400 पार वाले नारे के लिए भाजपा के बारे में क्या बोले कन्हैया कुमार?

0
109
New Delhi: Congress leader Kanhaiya Kumar speaks during an interview with PTI, in New Delhi, Friday, April 5, 2024. (PTI Photo/Arun Sharma) (PTI04_05_2024_000296B)

हाल ही में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने भाजपा के 400 पार वाले नारे के लिए एक बयान दिया है! कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने बीजेपी के ‘400 पार’ के नारे को ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ और वास्तविकता बदलने का कुत्सित प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी को हार का डर है और ऐसे में वह देश को धोखा देने की कोशिश कर रही है। कन्हैया कुमार ने ‘पीटीआई’ के साथ बातचीत में यह सवाल भी किया कि जो नेता कांग्रेस में रहकर चुनाव नहीं जीत सकते, उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए भला क्या उपयोगिता है? उन्होंने साथ ही कहा कि पहले सत्ता में रहे दलों की कहीं न कहीं यह विफलता रही कि लोग ‘बीजेपी के अतिवाद’ की तरफ आकर्षित हो गए, लेकिन यह स्थिति कभी भी बदल सकती है क्योंकि भारत का समाज प्रेम, समानता, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता के साथ खड़ा होता है। यह पूछे जाने पर कि बीजेपी ‘400 पार’ का नारा दे रही है, तो ऐसे में क्या यह नहीं लगता कि विमर्श की लड़ाई में विपक्ष कहीं पीछे छूट रहा है। कन्हैया कुमार ने इस पर रिएक्ट करते हुए कहा कि इस बात में ही बीजेपी की हताशा झलकती है, हार का डर झलकता है। क्या आपने सुना है कि भारतीय क्रिकेट टीम आस्ट्रेलिया से मैच खेलने गई हो और मैच से पहले कह रही हो, 400 पार। नहीं कहती है। कहती है कि अच्छा खेलेंगे और विश्व कप जीतेंगे। कन्हैया कुमार ने दावा किया कि ‘परसेप्शन मैनेजमेंट’ से वास्तविकता को बदलने की कोशिश की जा रही है।

कन्हैया कुमार ने आगे कहा कि धारणा के आधार पर वास्तविकता को बदलने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। अगर 400 पार हो ही रहा है तो ‘फुके हुए कारतूसों’ को अलग-अलग जगह से अपनी पार्टी में शामिल कराने का क्या मतलब है? मान लीजिए आप मैच जीत रहे हैं तो ऑस्ट्रेलिया के कप्तान को घूस देने का क्या मतलब है या उसके संन्यास ले चुके खिलाड़ियों को अपने साथ लेने की क्या जरूरत है? कन्हैया ने सवाल किया कि अगर कोई कांग्रेस में रहकर चुनाव नहीं जीत रहा है तो बीजेपी में उसकी क्या उपयोगिता है? उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं के पाला बदलने का हवाला देते हुए कहा कि आप जिन लोगों को बुरा-भला कहते थे अब उनकी तारीफ कर रहे हैं। कई ऐसे लोग थे जिन्हें राष्ट्रविरोधी शब्द से संबोधित किया जाता था, लेकिन अब वे बीजेपी में हैं। ऐसा लगता है कि बीजेपी को बेशर्मी की खदान हाथ लग गई है जब मौका मिलता है थोड़ी बेशर्मी निकाल लाती है। जो टीवी स्टूडियो में मुर्गे की तरह लड़ रहे थे, अब एक तरफ जाकर बैठे हैं।

कन्हैया कुमार ने दावा किया कि क्या यह 400 पार का आत्मविश्वास है? यह धोखा है। यह देश को धोखा देने का कुत्सित प्रयास है। यह इसलिए कहा जा रहा है ताकि 400 की संख्या में हजारों सवालों को गायब कर दिया जाए। कोई पूछे नहीं कि पेट्रोल 100 के पार क्यों चला गया, इतनी महंगाई क्यों है? कहते हैं कि अर्थव्यवस्था पांच हजार अरब डॉलर के पार जा रही है। अगर ऐसा है तो 80 करोड़ लोग कौन हैं जिन्हें मुफ्त का अनाज दिया जा रहा है और सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। उन्होंने कहा कि वास्तविकता छिपाने का बार-बार प्रयास किया जा रहा है। यह देश के उन लोगों का अपमान है जिन्हें वोट देना है। अगर पहले से तय है कि सीट 400 पार होनी ही हैं तो चुनाव क्यों करा रहे हैं?

कन्हैया कुमार ने कहा कि यह ‘परसेप्शन’ धारणा बनाने का खेल है। कांग्रेस इसे समझ रही है। इसी तरह अटल बिहारी वाजपेयी के समय में ‘इंडिया शाइनिंग’ की धारणा पैदा की गई थी, लेकिन चुनावी नतीजे आए तो पता चला कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार चली गई और यूपीए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार बनी। यह पूछे जाने पर कि हालिया चुनावी सफलताओं में नजर आई बीजेपी की बढ़ती स्वीकार्यता का कारण क्या है और क्या ऐसा कांग्रेस के नेतृत्व के कारण है। कन्हैया कुमार ने कहा कि बीजेपी अतिवाद, हिंसा और नफरत को प्राथमिकता देती है और दूसरी तरफ गांधी का विचार है जिसमें सर्वधर्म समभाव, एकता और प्रेम है। कन्हैया कुमार ने कहा कि जो पुरानी पार्टियां हैं, जो सत्ता में रही हैं उनकी विफलता को हम छिपाने का प्रयास नहीं कर रहे। कहीं न कहीं हमारी विफलता है। यह बात कैमरे के सामने स्वीकार करते हैं। अगर हम अपनी चीजों को जनता तक उनकी भाषा में लेकर जाते, विश्वास को बनाकर रखते तो लोग अतिवाद की तरफ नहीं जाते, क्योंकि अतिवाद इस समाज का स्वभाव नहीं है। उन्होंने कहा कि अतिवादी विचार समाज में हावी उस समय होता है जब मानवीय गुण क्षीण हो जाता है तथा यह सामाजिक राजनीतिक संकट है। कांग्रेस नेता ने कहा कि पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह बदलेगा। अंतत: समाज प्रेम, समानता, सह-अस्तित्व और सहिष्णुता के साथ जाता है।