बीजेपी पूर्वोत्तर में कुछ नया करने वाली है! एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी को हिंदी और हिंदुओं की पार्टी माना जाता था। जैसे-जैसे भाजपा का प्रभाव बढ़ा और वह देश के कोने-कोने में सफलता हासिल करने लगी, कई धारणाएं टूटीं। खासकर 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पार्टी ने सफलता के नए कीर्तिमान बनाए।भारतीय जनता पार्टी का पूर्वोत्तर में जिस तरह जनाधार बढ़ा है, उसने दशकों से बनी उस धारणा को तोड़ा है कि भाजपा केवल हिंदू-हिंदू पार्टी है। हाल में गृह मंत्री अमित शाह ने गुवाहाटी में कहा था कि पूर्वोत्तर में ‘असली भारत जोड़ो’ 2014 में पीएम मोदी ने शुरू किया था। पार्टी ने एक बार फिर क्षेत्र में अपने राजनीतिक विस्तार पर फोकस करना शुरू किया है। शाह पूर्वोत्तर में पार्टी के सबसे बड़े ऑफिस – अटल बिहारी वाजपेयी भवन का उद्घाटन करने के लिए गए थे। उन्होंने क्षेत्र में भाजपा के अभियान को ‘भारत जोड़ो’ की तरह प्रोजेक्ट किया है। 2014 में क्षेत्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव आया, जब भाजपा ने क्षेत्र में दबदबा रखने वाली राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस की जगह ले ली! गुवाहाटी में शाह का बयान जुलाई में हैदराबाद में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान उनके उस दावे से आगे की बात है, जब उन्होंने कहा था कि पार्टी को पूर्वोत्तर में स्थायी पता मिल गया है। लेकिन सवाल उठता है कि यह राजनीतिक बदलाव कितना मजबूत है?
2016 तक भाजपा आठ पूर्वोत्तर राज्यों में से एक में भी सरकार नहीं बना पाई थी, हां 2003 में अचानक बदले राजनीतिक घटनाक्रम की बदौलत पूर्वोत्तर में गेगांग अपांग भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने थे।आज क्षेत्र के आठ में से छह राज्यों में भाजपा सरकार में है।
असम में 2016 और 2021 में जीत मिली, 2018 में त्रिपुरा में कमल खिला, अरुणाचल में 2016 और 2019 में विजय पताका फहराई गई और मणिपुर में 2017 और 2022 में जीत मिली।
नगालैंड (2018) और मेघालय (2018) में भाजपा बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों की अगुवाई में चल रही गठबंधन सरकारों में जूनियर पार्टनर है।मिजोरम और सिक्किम में सत्ता में शामिल पार्टियां नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रैटिक अलायंस में शामिल हैं।संसदीय चुनावों में भी कांग्रेस से भाजपा की तरफ राजनीतिक शिफ्ट दिखाई दिया है। 2014 में भाजपा ने पूर्वोत्तर में महज 32 फीसदी लोकसभा सीटें जीती थीं। 2019 में यह आंकड़ा 56 फीसदी पहुंच गया।
सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली बड़े राज्यों में कश्मीर के बाद भाजपा शासित असम (34.2%) का नंबर आता है।
नगालैंड में 87.9 प्रतिशत, मेघालय में 74.5 प्रतिशत, मणिपुर में 41.2 प्रतिशत और अरुणाचल प्रदेश में 30.2 प्रतिशत ईसाई हैं।यह पूर्वोत्तर की जटिलता और विविधता है जो अब तक हिंदी भाषी क्षेत्र की राजनीति से दूर है।
इससे भाजपा का उभार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। एक ऐसी पार्टी जिसे हिंदू-केंद्रित राजनीति करने वाली माना जाता था, इन राज्यों में जीत मिलना का संदेश बड़ा है।
हिंदी भाषी क्षेत्र की तुलना में भाजपा ने पूर्वोत्तर में अपनी अलग क्षमता का प्रदर्शन किया और उसे स्वीकार भी किया गया। ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि भाजपा ने यह कैसे किया।
सरकारी डेटा से पता चलता है कि 2014-15 और 2018-19 के बीच क्षेत्र के ज्यादातर राज्यों में केंद्र सरकारी की फंडिंग काफी बढ़ी है। असम में सेंट्रल फंडिंग इस अवधि में 50 प्रतिशत बढ़ गई, मणिपुर में 60 प्रतिशत और मिजोरम में दोगुना से भी अधिक बढ़ी।
यह पूर्वोत्तर की जटिलता और विविधता है जो अब तक हिंदी भाषी क्षेत्र की राजनीति से दूर है। इससे भाजपा का उभार और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। एक ऐसी पार्टी जिसे हिंदू-केंद्रित राजनीति करने वाली माना जाता था, इन राज्यों में जीत मिलना का संदेश बड़ा है।हिंदी भाषी क्षेत्र की तुलना में भाजपा ने पूर्वोत्तर में अपनी अलग क्षमता का प्रदर्शन किया और उसे स्वीकार भी किया गया।
ऐसे में यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि भाजपा ने यह कैसे किया।सरकारी डेटा से पता चलता है कि 2014-15 और 2018-19 के बीच क्षेत्र के ज्यादातर राज्यों में केंद्र सरकारी की फंडिंग काफी बढ़ी है।
असम में सेंट्रल फंडिंग इस अवधि में 50 प्रतिशत बढ़ गई, मणिपुर में 60 प्रतिशत और मिजोरम में दोगुना से भी अधिक बढ़ी।हालांकि चुनौतियां भी आगे खड़ी हैं। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में 2023 में चुनाव होने वाले हैं। त्रिपुरा में आदिवासी इलाकों में TIPRA मोथा से कड़ी चुनौती मिल सकती है, मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर टेंशन चल रही है। नगालैंड में भाजपा ने सहयोगी एनडीपीपी के साथ सीट शेयरिंह समझौते को अंतिम रूप दिया है। पूर्वोत्तर के पॉलिटिकल गेम में अगले कुछ महीने सियासत किस तरह आगे बढ़ती है, यह 2024 के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
हालांकि चुनौतियां भी आगे खड़ी हैं। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय में 2023 में चुनाव होने वाले हैं। त्रिपुरा में आदिवासी इलाकों में TIPRA मोथा से कड़ी चुनौती मिल सकती है, मेघालय में सत्तारूढ़ गठबंधन के अंदर टेंशन चल रही है। नगालैंड में भाजपा ने सहयोगी एनडीपीपी के साथ सीट शेयरिंह समझौते को अंतिम रूप दिया है। पूर्वोत्तर के पॉलिटिकल गेम में अगले कुछ महीने सियासत किस तरह आगे बढ़ती है, यह 2024 के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।