उपराष्ट्रपति जगदीप सिंह धनखड़ पर क्या बोले जयराम रमेश?

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जयराम रमेश का उपराष्ट्रपति जगदीप सिंह धनखड़ पर नया बयान सामने आया है! कांग्रेस ने गुरुवार को कतर द्वारा नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता जताई और सरकार से जानना चाहा कि वह सात महीने बाद भी उनकी रिहाई की मांग क्यों नहीं कर सकी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि यहां तक की पूर्व नौसैनिकों के साथ गिरफ्तार किए गए कतर के नागरिक को रिहा कर दिया गया है, लेकिन भारतीय अधिकारी भारतीयों की रिहाई सुनिश्चित क्यों नहीं कर पाए हैं? उन्होंने पूछा कि भारत सरकार अभी भी मामले के तथ्यों का पता लगाने या पूर्व नौसेना कर्मियों और उनके परिवारों को आश्वस्त करने में असमर्थ क्यों है कि उनके साथ न्याय किया जाएगा। रमेश ने सरकार को याद दिलाया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में इसे बहुत संवेदनशील मामला करार दिया था और कहा था कि हिरासत में लिए गए लोगों का हित हमारे दिमाग में सबसे पहले है… हम विश्वास दिलाते हैं, वे हमारी प्राथमिकता हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि एक ओमानी नागरिक जिसे नौसेना के पूर्व कर्मियों के साथ गिरफ्तार किया गया था, उसे नवंबर में रिहा कर दिया गया, लेकिन भारतीय नागरिक अभी भी हिरासत में हैं।

उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री कतर पर दबाव बनाने के लिए अनिच्छुक हैं क्योंकि कतर का सॉवरेन वेल्थ फंड अदाणी इलेक्ट्रिसिटी, मुंबई में एक प्रमुख निवेशक है? क्या यही कारण है कि जेल में बंद पूर्व-नौसेना कर्मियों के रिश्तेदार जवाब के लिए दर-दर भटक रहे हैं? रमेश ने अपने बयान में कहा, बीते हुए समय को देखते हुए कांग्रेस पार्टी सरकार से पीड़ित परिवारों और भारत के लोगों को यह बताने का आग्रह करती है कि हमारे पूर्व सैनिकों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों किया जा रहा है। ट्विटर पर बयान साझा करते हुए उन्होंने कहा, जिस देश के साथ ‘मोदानी’ (मोदी और अदाणी) का खास रिश्ता है। इस रिश्ते ने अब तक पूर्व सैनिकों की मदद क्यों नहीं की?

रमेश ने कहा कि कतर के अधिकारियों ने पिछले साल 30 अगस्त को आठ सेवानिवृत्त भारतीय नौसेना कर्मियों को गिरफ्तार किया था जो कतरी अमीरी नौसेना बल के प्रशिक्षण में शामिल थे। आठों को कथित तौर पर एकांत कारावास में रखा गया है। उन्होंने कहा, भारत सरकार को न तो गिरफ्तारियों के बारे में सूचित किया गया था और न ही उन लोगों के खिलाफ आरोपों के बारे में कोई जानकारी दी गई थी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने ‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ के संदर्भ में सरकार को स्थायी समिति के बुनियादी कामकाज को कमजोर करने दिया। उन्होंने धनखड़ को पत्र लिखकर इस विधेयक को संबंधित स्थायी समिति के पास नहीं भेजे जाने पर एक बार फिर से अपना विरोध दर्ज कराया।

रमेश ने यह दावा भी किया कि ‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी संसद की स्थायी समिति के पास नहीं भेजने का फैसला सरकार के शीर्ष स्तर पर हुआ। रमेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी स्थायी समिति के प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि लोकसभा ने पिछले सप्ताह ‘वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने का निर्णय लिया था।

इसके बाद बीते 29 मार्च को रमेश ने धनखड़ को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह इसमें हस्तक्षेप करें ताकि इस विधेयक को संबंधित स्थायी समिति को भेजा जाए और इस विधेयक को पूरी तरह कमजोर होने से रोका जा सके। रमेश ने कहा कि उनके 29 मार्च के पत्र के जवाब में कहा गया है कि वह अपनी आपत्ति को संयुक्त समिति के सामने रखें।

उन्होंने आरोप लगाया, जो खेल खेला गया है उससे सिर्फ एक ही निष्कर्ष निकाला जा सकता है। वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2023’ को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी संसद की स्थायी समिति के पास नहीं भेजने का फैसला सरकार के शीर्ष स्तर पर हुआ क्योंकि मैं इस समिति का अध्यक्ष हूं। कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि यह बिल्कुल स्पष्ट है कि सभापति ने सरकार को इसकी अनुमति दे दी कि वह स्थायी समिति के बुनियादी कामकाज को कमजोर करे।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा “देशद्रोही” शब्द के साथ कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर किए गए हमले के बाद मंगलवार को ट्विटर वार छिड़ गया और मामला ग्वालियर के पूर्व राजघरानों के इतिहास पर पहुंच गया। जयराम रमेश ने सिंधिया के सामने उनके परिवार के अतीत का जिक्र किया और एक कविता साझा कर दी।

रमेश ने हिंदी की प्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की एक कविता का हवाला दिया, जिसमें 19वीं सदी की झांसी की रानी की प्रशंसा की गई थी, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। कविता में सिंधिया परिवार और ग्वालियर के शासकों को अंग्रेजों के सहयोगी के रूप में उल्लेख किया गया है।

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने रमेश के सवाल का जवाब नेहरू की किताब के जरिये दिया और उन्हें कविताओं से ज्यादा इतिहास पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की किताब “ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री” के कुछ अंशों का हवाला दिया। जिसमें भारत में ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देने में सिंधिया सहित एक शक्तिशाली हिंदू योद्धा कबीले मराठों की भूमिका की प्रशंसा की गई है। सिंधिया ने ट्वीट किया, ‘इस प्रकार उन्होंने मराठों ने दिल्ली साम्राज्य को जीता। मराठा ब्रिटिश वर्चस्व को चुनौती देने के लिए बने रहे। लेकिन मराठा शक्ति ग्वालियर के महादजी सिंधिया की मृत्यु के बाद टुकड़े-टुकड़े हो गई।’

उन्होंने किताब के हवाले से आगे बताया कि मराठाओं ने 1972 में दक्षिण को हराया। उत्तर में ग्वालियर के सिंधिया का वर्चस्व था और उन्होंने दिल्ली साम्राज्य पर नियंत्रण किया। सिंधिया ने कांग्रेस नेता पर पाखंडी होने के भी आरोप लगाए।