जैकी श्रॉफ ने अपने एक्टिंग करियर को लेकर बड़ा बयान दिया है! बॉलीवुड के ‘जग्गू दादा’ उर्फ जैकी श्रॉफ जल्द ही कटरीना कैफ, ईशान खट्टर और सिद्धांत चतुर्वेदी के साथ ‘फोन भूत’ फिल्म में नजर आने वाले हैं।खोज ही नहीं है कोई (हंसते हैं)। मैं बस एंजॉय कर रहा हूं। यहां झाड़ लगा रहा हूं, अलग-अलग किस्म के चावल उगा रहा हूं। चिड़ियों की आवाज सुन रहा हूं, उनकी जुबान समझने की कोशिश कर रहा हूं। फिर यहां जब रिचार्ज हो जाता हूं, उस बीच अगर कोई अच्छा रोल आ जाता है या कोई दोस्त आ जाते हैं कि ये काम कर लो तो फिर शूटिंग करने भाग जाता हूं। तब खेती-बाड़ी का नहीं सोचता, तो मुझे दोनों से एनर्जी मिलती है। फिर, इतने सालों से ऐक्टिंग करने के बाद वो मेरी हड्डियों, मेरे गुर्दे, मेरी रीढ़ में घुस चुकी है। वहां मेरा परिवार है, किसी स्पॉटबॉय का डैडी होगा, लाइटमैन का अंकल होगा, सारे आर्टिस्ट, जो मेरे दोस्त हैं, उनके साथ बैठता हूं तो जो फीलिंग होती है, वो बता ही नहीं सकता हूं। ऐसा लगता है कि अपने स्कूल के दोस्त लोगों के साथ बैठा हूं। मैं सी शॉ बच्चों का झूला के दोनों साइड बैठा हूं। इधर भी जाता हूं, उधर भी जाता हूं। मैं जिंदगी के मजे ले रहा हूं।
चीजें इतनी भी नहीं बदली हैं। उस वक्त भी एक टाइम फ्रेम होता था कि 60 दिन में फिल्म बनानी है, आज भी वही टाइम फ्रेम है। तब भी लंच में साथ बैठकर सब एक दूसरे से बातें करते थे। आज भी सब मिलकर रहते हैं। यंगस्टर्स भी साथ में बैठकर बातें करते हैं, खाते हैं। सेट पर अगर आप अपनी यूनिट को फैमिली मानकर नहीं चलेंगे तो बात नहीं बनती है। मैं देखता हूं कि आज के यंगस्टर भी एक-दूसरे से टच में रहते हैं। जैसे मैं टाइगर को देखता हूं तो वह सबके टच में है। जैसे श्रद्धा जी हैं, कृति सेनन जी हैं, दिशा जी हैं, जितने भी उसके को-स्टार हैं, उन सबसे उनकी दोस्ती है।
मैंने पहले भूत अंकल, भूत ऐंड फ्रेंड्स की हैं, पर वो बच्चों वाली फिल्में थीं। बच्चे बोलते थे भूत अंकल, भूत अंकल, पर ये फिल्में बहुत अलग हैं। फोन भूत में मस्त कॉमिडी है। जबकि, अतिथि भूतो भव: में जो मेरा भूत है, वो प्यार को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते आ जाता है और जिसके घर आता है, वो प्यार की बात ही नहीं करता, तो दो नजरिए हैं प्यार को लेकर और मेरा मानना है कि प्यार की कीमत सबको समझनी चाहिए। प्यार बहुत ही पाक अहसास है। फिर, उसमें बहुत दिन के बाद भूत बनने का मौका मिला, तो मैंने सोचा इंसान बनकर बहुत रोल किया, अभी भूत बनकर करता हूं!
अब मैं सबकी जिंदगी के बारे में तो नहीं बोल सकता हूं कि ये रिश्ते टूटने की वजह क्या है। मैं बस उनको ये कहना चाहूंगा कि रिश्ते में सब्र और एक दूसरे को समझना बहुत जरूरी है। आपको सालों बाद भी वो दिन याद रखना चाहिए, जब पहली बार मिले थे और जब पेपर का दिल बनाया था और उसमें लाल रंग भर कर, खुशबू डालकर लिफाफे में डाला था, तब प्यार की अहमियत समझ आएगी। बाकी, शांति और समझ होनी चाहिए।
वो आलू होता है न बटाटा, मैं वो आलू हूं। उसे किसी में भी डाल दे, बैंगन में डाल, बिरयानी में डाल, गोश्त में डाल। वैसे ही, मुझे भी कहीं डाल दो, मैं फिट हो जाता हूं और लोगों को स्वाद आता है। मैं ज्यादा सोचता नहीं हूं। जैसे, देवदास में मेरे सात सीन थे, तो मैं मजे लिया पर लोग आज भी चुन्नी भाई की बातें करते हैं। फिर, ओके चार्ली में तो मुझे बड़ा मजा आया। मेरे दिल की तमन्ना थी कि मैं बंदर बनूं। बच्चों को इस तरह के रोल बड़े पसंद आते हैं। हमको खुद पसंद आते थे तो मुझे मौका मिला कि मैं सूट के अंदर घुस जाऊं, तो उसमें मुझे बहुत मजा आया। असल में, मेरा बचपना गया नहीं अभी और मैं उसे जाने भी नहीं दूंगा जोर से हंसते हैं। इसीलिए, भूत की फिल्में मिली तो भी बड़ा मजा आया, क्योंकि बचपन में ये सारी बातें बड़ी मजेदार लगती थीं, डर भी लगता था, अच्छा भी लगता था, इसलिए इन्हें कर रहा हूं।
मैं सलाह नहीं देता हूं और देना भी नहीं चाहता हूं कि क्योंकि वे मैच्योर हैं और अपने माता-पिता को देख रहे हैं। हमारे विवाह को 37 साल हो गए, ये चीज वे देख ही रहे हैं तो अगर वे उससे नहीं समझ रहे हैं तो बोलकर क्या फायदा होने वाला है। अगर उनके आपस के रिश्ते में नहीं जम रही तो हम थोड़ी चाहेंगे कि वे झगड़कर रहे। इसके लिए उन दोनों में समझ होनी चाहिए। इस चीज को हम अपने उदाहरण से नहीं बता सकते हैं, उन्हें अपना उदाहरण खुद बनाना होगा।