आज आप आपको बिलकिस बानो, जिनके साथ 2002 में बलात्कार हुआ उनके बारे में बताने जा रहे हैं! 27 फरवरी 2002, आयोध्या से गुजरात आ रही कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस को गोधरा के पास आग के हवाले कर दिया गया। 59 लोगों की जलकर दर्दनाक मौत हो गई थी। पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। गुजरात सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में था। इसकी शिकार बिलकिस बानो भी हुईं।दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलकिस बानो का परिवार खौफ में था। बिलकिस की ननद ने 12 घंटे पहले एक बच्ची को जन्म दिया था। घर में खुशियां थीं लेकिन गुजरात में जो हो रहा था, उसे लेकर वे डरे थे। 5 महीने की गर्भवती बिलकिस ने परिवार के 15 लोगों के साथ गांव और गुजरात छोड़ने का फैसला किया लेकिन उनके परिवार को नहीं पता था कि अब जो होने वाला है वह उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।
3 मार्च 2002 बिलकिस बानो और उनका परिवार जान बचाते हुए छप्परवाड़ गांव पहुंचा। उपद्रवी भीड़ को आता देखकर परिवार के साथ जान बचाने के लिए खेतों में छिप गया लेकिन भीड़ ने उन्हें देख लिया। बिलकिस के परिवार पर सब टूट पड़े। चार्जशीट में पुलिस ने बताया था कि लगभग 30 से 40 लोगों ने बिलकिस के परिवार पर हमला बोला और उनकी हत्या कर दी।
बिलकिस बानो के समेत उनके परिवार की 4 महिलाओं के साथ रेप किया गया। दंगाइयों ने उनके परिवार के सात लोगों की निर्मम हत्या कर दी। परिवार के जो लोग छिपे थे वे अपने मुंह से आह भी नहीं निकाल सके, क्योंकि उन्हें डर था कि दंगाइयों की नजर पड़ी तो उन्हें भी नहीं छोड़ेंगे। रेप के बाद महिलाओं पर वार किए गए। 12 घंटे पहले जन्मी बच्ची से लेकर बिलकिस की तीन वर्षीय मासूम बेटी को भी आंखों के सामने ही मार डाला।
दंगाइयों ने बिलकिस और महिलाओं के साथ ऐसी हैवानियत की, जो सुनकर ही दिल दहल जाए। एक के बाद एक शख्स के रेप करने के बाद महिलाएं बेहोश हो गईं लेकिन दंगाइयों की वैहशियत खत्म नहीं हुई। बेहोश शरीर के साथ रेप करते रहे। बिलकिस का शरीर टूट चुका था। पेट में पांच महीने का बच्चा था लेकिन दंगाइयों ने कोई रहम नहीं किया। उसके साथ इतने लोगों ने गैंगरेप किया कि उसे संख्या तक याद नहीं, वह बेहोश हो गई और उसे भी मरा समझकर वे छोड़ गए।
घटना के बाद बिलकिस बानो कई घंटों तक बेहोश पड़ी रहीं। जब उनको होश आया तो शरीर पर कपड़ा नहीं था। आसपास किसी तरह नजर दौड़ाई पर तन ढकने के लिए कुछ नहीं दिखा। बिलकिस किसी तरह दर्द से तड़पते हुए गांव से बाहर निकलीं। एक आदिवासी महिला से कुछ कपड़े मांगकर अपना शरीर ढका और वहां से बाहर आईं। उनकी मुलाकात एक होमगार्ड से। होमगार्ड ने बिलकिस को राहत कैंप पहुंचाया।
बिलकिस लिमखेड़ा थाने पहुंचीं। उन्होंने पुलिस से अपने और अपने परिवार के साथ हुई हैवानियत बयां की। वहां मौजूद कॉन्स्टेबल सोमाभाई गोरी ने उनकी शिकायत दर्ज की। पुलिस ने यह केस सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया। बिलकिस ने हार नहीं मानी और मानवाधिकार आयोग पहुंची। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और मामले की जांच सीबीआई को दी।सीबीआई ने जांच के बाद अपनी चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया। इनमें 5 पुलिस वाले और 2 डॉक्टर भी शामिल थे। इन सातों लोगों पर दोषियों को बचाने और सबूतों से छेड़खानी करने का आरोप लगा। इधर बिलकिस बानो को जान से मारने की धमकी मिलने लगीं। उन्होंने खौफ से दो साल में 20 बार अपना घर बदला। बिलकिस को केस में गड़बड़ी की आशंका थी। उन्होंने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिलकिस का केस मुंबई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया।
सीबीआई की विशेष अदालत ने जनवरी 2008 में 11 लोगों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।बिलकिस ने हार नहीं मानी और मानवाधिकार आयोग पहुंची। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और मामले की जांच सीबीआई को दी।सीबीआई ने जांच के बाद अपनी चार्जशीट में 18 लोगों को दोषी पाया। इनमें 5 पुलिस वाले और 2 डॉक्टर भी शामिल थे। इन सातों लोगों पर दोषियों को बचाने और सबूतों से छेड़खानी करने का आरोप लगा। इधर बिलकिस बानो को जान से मारने की धमकी मिलने लगीं। उन्होंने खौफ से दो साल में 20 बार अपना घर बदला। बिलकिस को केस में गड़बड़ी की आशंका थी। उन्होंने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिलकिस का केस मुंबई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया। वहीं सात लोगों को सबूत के अभाव में छोड़ दिया गया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये, घर और सरकारी नौकरी देने का आदेश सरकार को दिया।