सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप के बारे में क्या कहता है?

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सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट मैरिटल रेप के बारे में क्या कहता है! सेक्स वैवाहिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन कई बार ऐसा होता है जब पार्टनर का मूड नहीं होता। इच्छा नहीं होती। अगर दोनों में से किसी भी पार्टनर का मूड न हो तो उसे सेक्स के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन इसे लेकर कानून में क्या है? क्या पार्टनर से उसकी मर्जी के खिलाफ सेक्स संबंध बनाना रेप के दायरे में आता है? ‘पति, पत्नी और सेक्स’ को लेकर अदालतों ने कब-कब अहम फैसले दिए? आइए देखते हैं।अक्सर कुछ पुरुष पत्नी को सेक्स के लिए मजबूर करते हैं, चाहे उसकी मर्जी हो या न हो। पत्नी को जागीर समझना और उसकी मर्जी या इच्छा के खिलाफ सेक्स करना गलत है लेकिन आज भी बहुत से घरों में ये होता है। यूपी में तो एक पति ने रात में दो बार सेक्स से इनकार पर अपनी पत्नी का ही गला घोंटकर मार डाला। घटना इसी हफ्ते की है। अमरोहा में 34 साल के मोहम्मद अनवर ने अपनी 30 साल की पत्नी को कथित तौर पर इसलिए मार डाला कि उसने रात में दो बार सेक्स से इनकार किया था। उसने पुलिस को बताया कि सोमवार की रात को उसने पत्नी को जगाकर उसके साथ सेक्स किया। कुछ देर बाद उसे फिर सेक्स की तलब चढ़ गई लेकिन पत्नी ने इनकार कर दिया। इससे गुस्साएं अनवर ने एक रस्सी से उसके गला को दबाकर हत्या कर दी। शव को पॉलिथीन में लपेटकर घर से 50 किलोमीटर दूर फेंक आया और पुलिस में ये शिकायत दर्ज करा दी कि उसकी पत्नी गुमशुदा है।

इंडियन पेनल कोड के सेक्शन 375 में उन 7 परिस्थितियों को बताया गया है जिन्हें रेप के दायरे में रखा गया है।

1- मर्जी के खिलाफ यौन संबंध बनाना

2-बिना सहमति से यौन संबंध

3- अगर महिला के किसी प्रिय व्यक्ति को चोट पहुंचाने या उसे मार डालने की धमकी देकर सेक्स के लिए उसकी सहमति ली गई हो तो ये भी रेप है

4- महिला की सहमति हो लेकिन वह ये सोचकर सहमति दी हो कि उस वह शख्स उसका पति है या फिर उससे उसकी शादी होगी। लेकिन शख्स को ये पता है कि वह उस महिला का पति नहीं है।

5- अगर महिला ने नशे की हालत में सहमति दी हो तो या उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो

6-अगर 18 साल से कम उम्र की महिला से उसकी सहमति या बिना उसकी सहमति के सेक्स संबंध बनाया जाए तो ये रेप होगा। ये बहुत महत्वपूर्ण है। अगर किसी नाबालिग लड़की से उसकी सहमति से भी यौन संबंध बनाए जाएं तो वह रेप के दायरे में आएगा।

7-अगर महिला अपनी सहमति देने में असमर्थ है फिर भी उसे सहमति मानकर यौन संबंध बनाया जाए तो ये रेप की श्रेणी में आता है।

आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक, किसी महिला से उसकी मर्जी के खिलाफ, बिना उसकी सहमति के सेक्स करना रेप है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर पत्नी की सहमति या उसकी इच्छा के बिना पति उससे सेक्स करता है तो क्या वो भी रेप की श्रेणी में आएगा? इसका जवाब है नहीं। आईपीसी की धारा 375 में ही ये साफ किया गया है कि अगर कोई पति अपनी पत्नी के साथ जिसकी उम्र कम से कम 15 वर्ष हो, यौन संबंध बनाता है तो उसे रेप नहीं माना जाएगा। दुनिया के कई देशों में पत्नी के साथ जबरन सेक्स संबंध को रेप माना गया है। इसे ‘मैरिटल रेप’ कहते हैं। भारत में भी मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग जोर पकड़ रही है। सुप्रीम कोर्ट भी अबॉर्शन से जुड़े एक मामले में कह चुका है कि पत्नी की मर्जी के खिलाफ सेक्स रेप है।

11 मई 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने मैरिटल रेप को लेकर बंटा हुआ फैसला दिया। दो जजों की बेंच में से एक ने आईपीसी की धारा 375 के तहत उस अपवाद को खारिज कर दिया जिसके मुताबिक पत्नी से उसकी सहमति के बिना यौन संबंध भी रेप के दायरे से बाहर है। हालांकि, दूसरे जज ने अपवाद को सही ठहराया यानी पत्नी से जबरन सेक्स अपराध नहीं है। बंटा हुआ फैसला होने की वजह से ये लागू नहीं हो सकता। फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है।सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने ‘मैरिटल रेप’ के कॉन्सेप्ट को पहली बार मान्यता दी। मामला एक महिला के गर्भपात से जुड़ा हुआ था। एक सिंगल महिला ने अपने 20 से 24 हफ्ते पुराने अनचाहे गर्भ को गिराने की इजाजत मांगी थी। दरअसल मेडिकल टर्मिनेश ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट (MTP Act) के तहत विवाहित महिला को गर्भपात का अधिकार है लेकिन अविवाहित महिला को नहीं। इस मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि महिला शादीशुदा है या अविवाहित, इस आधार पर सुरक्षित गर्भपात में भेदभाव नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई विवाहित महिला भी अपनी मर्जी के बिना प्रेग्नेंट होती है तो इसे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ऐक्ट के तहत रेप माना जाना चाहिए और इस आधार पर उसे अबॉर्शन का अधिकार होगा।

सितंबर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक संबंधों में सेक्स को लेकर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर पति या पत्नी बिना किसी वाजिब कारण के लंबे समय तक पार्टनर को से्स ने करने दे तो ये मानसिक क्रूरता है। शीर्ष अदालत ने इस तरह मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए एक शख्स को उसकी पत्नी से तलाक को मंजूरी दे दी। दरअसल, तमिलनाडु की एक महिला की अप्रैल 2015 में वहीं के एक युवक से शादी हुई थी। युवक लंदन में नौकरी करता था। शादी के बाद महिला पति के साथ लंदन चली गई। 8 महीने बाद दोनों छुट्टी पर चेन्नै आ गए। जब लंदन वापस जाने की बारी आई तो महिला ने जाने से इनकार कर दिया। हालांकि, पति ने उसका टिकट तक निकलवा दिया था। 2008 में पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका डाली कि उसकी पत्नी उसे अपने साथ सेक्स नहीं करने दे रही। यहां तक कि शादी के बाद जब वह उसके साथ लंदन गई थी तब भी वहां 8 महीनों के दौरान उसे अपने साथ सेक्स नहीं करने दिया।