जाति आधारित जनगणना पर क्या कहता है RSS?

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आज हम आपको बताएंगे की जाति आधारित जनगणना पर RSS क्या विचार रखता है! राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने एक पदाधिकारी द्वारा जातिगत सर्वे का विरोध किए जाने के कुछ दिन बाद गुरुवार को कहा कि इस तरह की कवायद का इस्तेमाल समाज के समग्र विकास के लिए किया जाना चाहिए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सामाजिक सद्भाव और एकता को कोई नुकसान न हो। आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि संघ किसी भी भेदभाव और विषमता से मुक्त सामाजिक न्याय पर आधारित हिंदू समाज के लक्ष्य को लेकर काम करता है। जाहिर है, देश में जाति सर्वे को लेकर राजनीतिक दलों के बयानों के बीच संघ इस बहस में खुद को शामिल नहीं करना चाहता लेकिन संघ के एक पदाधिकारी के बयान के बाद संघ को रुख साफ करना पड़ा। जातिगत सर्वे पर संघ ने संतुलित रुख दिखाने की कोशिश की है। सूत्रों के मुताबिक मार्च में होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा में भी जातिगत सर्वे पर प्रस्ताव आ सकता है लेकिन यह इसके पक्ष या विरोध में न होकर सामान्य प्रस्ताव होगा। संघ की प्रतिनिधि सभा संघ की फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। दो दिन पहले संघ के एक नेता ने कहा था कि जातिगत सर्वे नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की कवायद से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है क्योंकि इससे यह डेटा मिलेगा कि किसी जाति की कितनी आबादी है, लेकिन यह सामाजिक रूप से और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में अच्छा नहीं है। उनके इस बयान के बाद इस पर चर्चा होने लगी जिसके बाद संघ की तरफ से रूख साफ किया गया है।

संघ लंबे वक्त से समरसता अभियान चला रहा है। इसमें एक मंदिर, एक कुआं और एक श्मशान अभियान भी शामिल है। संघ की कोशिश हिंदू समाज को एकजुट करने की है और वह अनुसूचित जातियों के लिए भी लगातार इस तरह का अभियान चला रहा है। संघ के सीनियर प्रचारक ने कहा कि हमें इसकी आशंका है कि जिस तरह जातीय जनगणना के नाम पर राजनीति हो रही है, उससे समाज में ज्यादा विभाजन ना हो। अलग-अलग जातियों के आंकड़े सामने आने से वह खाई चौड़ी ना हो, जिसे हम लगातार पाटने का काम रह रहे हैं। उन्बोंने कहा कि हम इसलिए इस विवाद में ना पड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दे कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल भले ही पूरे देश में जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस ने जाति जनगणना को गैरजरूरी करार दिया है। संघ के पदाधिकारी श्रीधर गाडगे ने जाति जनगणना के मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि कोई जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए और उन्होंने साथ ही सवाल किया कि इससे क्या हासिल होगा? विदर्भ सह-संघचालक गाडगे ने कहा कि इस तरह की कवायद से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे यह डेटा मिलेगा कि किसी निश्चित जाति की आबादी कितनी है, लेकिन यह सामाजिक रूप से और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में अच्छा नहीं है? मीडिया से बातचीत में गाडगे ने कहा कि हमें लगता है कि जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने का कोई कारण नहीं है। जाति आधारित जनगणना करके हमें क्या हासिल होगा? यह गलत है। उन्होंने कहा कि हमारा स्पष्ट रुख है कि कोई असमानता, शत्रुता या झगड़ा नहीं होना चाहिए। एक सवाल पर गाडगे ने कहा कि जाति आधारित जनगणना का आरक्षण से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि आरक्षण एक अलग चीज है और आप जाति व्यवस्था को खत्म कर सकते हैं। मैं उस जाति का होऊंगा, जिसमें मैं पैदा हुआ हूं और जब यह आरक्षण के अंतर्गत आएगी, तो इसका उल्लेख किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण और जाति व्यवस्था अलग-अलग मुद्दे हैं। गाडगे ने कहा कि आरक्षण का प्रावधान सामाजिक उत्थान के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि इसलिए पूर्ण सामाजिक प्रगति होने तक आरक्षण जारी रहेगा, क्योंकि सभी समुदायों ने अभी तक प्रगति नहीं की है।

गाडगे ने कहा कि आरएसएस का स्पष्ट रुख है और प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति की प्रगति नहीं हो जाती, तब तक आरक्षण जारी रहेगा। यह एक सामाजिक व्यवस्था है, लेकिन इसका जाति आधारित जनगणना से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि जाति की गिनती नहीं होने पर आरक्षण में कोई बाधा नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति एक फॉर्म में अपनी जाति का उल्लेख करता है, लेकिन सर्वेक्षण की आवश्यकता क्यों है? बिहार में जातिगत सर्वे होने के बाद महाराष्ट्र में भी इसकी मांग हो रही है। गाडगे ने कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह एक राजनीतिक रुख था। चव्हाण ने कहा था कि जाति-आधारित जनगणना हर समुदाय की संख्या की स्पष्ट तस्वीर देगी और सामाजिक कल्याण लाभों को वितरित करने में मदद करेगी। इससे आरक्षण की स्थिति पर भी तस्वीर साफ हो जाएगी। समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने कहा कि जाति जनगणना किसी समुदाय की आबादी के अनुसार कल्याणकारी लाभों के वितरण को सक्षम बनाएगी।