Saturday, December 21, 2024
HomeIndian Newsविदेशी मंच पर क्या बोले भारतीय विदेश मंत्री?

विदेशी मंच पर क्या बोले भारतीय विदेश मंत्री?

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने विदेशी मंच पर लोगों को खरी खोटी सुना दी है! भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अपने बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं। बातों को स्पष्ट और तरीके से कहना उन्हें बखूबी आता है। देश होा विदेशी मंच अपनी बात पहुंचाने का मौका वह कभी नहीं चूकते। इसी कड़ी में एक अंतर्राष्ट्रीय मंच से कहा कि यह दुनिया अब भी डबल स्टैंडर्ड वाली है। जयशंकर ने आगे कहा कि जो देश प्रभावशाली स्थिति में हैं, वे बदलाव के दबाव का प्रतिरोध कर रहे हैं और जो देश ऐतिहासिक रूप से प्रभावशाली हैं, उन्होंने अपनी कई क्षमताओं का हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। एस जयशंकर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थानीय मिशन, संयुक्त राष्ट्र भारत और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ की ओर से आयोजित ‘दक्षिण का उदय: साझेदारियां, संस्थाएं एवं विचार’ शीर्षक वाले मंत्रिस्तरीय सत्र में हिस्सा लिया। उन्होंने यहां कहा कि मुझे लगता है कि बदलाव के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति के बजाय राजनीतिक दबाव है। उन्होंने कहा कि दुनिया में इस प्रकार की भावना बढ़ रही है और ‘ग्लोबल साउथ’ एक तरीके से इसे प्रतिबिंबित करता है, लेकिन इसका राजनीतिक प्रतिरोध भी हो रहा है। ‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल उन विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।

जयशंकर ने कहा, ‘जो देश प्रभावशाली स्थितियों में हैं, वे बदलाव का प्रतिरोध कर रहे हैं। हम सबसे अधिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऐसा देखते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘जिनका आज आर्थिक प्रभुत्व है, वे अपनी उत्पादन क्षमताओं का लाभ उठा रहे हैं और जिनका संस्थागत या ऐतिहासिक प्रभाव है, वे भी अपनी कई क्षमताओं का वास्तव में हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।’ जयशंकर ने कहा, ‘वे बातें तो उचित कहेंगे, लेकिन आज भी वास्तविकता यही है कि यह बहुत हद तक दोहरे मानकों वाली दुनिया है।’ उन्होंने कहा कि स्वयं कोविड इसका एक उदाहरण है। जयशंकर ने कहा, ‘इस संपूर्ण परिवर्तन में एक मायने में स्थिति यह है, जब ग्लोबल साउथ अंतरराष्ट्रीय प्रणाली पर अधिक से अधिक दबाव बना रहा है और ‘ग्लोबल नॉर्थ’… न केवल ‘नॉर्थ’, बल्कि ऐसे कई देश इस बदलाव को रोक रहे हैं, जो स्वयं को ‘नॉर्थ’ का हिस्सा नहीं मानते।’

ग्लोबल नॉर्थ’ शब्द का इस्तेमाल विकसित देशों के लिए किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका और यूरोप, इजराइल, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। जयशंकर ने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्संतुलन का वास्तविक अर्थ दुनिया की विविधता को पहचानना, विश्व की विविधता का सम्मान करना और अन्य संस्कृतियों एवं अन्य परंपराओं का सम्मान करना है।

विदेश मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में हुए जी-20 शिखर सम्मेलन का जिक्र किया और मोटे अनाज का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ ऐतिहासिक रूप से गेहूं कम और मोटा अनाज अधिक खाता है। जयशंकर ने कहा, ”बाजार के नाम पर बहुत कुछ किया जाता है, जैसे आजादी के नाम पर बहुत कुछ किया जाता है।” उन्होंने कहा कि अन्य लोगों की विरासत, परंपरा, संगीत, साहित्य और जीवन जीने के तरीके का सम्मान करना उस बदलाव का हिस्सा है, जिसे ‘ग्लोबल साउथ’ देखना चाहता है।

इस कार्यक्रम को संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज, रिलायंस फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगन्नाथ कुमार, भारत में संयुक्त राष्ट्र के ‘रेजिडेंट समन्वयक’ शोम्बी शार्प और ओआरएफ के अध्यक्ष समीर सरन ने भी संबोधित किया। सरन ने जयशंकर की इस टिप्पणी का जिक्र किया कि ”यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि यूरोप के लिए जयशंकर का रुख सख्त है। इसके जवाब में जयशंकर ने कहा, ‘नहीं बिल्कुल नहीं।’

जयशंकर ने कहा कि पूरी दुनिया जिन मुख्य समस्याओं से जूझ रही है, उनमें ऋण, एसडीजी सतत विकास लक्ष्य संसाधन, जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी कार्रवाई से जुड़े संसाधन, डिजिटल पहुंच, पोषण और लैंगिक मामले शामिल हैं। जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उचित कहा कि ”आइए, पहले उन लोगों से बात करें जो वार्ता की मेज पर नहीं होंगे, आइए जानें कि उन्हें क्या कहना है” और इसलिए भारत ने ‘वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट-2023’ का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन की मेजबानी ने भारत को ”यह कहने के लिए प्रमाणिक और अनुभव पर आधारित आधार दिया” कि ”हमने 125 देशों से बात की है और ये बातें उन्हें वास्तव में परेशान कर रही हैं और यही कारण है कि हमें इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।”

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments