अपने करियर को लेकर क्या विचार रखते हैं एक्टर अदनान खान?

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आज हम आपको बताएंगे कि एक्टर अदनान खान अपने करियर को लेकर क्या विचार रखते हैं! शो ‘इश्क सुभान अल्लाह’ से अपनी पहचान बनाने और मौजूदा समय में ‘कथा अनकही’ में काम कर रहे कलाकार अदनान खान फिलहाल अपने काम पर पूरी तरह से फोकस्ड है। उन्होंने संघर्षों से यहां तक का सफर तय किया है और वो आगे भी अपनी पहचान को मजबूत करना चाहते हैं। शो कथा अनकही में मेरा किरदार काफी अलग है। इसमें मैंने एक ऐसे लड़के का किरदार निभाया है, जिसके साथ बचपन में एकट्रेजडी हो जाती है। उसके बाद से वह अकेला रहने लगता है। उसका बस एक ही दोस्त है और वह जल्दी किसी से घुल-मिल नहीं पाता है। मेरे किरदार के साथ कहानी और पूरा प्लॉट इतना ताजा और अनूठा था कि मैंने शो के लिए हां कहने में एक मिनट का समय नहीं लगाया। यह शो अरेबियन नाइट्स से प्रेरित टर्की ड्रामा बिनबीर गेस अंग्रेजी में 1001 नाइट्स का हिंदी रीमेक है। इस शो के हिंदी रीमेक का हिस्सा बनना मेरे लिए एक कलाकार के रूप में किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है। मैं दुबई में जन्मा हूं। वहीं पर मेरा पूरा परिवार है। एक स्टैंडर्ड लाइफ जी रहा था। फिर एक दिन एक इग्लिंश मूवी देख रहा था, उस दौरान मुझे लगा कि यार मैं भी ऐक्टिंग करना चाहता हूं। उस फिल्म को देखने के बाद मेरे अंदर एक ऐक्टर का जन्म हुआ। फिर मैंने अपने परिवार से बात की तो उन्होंने कहा कि जाओ कोशिश करो। मैं मुंबई आ गया। यहां आने के बाद मुझे पता चला कि ये सब इतना आसान नहीं है। मेरा कोई गॉडफादर नहीं है इसलिए मैं सुबह से शाम तक अंधेरी मुंबई में टहला करता था और जहां ऑडिशन हो रहा होता था वहां पहुंच जाता था। कई बार छोटे-मोटे रोल मिले तो कई बार रिजेक्ट कर दिया गया। इस तरह मेरा सफर शुरू हुआ। फिर मुझे शो इश्क सुभान अल्लाह मिला। उस शो ने मुझे पहचान दी।

शाहरुख खान का बहुत बड़ा फैन हूं। उनकी ऐक्टिंग का कायल हूं। मुझे इरफान खान की ऐक्टिंग भी बहुत पंसद है। नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों की ऐक्टिंग मुझे आकर्षित करती है। जिस तरह से ये कलाकार अपने किरदार को अपनाते हैं, उनमें ढल जाते हैं वह काबिल-ए-तारीफ है। वैसे तो मैं ज्यादातर इंग्लिश मूवीज देखता हूं लेकिन जब मौका मिलता है तो इन कलाकारों की फिल्में जरूर देखता हूं।

शो ‘इश्क सुभान अल्लाह’ की शूटिंग के लिए मैं लखनऊ आया था। सच बताऊं तो मैं खाने का बहुत शौकीन हूं। मेरे दिल से जो पहली चाह निकलती है वो खाने के लिए निकलती है। शूटिंग के दौरान मैंने लखनऊ के गलावटी कबाब खाए और बिरयानी का जायका लिया। मुझे गलावटी कबाब से ज्यादा बिरयानी पसंद आई। मैं यह बात सबके सामने कह सकता हूं और चैलेंज के साथ कि लखनऊ जैसी बिरयानी कहीं नहीं मिलती है। मैंने शहर में एक नई चीज भी देखी थी। वहां पर गोल-गप्पे के दस तरीके के पानी होते हैं। यह देखकर मैं हैरान रह गया क्योंकि मेरी जिंदगी का यह पहला अनुभव था। मुझे प्रकाश की कुल्फी बहुत पसंद आई। जहां तक वहां के लोग और ऐतिहासिक धरोहरों की बात है तो इमामबाड़ा की खूबसूरती अद्भुत है। हमने वहां पर शूट भी किया था। लोगों का तो क्या ही कहना। मैं लखनवी अदब, लिहाज और तहजीब का कायल हो गया।

ओटीटी की वजह से टीवी और फिल्मों में कॉम्पिटिशन बढ़ गया है। साथ ही ऐक्टरों के काम का स्तर भी बढ़ा है। ओटीटी ने हमारे दर्शकों को बाहर के सिनेमा से कनेक्ट कर दिया। उसकी वजह से लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस कारण ऐक्टर-डायरेक्टर सबको अपने काम में बदलाव करना पड़ा। अब एक्सपेरिमेंट का जमाना आ गया है। ओटीटी ने रिस्क लेना सिखा दिया है। दर्शकों ने इतना बेहतरीन सिनेमा देख लिया कि वो हमसे उम्मीद करने लगे हैं कि हम भी विदेशी फिल्मों की तरह कॉन्टेंट लाएं।

एक समय था मैं शायरी लिखता था। अब मैं फीचर फिल्म की स्क्रिप्ट पर काम कर रहा हूं। उससे पहले मेरी एक शार्ट फिल्म है, जिस पर काम कर रहा हूं। मुझे इमोशंस को कागज पर उतारना बहुत पसंद है। अभी हाल ही में मैंने मुंबई में दो बहनों को देखा। दोनों करीब 60 प्लस थीं। एक बहन बिस्तर पर थी तो दूसरी छोटी बहन उसकी खिदमत कर रही थी। वह जो लगाव और अपनापन है उसकी कोई बराबरी नहीं है। उस इमोशन को लिखना बहुत मुश्किल होता है।