पुत्रजीवक क्या है? जानिए इसके फायदे!

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औषधियां और दवाइयां हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक होती है! पुत्रजीवक नाम सुनने पुत्र संतान प्राप्ति जैसी ही बात दिमाग में आती है। यह सच भी है क्योंकि पुत्रजीवक का प्रयोग महिलाओं के लिए बांझपन दूर करने के लिए औषधि के रुप में किया है। ये माना जाता है कि इससे गर्भाशय मजबूत होता है और संतानोत्पत्ती करने की क्षमता बढ़ती है। यहां तक कि ये पुरूषों के नपुसंकता में भी फायदेमंद होता है। ये महिला और पुरूष दोनों के यौन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ कई और बीमारियों से राहत दिलाने में भी मदद करता है। पुत्रजीवक के बीज का एन्टीऑक्सिडेंट और एन्टी इंफ्लैमटोरी गुण आयुर्वेद में कई तरह के बीमारियों से लड़ने में  मदद करता है। इनके बारे में विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़ते है।पुत्रजीवक अपने नाम की तरह ही संतान के प्राप्ति के लिए औषधि के रुप में काम करता है। संतान प्राप्ति के लिए महिलायें रूद्राक्ष की तरह इसके बीजों की माला गले में धारण करते हैं। इसके बीजों को तागे में गूंथकर पुत्र प्राप्ति के लिए स्त्रियां गले में पहनती हैं तथा बच्चों के गले में भी पहनाती हैं जिससे वे स्वस्थ बने रहें। इसके बीज, पत्ता या जड़ को दूध के साथ सेवन करने से मृतवत्सा (जिसके बालक मर जाते हैं) को पुत्र की प्राप्ति होती है और वह दीर्घायु होता है।

यह 12-15 मी ऊँचा, छोटे से मध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है। इसके फल गोल-नुकीले, अण्डाकार होते हैं। बीज बेर की गुठली के जैसे कड़े, झुर्रीदार तथा 5 मिमी व्यास (डाइमीटर) के होते हैं।

प्राचीन युग से पुत्रजीवक का प्रयोग आयुर्वेद में प्रजनन संबंधी रोगों के लिए औषधि के रूप में किया जाता रहा है। पितौजिया मधुर, कड़वा, रूखा और ठंडे तासीर का होता है। यह कफवात दूर करने में भी मदद करता है।

इसके फल वेदनाशामक होते हैं। इसके बीज के सेवन से कमजोरी और सूजन कम होने के साथ-साथ शरीर के मल-मूत्र निकालने में भी मदद करते हैं। यहां तक कि पुत्रजीवक के पत्ते काम शक्ति बढ़ाने में भी मदद करते हैं।पुत्रजीवक के गुणों के आधार पर आयुर्वेद में पुत्रजीवक को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। विशेष रुप से   पुरुष और महिला दोनों के यौन संबंधी समस्या और प्रजनन संबंधी समस्या के लिए उपचार स्वरूप इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा और भी किन बीमारियों के लिए ये फायदेमंद है चलिये इसके बारे में जानते हैं।

सर्दी-खांसी के कारण छाती में जो कफ जम जाता है उसको निकालने में पुत्रजीवक काम करता है। पुत्रजीवक के रस को थोड़ा गर्म करके (5 मिली) में हींग डालकर पीने से छाती की जकड़न दूर होती है। इससे छाती से कफ निकल जाता है और राहत मिलती है।

कभी-कभी किसी बीमारी के कारण बार-बार प्यास लगने का एहसास होता है। पुत्रजीवक के पत्ते एवं बीज का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से प्रतिश्याय या तृष्णा (प्यास) में लाभ होता है।

हाथीपांव के इलाज में पुत्रजीवक का सेवन करना फायदेमंद होता है।    5-10 मिली पुत्रजीवक के रस का सेवन करने से हाथी पांव रोग के परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।पुत्रजीवक फल मज्जा को पीसकर लेप करने से दर्द वाला फोड़ा-फून्सी कम होता है। इसके अलावा पुत्रजीवक की छाल को पीसकर लेप करने से फोड़े-फून्सी मिटते हैं।

मौसम बदला कि नहीं बुखार के तकलीफ से सब परेशान हो जाते हैं। बुखार के लक्षणों से राहत पाने के लिए10-20 मिली पुत्रजीवक पत्ते के काढ़े का सेवन करने से ज्वर में लाभ होता है! कई बार बिच्छु या साँप के काटने पर उसके जहर के असर को कम करने में पुत्रजीवक असरदार रुप से काम करता है। पुत्रजीवक का सेवन इस तरह से करने पर विष का प्रभाव कुछ हद तक कम होता है। 1-2 ग्राम पुत्रजीवक फल मज्जा को नींबू के रस में पीसकर पीने से विष के असर करने का गति कम होता है।

हर बीमारी के लिए पुत्रजीवक का सेवन और इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इसके बारे में पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए पुत्रजीवक का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर ले!

आयुर्वेद के अनुसार गर्भाशय की कमजोरी बार बार होने वाले गर्भपात का मुख्य कारण है। ऐसे मामलों में, गर्भाशय गर्भधारण जारी रखने में असमर्थ होता है। ऐसे मामलों के लिए पुत्रजीवक बीज सर्वश्रेष्ठ हैं। यह एक गर्भाशय टॉनिक के रूप में कार्य करते हैं, गर्भाशय की लाइनिंग्स को ताकत प्रदान करते हैं, यह गर्भाशय को गर्भावस्था को जारी रखने में सक्षम बनाते हैं, गर्भपात को रोकते हैं और एक स्वस्थ बच्चे को प्राप्त करने में मदद करते हैं। पुत्रजीवक बीज पाउडर 200 ग्राम, अश्वगंधा पाउडर 200 ग्राम और मिश्री पाउडर 200 ग्राम को मिक्स कर लें। लगभग 4 से 5 ग्राम पाउडर को दिन में दो बार गुनगुने दूध के साथ लें। इसका सेवन आप खाली पेट, खाने से एक घंटे या भोजन के 3 घंटे बाद कर सकते हैं। इसके अलावा पुत्रजीवक की जड़ को दूध में घिसकर पीने से गर्भ ठहरने के आसार बढ़ते हैं।पुत्रजीवक उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार करते हैं। यह उन रोगियों के लिए सबसे उपयुक्त है जिनको वात या पित्त दोष में उत्तेजना होती है और कफ दोष वाले लोगों के लिए यह कम उपयुक्त है। दोषों और इसके संकेतों के अनुसार समझदारी से उपयोग किए जाने पर पुत्रजीवक का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

विषाक्तता, एलर्जी प्रतिक्रियाओं को लेकर अभी तक इसकी कोई शिकायत नहीं मिली है।

पुत्रीजीवक संभवत: गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान उपभोग करने के लिए सुरक्षित है। बांझपन के उपचार के लिए लेते समय अभी तक इसके कोई नुकसान सामने नहीं आए हैं।