क्या आपने बेंत के बारे में कभी सुना है? यदि नहीं तो इस आलेख को जरूर पढ़िए! बहुत लोगों को वेत्र नाम पता ही नहीं होगा। वेत्र एक प्रकार की लंबी झाड़ी होती है जिसके तने मजबूत और लचीले होते हैं। हिन्दी में वेत्र को बेंत कहते हैं। बेंत की छड़ी अत्यन्त मजबूत होती है। आयुर्वेद के अनुसार, बेंत की छड़ी तथा फर्नीचर बनाई जाती है। इसके अलावा भी बेंत के कई फायदे हैं। क्या आपको पता है कि एसिडिटी, डायबिटीज, पित्त दोष, कफ विकार आदि में बेंत के फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, पेट में कीड़े होने पर, ल्यूकोरिया, पेशाब संबंधित रोगों में भी बेंत से लाभ मिलता है।इसके अलावा बेंत अवसाद (डिप्रेशन) को दूर करने में मदद करता है। बेंत के और भी अनेक औषधीय गुण हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे। चलिये जानते हैं कि आप बेंत से और क्या-क्या फायदे ले सकते हैं।
बेंत की लता कांटेदार और कोमल झाड़ी जैसी होती है। इसका तना अत्यधिक पतला, कोमल, नलिकाकार, लघु चपटे, कांटों से भरा होता है। तने की छाल अत्यन्त मजबूत होती है। इसके पत्ते 45-90 सेमी लम्बे, बांस के जैसे होते हैं। पत्ते तीखे, नोंकदार, समानान्तर शिरा वाले तथा कांटेदार होते हैं। अंकुरयुक्त फूल के भीतर छोटे-छोटे नर एवं मादा फूल होते हैं। इसके फल लगभग गोलाकार, 13 मिमी तक लम्बे, पतले कवच से युक्त, पाण्डुर पीले रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फरवरी से मई तक होता है।मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। बेंत की जड़ को पीसकर चावल के धोवन के साथ पिलाने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।
अक्सर खान-पान की गड़बड़ी या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण मूत्राशय में पथरी की शिकायत होती है लेकिन बेंत का सही तरह से सेवन करने से लाभ होता है। बेंत का क्षार बनाकर 500 मिग्रा क्षार में शहद मिलाकर सेवन करने से मूत्राश्मरी में चूर्ण होकर अश्मरी या पथरी निकल जाती है तथा यह मूत्रल होता है।
अगर किसी भी तरह डायबिटीज को नियंत्रण नहीं पर पा रहे हैं तो बेंत का सेवन लाभ दो सकता है। पत्ते के रस को पीने से जलन कम होता है तथा प्रमेह या डायबिटीज से आराम मिलता है।महिलाओं को अक्सर योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या होती है। सफेद पानी का स्राव अत्यधिक होने पर कमजोरी भी हो जाती है। बेंत के कोमल डंठलों तथा जड़ को काटकर सुखाकर काढ़ा बनाकर पीने से प्रमेह तथा प्रदर में लाभ होता है।
अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के कारण वैजाइना लूज हो गया है तो बेंत का घरेलू उपाय इस्तेमाल करने से फायदेमंद साबित होता है। बेंत की जड़ को कुट कर 10 ग्राम चूर्ण को 100 मिली जल में मिलाकर मन्द आंच पर पकाकर काढ़ा बनाकर, छानकर योनि को धोने से योनि शैथिल्य (लूज वैजाइना) में लाभ मिलता है।
आजकल के तनाव भरे जिंदगी में डिप्रेशन होना आम बात हो गया है लेकिन वेत्र का घरेलू इलाज बहुत फायदेमंद होता है। बेंत के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से अवसाद में लाभ होता है।वेत्र का औषधिपरक गुण बुखार के लक्षणों से आराम दिलाने में लाभकारी होता है। बेंत के जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाने से जीर्ण ज्वर का कष्ट कम होता है।बेंत के पञ्चाङ्ग का काढ़ा बनाकर पीने से आमदोष (पाचन की कमजोरी के कारण जब खाना हजम नहीं होता तो उससे बने विषैले तत्व को आमदोष कहते हैं) से राहत मिलती है।
अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो बेंत के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। बेंत की कोमल शाखाओं का साग बनाकर बिना नमक मिलाए सेवन करने से सूजन कम होता है।बेंत के जड़ के साथ समान भाग में कूठ की जड़ मिलाकर कुट कर काढ़ा बनाकर पिलाने से कुत्ते के विष का असर कम होता है।
बीमारी के लिए वेत्र के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए वेत्र का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 25-50 मिली काढ़े का सेवन करना चाहिए।बेंत पित्तशामक व अल्प वातकारक होती है, इसलिए वात वाले रोगियों को बेंत की छड़ी का प्रयोग नहीं करना चाहिे। ऐसे लोग तुम्बरू या अन्य वातशामक काठ की छड़ी का प्रयोग कर सकते हैं।