प्रवर्तन निदेशालय लगातार बड़ी-बड़ी कंपनियों में छापेमारी कर रहा है! देश में प्रवर्तन निदेशालय सुर्खियों में है। इसके शिकंजे में कब कौन आ जाए, कहा नहीं जा सकता है। इसकी नजर एक-एक पाई पर है। रुपये-पैसे में थोड़ी भी हेराफेरी हुई और इसके अधिकारियों की आहट सुनाई देने लगी। नेता हो या अभिनेता, डॉक्टर हो या पत्रकार, इसे कहीं भी हाथ डालने में संकोच नहीं लगता है। इसके खौफ की एक और बानगी मिली है। मामला वजीरएक्स नाम की कंपनी का है। इसके संस्थापक हैं निश्चल शेट्टी। यह कंपनी देश की सबसे बड़ी बिटकॉइन और क्रिप्टोएक्सचेंज होने का दावा करती है। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने इस कंपनी में हाथ डाला है। चीन की बिनांस ने कुछ साल पहले इसे खरीद लेने का ऐलान किया था। हालांकि, ईडी के हाथ डालते ही वह इस बात से ही मुकर गई है कि उसकी इसमें एक आना-पाई की भी हिस्सेदारी है। बिनांस दुनिया का सबसे बड़ा क्रिप्टो एक्सचेंज है। इसके सीईओ चांगपेंग झाओ हैं। पूरा मामला दिलचस्प इसलिए हो गया है कि न तो निश्चल शेट्टी कह रहे हैं कि वजीरएक्स उनकी है न चीनी सीईओ।ईडी की दहशत किसी से छुपी नहीं है। लेकिन, वजीरएक्स शायद अपनी तरह का पहला मामला है। जांच एजेंसी ने बीते शुक्रवार को WazirX को हिला दिया था। उसने कंपनी के 64.67 करोड़ रुपये के बैंक बैलेंस को फ्रीज करने की बात कही थी। क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चलाने वाली मशहूर कंपनी के डायरेक्टर के घर Zanmai Labs की ईडी के अधिकारियों ने बुधवार को तलाशी ली थी।
क्या सबूत मिले?
ईडी को एक्सचेंज के खिलाफ कुछ पुख्ता सबूत मिले हैं। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और उनके फिनटेक पार्टनरों की जांच के दौरान उसके हाथ ये सबूत लगे। ये कंपनियां अनाप-शनाप तरीके से कर्ज दे रही थीं। जांच शुरू होते ही इनमें से कुछ कंपनियों ने बोरिया-बिस्तर समेट लिया। यही नहीं, फिनटेक कंपनियों के जरिये इन्होंने क्रिप्टो एसेट्स की खरीदारी की। इस पैसे को बाद में विदेश भेज दिया गया।
जांच की आंच वजीर एक्स पर पड़ने के साथ एक दिलचस्प स्थिति बन गई है। 5 अगस्त को वजीरएक्स के संस्थापक निश्चल शेट्टी ने सिलसिलेवार ट्वीट किए। इनमें शेट्टी ने बताया कि उनका वजीरएक्स के साथ कोई लेनादेना नहीं है। इसे चीन की बिनांस खरीद चुकी है। उनकी फर्म का नाम Zanmai Labs है। इसे वह और कुछ सह-संस्थापक चलाते हैं। Zanmai Labs के पास बिनांस से INR-Crypto पेयर में ऑपरेट करने का लाइसेंस है। वजीरएक्स बिनांस क्रिप्टो – टू – क्रिप्टो पेयर में ऑपरेट करती है। वही क्रिप्टो विद्ड्रॉल को प्रोसेस भी करती है। कुला मिलाकर बात यह है कि निश्चल शेट्टी ने वजीरएक्स का मालिक होने से इनकार कर दिया है।हालांकि, कहानी अभी बाकी है। शेट्टी को यह बात कहने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि बिनांस के संस्थापक और सीईओ चांगपेंग झाओ ने भी वजीरएक्स का मालिक होने से इनकार कर दिया था। उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट करके कहा था कि पिछले कुछ सालों से वह डील को पूरा करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि, यह पूरी नहीं हुई थी। इसमें कुछ पेंच फंसे हुए थे।
झाओ का वजीरएक्स का मालिक होने से मुकरना थोड़ा चौंकाने वाला है। कारण है कि 2019 में उन्होंने खुलेआम एक घोषणा की थी। इसमें उन्होंने साफ-साफ लफ्जों में वजीरएक्स को खरीद लेने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वजीरएक्स का अधिग्रहण भारतीय लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण को दिखाता है। यह भारत में ब्लॉकचेन इकोसिस्टम को मजबूत करेगा। अब इस बात की आशंका जताई जा रही है कि शायद कंपनी में ईडी के हाथ डालने के कारण ही झाओ के बोल बदल गए हैं। निश्चल ने बिनांस के सीईओ के बदलने के कुछ घंटों के बाद ही ट्विट किए थे। एक अन्य ट्वीट में झाओ के दावे की पोल खोलते हुए शेट्टी ने जवाब दिया कि बिनांस का यह कहना, ‘हम वजीरएक्स को बंद कर सकते थे’, दिखाता है कि इसका कंट्रोल झाओ के पास है।झाओ का वजीरएक्स का मालिक होने से मुकरना थोड़ा चौंकाने वाला है। कारण है कि 2019 में उन्होंने खुलेआम एक घोषणा की थी। इसमें उन्होंने साफ-साफ लफ्जों में वजीरएक्स को खरीद लेने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वजीरएक्स का अधिग्रहण भारतीय लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण को दिखाता है।