Friday, April 11, 2025
HomeIndian Newsपीरियड्स की छुट्टी पर क्या कहती है बॉलीवुड की हसीनाएं?

पीरियड्स की छुट्टी पर क्या कहती है बॉलीवुड की हसीनाएं?

पीरियड्स की छुट्टी पर बॉलीवुड की हसीनाएं अपना अलग-अलग विचार रखती है! पिछले कुछ दिनों से पीरियड लीव काफी चर्चा में है। पीरियड लीव यानी महिलाओं को पीरियड्स के दौरान काम से छुट्टी देना। पिछले दिनों स्पेन ने महिलाओं को पीरियड के दर्द में छुट्टी देने के लिए कानून पास किया है। ये यूरोप का पहला देश है, जिसने पीरियड लीव को मंजूरी दी है। इस छुट्टी को लेकर समाज दो खेमों में बंटा हुआ है। एक खेमे का कहना है कि पीरियड के दर्द में काम करना मुश्किल होता है, इसलिए महिलाओं को इस दौरान छुट्टी देनी चाहिए, जबकि दूसरे तबके का कहना है कि इससे महिलाओं के करियर पर असर पड़ेगा। हमारी बॉलीवुड सेलेब्स भी इस मुद्दे पर अपनी राय रख चुकी हैं। आलिया भट्ट अक्सर सामाजिक मुद्दों को लेकर अपनी राय रखती रही हैं। उनके बारे में मशहूर है कि उनकी राय तटस्थ और बेहद मैच्योर होती है। कुछ समय पहले उन्होंने पीरियड्स के दौरान काम करने में आने वाली मुश्किलों पर बात की थी। उन्होंने कहा था, ‘क्या हम ये कह रहे हैं कि हम पीरियड के दिनों में महिलाओं को छुट्टी या घर से काम करने की इजाजत नहीं दे सकते। मेरी राय यह है कि हम अपने इस दर्द में अपने शरीर से लड़ रहे होते हैं ताकि हम कह सकें कि हम भी उतने अच्छे हैं जितने पुरुष समय के साथ बदले हैं। हम लोग समान हैं लेकिन एक जैसे नहीं हैं।’ बकौल आलिया पीरियड्स के दर्द में काम करना मुश्किल होता है।

तापसी पन्नू एक बार ‘वाट इफ्स’ कैंपेन का हिस्सा बनी थीं जो उन सामाजिक मुद्दों पर बनी-बनाई सोच को तोड़ने के लिए था जो समाज को परेशान करती हैं। इस बारे में तापसी ने कहा, ‘काश रुढ़िवादी ही टैबू विषय होते और हमारे पीरियड नहीं। काश शरीर पर आ रहे रैशेज खतरनाक होते और खुले में हमारे पैड ले जाना नहीं। काश पीरियड लीव लेना सामान्य बात होती और उसे बस दो दिन की समस्या कहना नहीं। काश ये कहना सामान्य होता कि मुझे पीरियड्स आ रहे हैं और ये कहना नहीं कि मेरी तबीयत खराब है या मैं परेशान हूं।’मिमि चक्रवर्ती का कहना है कि हर महिला पीरियड्स के दौरान अलग-अलग तरह के दर्द से होकर गुजरती है, इसलिए इस चर्चा को सबके लिए एक नहीं माना जा सकता। अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था, ‘मुझे लगता है कि पीरियड लीव का विकल्प देना इस बात के प्रति संवेदनशील होना और इसे सम्मान देना है कि हर महिला अपने मेंस्ट्रुअल साइकल के दौरान अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है।’

ऐक्ट्रेस और सांसद नुसरत जहां का मानना है कि पीरियड्स लीव देना सही दिशा में उठाया जाने वाला कदम है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं इस बारे में बात नहीं करती हैं कि उनके लिए पीरियड्स का दर्द कितना भयानक होता है। नुसरत ने कहा कि जब आपका खून बह रहा हो, तब घर पर रहना ज्यादा आरामदायक होता है। महिलाओं को अपने मासिक धर्म को लेकर शर्म नहीं महसूस करनी चाहिए और ना ही अपना आत्मविश्वास खत्म करना चाहिए। बकौल नुसरत, यह कदम मेंस्ट्रुएशन को लेकर टैबू को तोड़ने में मदद करेगा, इसलिए काम करने वाली महिलाओं को ये छुट्टी लेने में कमजोर नहीं महसूस करना चाहिए।

अक्सर सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय रखने वाली पाउली दाम ने एक बार अपने इंटरव्यू में कहा था कि पीरियड लीव देना वर्किंग विमन को प्रेरित करेगा क्योंकि इससे पीरियड्स और इसके बारे में बातचीत को सामान्य होने में मदद मिलेगी। पाउली का विश्वास है कि महिला और पुरुष के बीच के अंतर को नकारने के बजाय दोनों के अस्तित्व के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि जो लोग पहले ही महिला-पुरुष के बीच पक्षपात रखते हैं, पीरियड लीव उनके पक्षपात को और गहरा कर देगी। लेकिन वे लोग जो तर्क पीरियड लीव के लिए दे रहे हैं, वह मैटरनिटी लीव में भी दिया जा सकता है, जिसे अब हमारे समाज ने स्वीकार कर लिया है। पाउली का कहना है कि प्रेग्नेंसी अपनी मर्जी से हो सकती है लेकिन मेंस्ट्रुएशन नहीं।

पीरियड्स लीव के बारे में बात करते हुए स्वास्तिका मुखर्जी उम्मीद जताती हैं कि इसे महिलाओं के विशेषाधिकार के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि पुरुष की तरह महिलाएं भी जानती हैं कि ऑफिस में काम किस तरह किया जाता है। स्वास्तिका ने कहा कि पीरियड्स लीव को महिला सशक्तिकरण के बहाने या छूट के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। अगर हम ऐसा सोचते हैं तो सशक्तिकरण के लिए छूट मांगते हुए हम सालों पीछे चले जाएंगे। आज महीने के हर दिन में काम पर जाने के लिए हमारे पास सब कुछ है। इसलिए महिलाओं से भी पुरुषों की तरह ही व्यवहार किया जाना चाहिए, फिर चाहे महीने का कोई भी दिन हो। स्वास्तिका का कहना है कि हमें सभी से समान रूप से व्यवहार करना चाहिए।

राइमा सेन महिला क्रेंद्रित विषयों पर बात करने से कभी नहीं चूकतीं। पिछले दिनों एक इंटरव्यू में राइमा ने इस बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए उनका कम्फर्ट लेवल भी अलग होता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों को पीरियड्स के दौरान खूब ऐंठन होती है तो कुछ लोगों की कमर में बहुत दर्द होता है। इस बहस पर उन्होंने कहा कि जिन दिनों में महिलाओं को पीरियड्स आते हैं और वह काम पर नहीं आ सकती है तो कंपनी को इसे समझना चाहिए। राइमा ने महिलाओं से यह भी कहा कि वह वही करें जो उन्हें अपने लिए बेहतर लगे।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments