भारत द्वारा आयोजित G20 के लिए क्या कहता है अमेरिकी मीडिया?

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हाल ही में अमेरिकी मीडिया ने भारत द्वारा आयोजित G20 के लिए एक बयान दिया है! भारत में 9-10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन चल रहा है। इस शिखर सम्मेलन में दो सदस्य देशों के प्रमुखों ने आने से इनकार कर दिया है। विदेशी मीडिया भारत की जी-20 अध्यक्षता को देश में होने वाले चुनाव से पहले बेहद महत्वपूर्ण मान रहा है। यूक्रेन युद्ध पर गहराते जा रहे मतभेदों के बीच दुनिया के नेता एक साथ दिल्ली पहुंचे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमजोरी और जलवायु परिवर्तन कुछ प्रमुख मुद्दे हैं, जिन पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। जी20 की अध्यक्षता एक ऐसी घटना है जो घरेलू स्तर पर सुर्खियां बटोर रही है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि कुछ दिनों बाद ही वह तीसरे कार्यकाल के लिए आम चुनावों में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन फिर भी जैसे-जैसे युद्ध बढ़ता जा रहा है, चीन, रूस और जी-20 के कई अन्य सदस्यों के बीच मनमुटाव मोदी सरकार की परीक्षा ले सकता है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे। हालांकि उन्होंने इसके लिए किसी तरह का कारण नहीं बताया है। इस कदम को ज्यादातर भारत विरोध के रूप में देखा जा रहा है।

वहीं राष्ट्रपति पुतिन युद्ध में फंसे होने के कारण देश में नहीं आ रहे। दो बड़े नेताओं के न आने से इस पूरे कार्यक्रम में ध्यान अमेरिका खींच रहा है। जी-20 में इतने मतभेदों के कारण इसे किसी एक समझौते पर पहुंचना असंभव माना जा रहा है। हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह सभी चुनौतियां पीएम मोदी को विश्व मंच पर दबदबा बढ़ाने और भारत की भूराजनीतिक ताकत दिखाने का एक अनूठा मौका देती है। भारत में तक्षशिला संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर कजरी कमल ने कहा, ‘पूर्व-पश्चिम के बीच ध्रुवीकरण और उत्तर-दक्षिण देशों के बीच अंतर है। भारत एक पुल की तरह कार्य कर सकता है।’

नई दिल्ली में इसकी बंपर तैयारी की गई है। किसी भी तरह सम्मेलन खराब न हो, इसलिए हजारों की संख्या में फोर्स तैनात की गई है। बंदरों को भगाने के लिए लंगूरों के पोस्टर लगे हैं। रिपोर्ट में आगे लिखा गया कि पीएम मोदी इस साल ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका की अपनी सफल यात्रा पर गए हैं, जो उन्हें एक मॉर्डन सुपर पावर देश के नेता के तौर पर दिखाता है। जी20 की अध्यक्षता इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है। इसके साथ ही चंद्रयान मिशन और आदित्य एल-1 मिशन भी भारत की ताकत दिखाते हैं।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए हैं। उनके शामिल न होने को भारत के लिए फायदेमंद भी समझा जा रहा है। होनोलूलू के विदेश नीति अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ फेलो अखिल रमेश ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मोदी इस अवसर को बाइडेन के साथ मिलकर ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में खुद को स्थापित करने के अवसर के तौर पर देखेंगे। दुनिया के सबसे बड़े और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र एकसाथ मिलकर नए युग का निर्माण कर सकते हैं, जो सभी की जरूरतों का प्रतिनिधित्व करेगा।’ आपको बता दें कि द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, बाइडेन और मोदी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन WTO में दोनों देशों के बीच चल रहे बकाया व्यापार विवाद को हल करने पर भी सहमत हुए. बैठक में दोनों ने रक्षा संबंधों को भी और मजबूती दी.शी जिनपिंग इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे। हालांकि उन्होंने इसके लिए किसी तरह का कारण नहीं बताया है। इस कदम को ज्यादातर भारत विरोध के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिकी कांग्रेस ने जीई जेट इंजन सौदे पर कोई आपत्ति नहीं जताई और भारत ने MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन के लिए अपना अनुरोध पत्र जारी किया!

वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि “बैठक के दौरान मोदी ने भारत की जी 20 अध्यक्षता के लिए बाइडेन के लगातार समर्थन के साथ-साथ भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए उनकी दृष्टि और प्रतिबद्धता की सराहना की! बैठक में बाइडेन के साथ राज्य के सचिव एंटनी जे ब्लिंकन, ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन, भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के वरिष्ठ अधिकारी, कर्ट कैंपबेल और एलीन लाउबाचर मौजूद रहे, जबकि नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, प्रमुख सचिव पीके मिश्रा, विदेश सचिव विनय क्वात्रा और पीएम कार्यालय में संयुक्त सचिव दीपक मित्तल और हिरेन जोशी शामिल रहे!