हाल ही में चंद्रयान -3 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान दिया है! साथियो, हमारे संस्कार, हमारा चिंतन, हमारी सोच, इस बात से भरी पड़ी है, जो हमें कहते हैं- वयं अमृतस्य पुत्राः। हम अमृत की संतान हैं जिसके साथ अमरत्व जुड़ा हुआ रहता है। अमृत के संतान के लिए न कोई रुकावट है, ना हो कोई निराशा। हमें पीछे मुड़कर निराशा की तरफ नहीं देखना है, हमें सबक लेना है, सीखना है, आगे ही बढ़ते जाना है और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुकना नहीं है। हम निश्चित रूप से सफल होंगे। मिशन के अगले प्रयास में भी और उसके बाद के हर प्रयास में कामयाबी हमारे साथ होगी। 21वीं सदी में भारत के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से पहले हमें कोई भी क्षणिक बाधा रोक नहीं सकती। आप सभी को आने वाले हर मिशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।’ जब चंद्रयान 2 का उसके सफर के आखिरी पड़ाव में इसरो सेंटर से संपर्क टूट गया तो वैज्ञानिकों ही नहीं, पूरे देश में भारी निराशा का माहौल था। देश उस पल को भला कैसे भूल सकता है जब इसरो के तत्कालीन प्रमुख के सिवन की फूट-फूटकर रो पड़े थे और प्रधानमंत्री उन्हें गले लगाकर पीठ सहलाते हुए सांत्वना दे रहे थे। तब 7 सितंबर, 2019 को सुबह-सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो में ही वैज्ञानिकों की हौसलाआफजाई में कुछ बातें कहीं। ऊपर कोट की गईं पंक्तियां पीएम के उसी संबोधन का आखिरी हिस्सा हैं। इसरो जब चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के मुहाने पर है तब पीएम मोदी के उस संबोधन की याद सबको बरबस आ रही है। इसरो ने बताया है कि 14 जुलाई को चंद्रयान 3 अपने गंतव्य की ओर बढ़ जाएगा। ध्यान रहे जब चंद्रयान 2 को सफलता नहीं मिली थी तो पीएम ने अपने संबोधन में कहा था कि इस असफलता ने हमारे संकल्पों को और मजबूत बना दिया है। उन्होंने कहा था कि आज भले ही हम चंद्रमा की सतह पर अपनी योजना से नहीं जा पाए, लेकिन हमारा अगला प्रयास सफल होगा और उसके आगे के सारे प्रयास सफल होंगे। वैज्ञानिकों के प्रोत्साहन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कही गई ये बातें आपको भी रोमांचित कर देंगी।
इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति एक अलग ही अवस्था में था। बहुत से सवाल थे और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते हैं और अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो जाए। मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है। जब कम्यूनिकेशन ऑफ आया और आप सब चौंक गए थे, मैं देख रहा था उसे।इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्यक्ति एक अलग ही अवस्था में था। बहुत से सवाल थे और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते हैं और अचानक सबकुछ नजर आना बंद हो जाए। मैंने भी उस पल को आपके साथ जिया है। जब कम्यूनिकेशन ऑफ आया और आप सब चौंक गए थे, मैं देख रहा था उसे। मन में स्वाभाविक प्रश्न था- क्यों हुआ, कैसे हुआ? वैज्ञानिक का मन ही तो वही होता है। वो हर बात को क्यों और कैसे से शुरू करता है। बहुत सी उम्मीदें थीं। मैं देख रहा था, उसके बाद भी आपको लगता था- अरे यार कुछ तो होगा, क्योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था। पल-पल आपने बारीकी से इसको बढ़ाया था। मन में स्वाभाविक प्रश्न था- क्यों हुआ, कैसे हुआ? वैज्ञानिक का मन ही तो वही होता है। वो हर बात को क्यों और कैसे से शुरू करता है। बहुत सी उम्मीदें थीं। मैं देख रहा था, उसके बाद भी आपको लगता था- अरे यार कुछ तो होगा, क्योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था। पल-पल आपने बारीकी से इसको बढ़ाया था।
विज्ञान परिणामों से कभी संतुष्ट नहीं होता है। विज्ञान का आंतरिक गुण है- प्रयास, प्रयास और प्रयास। वो परिणाम में से भी नए प्रयास के अवसर ढूंढता है। वो परिणाम से रुकता नहीं है, न ही वो परिणाम के सामने झुकता है। ये आपके संस्कारों में हैं, इसीलिए तो देश आप पर गर्व करता है। मेरा आप पर पूरा विश्वास है। आपके सपने मुझसे भी बहुत ऊंचे हैं। आपके संकल्प मुझसे भी बहुत गहरे हैं। आपके प्रयास मुझसे ज्यादा सिद्धियों को चूमने का सामर्थ्य रखते हैं। इसलिए मैं पूरे विश्वास के साथ, आपके हौसलों पर भरोसा करके, दरअसल मैं आपको उपदेश देने नहीं आया- मैंने सुबह-सुबह आपके दर्शन आपसे प्रेरणा पाने के लिए किए। आप अपने आप में प्रेरणा के समंदर हैं, प्रेरणा का जीता-जागता सबूत हैं। इसलिए ये प्रेरणा के पल हैं मेरे लिए जहां निराशा को वैज्ञानिक मन आशा में परिवर्तित कर देता है। जहां सपनों को वैज्ञानिक मन सिद्धि में अंकुरित कर देता है। ऐसी सामर्थ्यवान, ऊर्जावान, संकल्पवान, सिद्धि के लिए समर्पित इन साथियों की टोली को अनेक-अनेक बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं भी देता हूं।