Friday, November 22, 2024
HomeIndian Newsप्रधानमंत्री मोदी के लिए क्या कहती है दुनिया?

प्रधानमंत्री मोदी के लिए क्या कहती है दुनिया?

प्रधानमंत्री किसी भी तरीके से अपनी बातें लोगों तक पहुंचा ही देते हैं! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी ताकत उनकी कम्‍यूनिकेशन स्किल है। वह अपनी बात को लोगों तक आसानी से पहुंचा देते हैं। सिर्फ बोल कर ही नहीं अपने हाव-भाव से। भाव-भंगिमाओं से। पहनावे-उढ़ावे से। ऐक्‍शन से। बॉडी लैंग्विज से। यह गुर उन्‍होंने शायद राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी से सीखा है। महात्‍मा गांधी का चश्‍मा, उनका चरखा, उनका पहनावा सबकुछ बोलता था। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले ही मोदी हिंदू हृदय सम्राट के तौर पर जाने जाते थे। यह इमेज बाद में भी कमजोर नहीं पड़ी। 2014 में पद संभालने के बाद से उन्‍होंने हमेशा ‘सबका साथ सबका विकास की बात’ की। जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में ही तमाम नेता लुंगी, टोपी जैसे विवादित बयान देते रहे, मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नक्‍शेकदम पर चले। पद की गरिमा को बनाए रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कभी ऐसा बयान नहीं दिया जिसमें मजहबी रंग दिखाई दे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 72 साल के हो जाएंगे। 26 मई 2014 को उन्‍होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। पीएम बनने से पहले मोदी तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री (2001-2014) रह चुके हैं। इस दौरान उन पर कई कलंक लगे। इनमें गोधरा दंगे सबसे प्रमुख हैं। एक समय था जब अमेरिका ने मोदी की एंट्री पर रोक तक लगा दी थी। 2002 गुजरात दंगों के चलते अमेरिका ने मार्च 2005 में मोदी पर वीजा प्रतिबंध लगाया था। हालांकि, उन पर लगे सभी आरोप बेबुनियाद साबित हुए थे।

मोदी में बोलने का गजब का कौशल है। अपनी बातों को कहने और सुनाने के वह माहिर हैं। उनकी बोली में आत्मविश्‍वास झलकता है। भूमिका बनाकर अपनी बात को आगे बढ़ाने का उनका अंदाज कहानीकार जैसा होता है। उनके भाषण बोझिल नहीं करते हैं। वह कठिन से कठिन विषय को आसानी से समझा देते हैं। यह उनके नेतृत्‍व की सबसे बड़ी खूबी है। उन्‍होंने कड़े से कड़े फैसलों में लोगों का समर्थन जुटाया। नोटबंदी, जीएसटी, एयर स्‍ट्राइक, सर्जिकल स्‍ट्राइक, लॉकडाउन… उन्‍होंने न जाने कितने ऐसे मुश्किल फैसले लिए जो राजनीतिक रूप से किसी के लिए भी भारी पड़ सकते थे। हालांकि, उन्‍होंने अपनी बात से लोगों को तैयार किया। इसका 2014 के बाद हुए तमाम चुनावों पर असर दिखा। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का देश में विस्‍तार हुआ। उनकी खुद की लोकप्रियता पर भी कोई आंच नहीं आई।

प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह जहां भी जाते हैं वहीं के हो जाते हैं। उनके भाषणों में पूरब से लेकर पश्चिम और उत्‍तर से लेकर दक्षिण तक के उदाहरण होते हैं। राजस्‍थान जाकर वह राजस्‍थानी हो जाते हैं तो बिहार जाकर बिहारी। उन्‍होंने हर सीमा तोड़ी है। यही बात तब भी लागू होती है जब वह विदेश दौरा करते हैं। नेपाल जाकर वह उसकी खूबियों की बात करते हैं तो ब्रिटेन और अमेरिका जाकर भारतीयों के साथ उनकी समानता की। वह इस तरह बोलते हैं मानों पूरा विश्‍व उनका है वो पूरे विश्‍व के हैं। इस बात को ऐसे भी समझा जा सकता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी ने वडोदरा और वाराणसी दोनों लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था। दोनों ही सीटों से उन्हें भारी मतों से सफलता मिली थी। हालांकि, बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी। यह और बात है कि वह गुजरात के हैं और उनकी राजनीतिक जमीन वहीं से बनी है। आज पूरे देश में शायद ही उनके जितना कोई स्‍वीकार्यता नेता है।

अपने पहनाने-उढ़ावे से भी वह बिना कुछ बोले बहुत कुछ बोलते हैं। इनमें भारतीयता और भारतीय होने की झलक साफ दिखती है। बिना कोई विवादित बयान के उनकी हिंदू हृदय सम्राट की छवि आज भी उतनी ही मजबूत है जितनी पहले थी। गंगा मां में डुबकी, काशी में माथे पर चंदन, केदारनाथ में ध्‍यान, किसी भी मंगल कार्य से पहले पूजा-अर्चना, उनकी सोच के बारे में सब कुछ बयां करता है। उनके कार्यकाल में ही हिंदू और हिंदुत्‍व केंद्र में आ गए। उन्‍होंने विरोधियों को भी अपने रास्‍ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया। पीएम मोदी ने साबित किया है कि हिंदू आस्‍था और अस्मिता की अनदेखी करके आज के भारत में राजनीति नहीं की जा सकती है। अपने कार्यकाल में उन्‍होंने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को जमकर बढ़ावा दिया है। उनके समय में ही काशी में भव्‍य मंदिर निर्माण हुआ है। अयोध्‍या में मंदिर निर्माण का काम जारी है।

प्रधानमंत्री के आठ साल के कार्यकाल में मंदिरों के पुनर्निनिर्माण पर खास फोकस रहा है। सिर्फ काशी विश्‍वनाथ कॉरिडोर ही नहीं, कई प्रोजेक्‍ट्स उनके कार्यकाल में शुरू हुए हैं। मोदी ने अगस्‍त में हिंदू रीति-रिवाज से अयोध्‍या में राम मंदिर के पुनर्निर्माण का काम शुरू किया था। चार धाम परियोना, केदारनाथ मंदिर पुनर्उद्धार, सोमनाथ मंदिर कॉम्‍प्‍लेक्‍स कुछ और उदाहरण हैं। उन्‍हें कहने और साबित करने के लिए बोलने की जरूरत नहीं है। उनका ऐक्‍शन बहुत कुछ कहता है।

मोदी ऐक्‍शन में विश्‍वास करते हैं और अपने नेताओं से भी इसी की अपेक्षा करते हैं। बेशक, उनकी नीतियों में हिंदू और हिंदुत्‍व की झलक होती है। लेकिन, ऐसा नहीं है कि उन्‍होंने अन्‍य वर्गों और पंथों को अपने हाल पर छोड़ दिया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्‍व में सरकार ने कई ऐसे पॉलिसी डिसीजन लिए हैं जिनसे हर भारतीय को लाभ हुआ है। वह सबका साथ और सबका विकास की बात करते हैं। उन्‍होंने देश में तकनीकी विकास को जमकर बढ़ावा दिया है। इसका फायदा सभी को मिला है। सरकार का योजनाओं को समय से खत्‍म करने पर खास जोर रहा है। वह अपने सांसदों को खूब समय देते हैं। उन्‍हें फालतू बयानबाजी के बजाय काम पर फोकस करने के लिए कहते हैं। उनके परफॉर्मेंस के आधार पर ही उन्‍हें काम सौंपा जाता है।

Disclaimer:

Mojo Patrakar may publish content sourced from external third-party providers. While we make every reasonable effort to verify the accuracy, reliability, and completeness of this information, Mojo Patrakar does not guarantee or endorse the views, opinions, conclusions, or authenticity of content provided by these third-party entities. Such content is presented solely for informational purposes, and it is not intended to substitute professional advice or to serve as a comprehensive basis for decision-making.

Mojo Patrakar expressly disclaims any liability for errors, omissions, or inaccuracies that may arise from third-party content, as well as any reliance readers may place upon it. Users are strongly encouraged to conduct independent verification and consult with qualified professionals as necessary before making any decisions based on information obtained through Mojo Patrakar.

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments