मणिपुर हादसे के बारे में क्या बोला भारत?

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भारत में मणिपुर हादसे पर यूरोपीय देशों को एक सख्त चेतावनी दे दी है! भारत ने गुरुवार को यूरोपीय संसद में मणिपुर की स्थिति पर चर्चा किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई। भारत ने कहा कि देश के आंतरिक मामलों में कोई भी हस्तक्षेप अस्वीकार्य है। भारत ने कहा कि यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूरोपीय संसद में जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के विकास पर चर्चा के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि हमने देखा है कि यूरोपीय संसद ने मणिपुर के घटनाक्रम पर चर्चा की। बागची ने कहा कि एक तथाकथित अत्यावश्यक प्रस्ताव अपनाया। भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं और शांति और सद्भाव तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रहे हैं। यूरोपीय संसद को अपने आंतरिक मुद्दों पर अपने समय का अधिक उत्पादक ढंग से उपयोग करने की सलाह दी जाएगी। इससे पहले गुरुवार को फ्रांसीसी शहर स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद ने भारत सरकार से मणिपुर में हिंसा को रोकने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए ‘तुरंत’ कार्रवाई करने का आह्वान किया। इस मुद्दे पर बहस के बाद हाथ उठाकर इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया गया।यूरोपीय संघ की संसद ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा को लेकर भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया। यूरोपीय संघ के प्रस्ताव में भारत पर यह भी आरोप लगाया गया कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के कारण मौजूदा स्थिति बनी है। इसके अलावा प्रस्ताव में ‘राजनीति से प्रेरित’ नीतियों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गयी हैं। इसमें मणिपुर में इंटरनेट सेवा बंद होने का भी उल्लेख किया गया। यूरोपीय संघ की संसद ने मणिपुर में हाल में हुई हिंसा को लेकर भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया। यूरोपीय संघ के प्रस्ताव में भारत पर यह भी आरोप लगाया गया कि अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता के कारण मौजूदा स्थिति बनी है। इसके अलावा प्रस्ताव में ‘राजनीति से प्रेरित’ नीतियों के बारे में चिंताएं व्यक्त की गयी हैं। इसमें मणिपुर में इंटरनेट सेवा बंद होने का भी उल्लेख किया गया।

यूरोपीय संघ की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने भारतीय अधिकारियों से स्वतंत्र जांच की अनुमति देने का भी आग्रह किया। उन्होंने सभी परस्पर विरोधी पक्षों से भड़काऊ बयान बंद करने, आपसी विश्वास बहाल करने और तनाव कम करने के लिए निष्पक्ष भूमिका निभाने का भी आग्रह किया। इसमें कहा गया है कि यूरोपीय संसद ने व्यापार सहित यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी के सभी क्षेत्रों में मानवाधिकारों को एकीकृत करने के अपने आह्वान को दोहराया। पिछले दो महीनों में मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और कुकी ईसाइयों के बीच जातीय हिंसा में 140 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

बता दे कि इंफाल में हुई दोनों घटनाओं में मणिपुर रैपिड एक्शन फोर्स भीड़ को तितर-बितर करने में कामयाब रही. वहीं दूसरी ओर राज्य में हालात तनावपूर्ण होने के चलते पूर्व आर्मी चीफ वेद प्रकाश मलिक ने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट के जरिए PM मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से तत्काल ध्यान देने का आह्वान किया है! मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक गोदाम में आग लगाने के बाद शुक्रवार शाम भीड़ आरएएफ कर्मियों से भिड़ गई. समूह ने वांगखेई, पोरोमपत और थंगापत क्षेत्रों में सड़कों के बीच में टायर, लॉग और कचरे को भी जलाया जिससे मणिपुर की राजधानी शहर में यातायात प्रभावित हुआ. ये घटनाएं केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के एक घर पर हमला करने और उसे जलाने की कोशिश के कुछ घंटे बाद हुई हैं. सुरक्षा गार्डों और दमकलकर्मियों ने भीड़ द्वारा आगजनी के प्रयासों को नियंत्रित करने और विदेश राज्य मंत्री के घर को आग लगने से बचाने में कामयाबी हासिल की!

यहि नहीं मणिपुर में भीड़ ने दो महिलाओं को नग्न कर सड़क पर घुमाया। घटना 4 मई को राजधानी इंफाल से लगभग 35 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में हुई। इसका वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसी बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट कर कहा, “मणिपुर से आया दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का वीडियो निंदनीय और अमानवीय है। मैंने इस बारे में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की है। उन्होंने मुझे बताया कि जांच चल रही है और भरोसा दिलाया कि आरोपियों को सजा दिलाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।”