908) के बाद सबसे ज्यादा है। 5,55,61,62,299 लेनेदेन के सात तलंगाना तीसरे, उत्तर प्रदेश (4,92,90,50,487) चौथे और केरल (केरल 4,67,87,97,876 ) पर नंबर रहा। लेकिन जब हम बात प्रति व्यक्ति लेनदेन की करते हैं ते गुजरात इस मामले में साल दर साल पिछड़ भी रहा। कुल लेनदेन के मामले जब हम 1 जनवरी 2020 से 1 जनवरी 2021 तक देखते हैं तो गुजरात (72.40 करोड़) तीसरे नंबर पर पहुंच जाता है। केरल (95.75 करोड़) पहले और आंध्र प्रदेश (74.06) दूसरे पर थे।
गुजरात इस बार छठवें नंबर पर पहुंच जाता है। इस एक साल में राज्य में 41.25 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए। 125.80 करोड़ लेनदेन के साथ पश्चिम बंगाल पहले नंबर पर पहुंच गया। 106.42 करोड़ लेनदेन के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे, तमिलनाडु (80.94 करोड़) के साथ तीसरे और आंध प्रदेश (53.89) चौथे स्थान पर रहा।यानी 1 जनवरी 2022 से 13 नवंबर 2022 के बीच हुए डिजिलटल लेनदेन की। इस साल गुजरात कुल डिजिटल लेनदेन के मामले में पांचवे नंबर पर चल रहा है। राज्य में इस साल एक जनवरी से अब तक 57.86 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुए। 119.08 करोड़ के साथ उत्तर प्रदेश पहले और उसके बाद पश्चिम बंगाल दूसरे, मध्य प्रदेश तीसरे जबकि तमिलनाडु चौथे नंबर पर है। गौरतलब है कि गुजरात अपने व्यवसाय के लिए जाना जाता है। गुजरात के कई जिलों में बड़ पैमाने पर बिजनेस होते हैं। ऐसे में डिजिटल लेनदेन तो सबसे ज्यादा होने चाहिए थे। लेकिन सरकारी रिपोर्ट तो कुछ और ही कह रही।
ये तो कुल डिजिटल लेनदेन की बात। अब प्रति 1,000 व्यक्ति पर हुए डिजिटल लेनदेन के आंकड़े भी देख लेते हैं। ये आंकड़े आपको चौंकाएंगे। ऊपर आपने 2014 से 2022 के बीच के आंकड़े देखे जिसमें गुजरात कुल मिलाकर चौथे नंबर पर था। लेकिन अब जरा पिछले दो साल के आंकड़े देख लेते हैं।इस दौरान गुजरात में प्रति 1,000 व्यक्ति पर कुल डिजिलट लेनदेन 6,846 रहा। राज्य देश 13वें नंबर पर रहा। 19 हजार से ज्यादा डिजिटल लेनदेन के साथ लक्षद्वीप पहले, इसके बाद दमन, दादर (18,834) और पश्चिम बंगाल (13,857) तीसरे नंबर पर रहा।
यही आंकड़े इस साल के देखें तो गुजरात प्रति व्यक्ति डिजिटल लेनदेन के मामले में और पीछे मिलता है। 1 जनवरी 2022 से 14 नवंबर 2022 के बीच गुजरात का प्रति 1,000 व्यक्ति डिजिटल लेनदेन 9,734 है। इस मामले में गुजरात का देश के 13 राज्यों के बाद 14वें नंबर पर आता है। देश के दूसरे राज्य इस मामले में भी बहुत आगे हैं।कहीं भी छोटा या बड़ा दुकानदार 10 रुपए का सिक्का लेने को तैयार नहीं है। कारण पूछने पर कहते हैं कि ये सिक्का यहां चलता ही नहीं। कुछ दिनों पहले राज्य के कई जिलों के जिलाधिकारियों ने अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया और बताया भी कि देश की करंसी न लेने अपराध है। लेकिन कोई मानने को तैयार ही नहीं।
इसी साल फरवरी में आरबीआई ने 10 सिक्कों को लेकर बयान भी दिया था। वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित उत्तर में कहा था कि भारत सरकार के अधिकार के तहत बनाए भारतीय रिजर्व बैंक के विभिन्न आकार, थीम और डिजाइन के ₹ 10 के सिक्के पूरी तरह से वैध मुद्रा है और सभी लेनदेन में कानूनी निविदा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मंत्री ने राज्यसभा में ए. विजयकुमार द्वारा उठाए गए एक सवाल का जवाब दिया कि क्या देश के कई हिस्सों में 10 रुपये के सिक्कों को नकली मानकर स्वीकार नहीं किया जा रहा है।