वायु सेना प्रमुख ने एयर डिफेंस कमांड का विरोध किया है! वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने अलग एयर डिफेंस कमान बनाने का विरोध किया है। उनका मानना है कि इससे फायदे के बदले नुकसान होगा। सरकार तीनों सेनाओं (थल सेना, वायुसेना, नौसेना) की क्षमताओं को इंटीग्रेट करने के लिए छह थियेटर कमान बना रही है। इनमें एयर डिफेंस कमांड और मेरिटाइम थियेटर कमांड शामिल हैं। पहले फेज में इन्हें बनाया जा रहा है। इसे देखते हुए वायुसेना प्रमुख का बयान काफी महत्वपूर्ण है। वी.आर. चौधरी की राय है कि सिर्फ एक कमान -इंडियन कमांड – होनी चाहिए। आइए, यहां जानते हैं कि एयर डिफेंस कमांड क्या है और वी.आर. चौधरी ने इसका विरोध क्यों किया है।
एयर डिफेंस कमांड क्या है?
भारतीय सशस्त्र बल के एकीकृत ट्राई-सर्विसेज कमांड के तहत एयर डिफेंस कमांड का प्रस्ताव किया गया है। इस कमान की अगुआई भारतीय वायुसेना के अधिकारी करेंगे। इस कमान की जिम्मेदारी सेना में एयर डिफेंस से जुड़े ऑपरेशंस की होगी। एकीकृत मिलेट्री कमांड बनाने का प्रस्ताव सबसे पहले जनवरी 2020 में रखा गया था। पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तौर पर पदभार संभालते ही बिपिन रावत ने इसकी जरूरत बताई थी।एयर डिफेंस कमांड भविष्य में थियेटर कमांड बनाने की दिशा में उठाया जाने वाला कदम है। हालांकि, थियेटर कमानों पर तीनों रक्षा सेवाओं में कभी आम राय नहीं बन सकी। भारतीय वायुसेना खासतौर से इस कदम का विरोध करती रही है। थियेटर कमान बनाने के पीछे मंशा आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के सभी एसेट्स को एकसाथ मोबलाइल करने की है। इसके तहत एयरफोर्स के एसेट्स को अन्य थियेटर में विभाजित किया जाएगा।
इस तरह प्रस्तावित एयर डिफेंस कमांड तीनों सेवाओं के वायु रक्षा संसाधनों को नियंत्रित करेगी। साथ ही महत्वपूर्ण संपत्तियों को हवाई खतरों से बचाने के लिए जिम्मेदार होगी। इसका नेतृत्व वायुसेना के तीन सितारा अधिकारी करेंगे। यह कमान प्रयागराज में स्थित होगी। थिएटर कमांड बनाने में देशभर में फैले 17 मौजूदा सिंगल-सर्विस कमांड को मर्ज करना शामिल होगा। इस कदम से वायुसेना को अपनी हवाई संपत्तियों के विभाजन से चिंता है।
प्रमुख ने क्या तर्क दिया?
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने कहा है कि अलग एयर डिफेंस कमांड बनाने से फायदे के बदले नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा है कि देश की वायु शक्ति के सभी एलीमेंट्स को मिलकर समन्वय के साथ काम करने की जरूरत है। इसी से भविष्य की अलग-अलग सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा। वायु सेना प्रमुख चौधरी ने यह भी कहा है कि अलग हवाई रक्षा प्रणालियों की भविष्य के युद्धों में उस समय तक बहुत प्रासंगिकता नहीं होगी जब तक कि वे किसी बड़ी एकीकृत हवाई रक्षा प्रणाली का हिस्सा नहीं हों।
चौधरी ने कहा कि एक ही एयरस्पेस में बहुत करीबी कॉर्डिनेशन की जरूरत होती है। इसके लिए किसी भी हवाई क्षेत्र के अंदर सभी तत्वों के बीच करीबी समन्वय जरूरी है। एयर डिफेंस (एडी) कमान की स्थापना नुकसानदेह साबित हो सकती है। कारण है कि एयर डिफेंस ऑपरेशन जवाबी यानी ऑफेंसिव ऑपरेशन से जुड़े होते हैं।एयर चीफ मार्शल के मुताबिक, एयर डिफेंस और युद्धक मिशन आपस में करीबी रूप से जुड़े हुए हैं। अगर उन्हें अलग-अलग कर दिया जाए तो ये न केवल असंबद्ध हो जाएंगगे, बल्कि संयुक्त रणनीति के कार्यान्वयन में भी अप्रभावी हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि आधुनिक 4.5 और पांचवीं पीढ़ी के विमानों की क्षमता व्यापक है। उन विमानों को किसी एक भूमिका तक सीमित कर देने से उनका अपेक्षित उपयोग नहीं हो पाएगा।
देश की वायु शक्ति के सभी एलीमेंट्स को मिलकर समन्वय के साथ काम करने की जरूरत है। इसी से भविष्य की अलग-अलग सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा। वायु सेना प्रमुख चौधरी ने यह भी कहा है कि अलग हवाई रक्षा प्रणालियों की भविष्य के युद्धों में उस समय तक बहुत प्रासंगिकता नहीं होगी जब तक कि वे किसी बड़ी एकीकृत हवाई रक्षा प्रणाली का हिस्सा नहीं हों।
चौधरी ने कहा कि एक ही एयरस्पेस में बहुत करीबी कॉर्डिनेशन की जरूरत होती है। इसके लिए किसी भी हवाई क्षेत्र के अंदर सभी तत्वों के बीच करीबी समन्वय जरूरी है। एयर डिफेंस (एडी) कमान की स्थापना नुकसानदेह साबित हो सकती है। कारण है कि एयर डिफेंस ऑपरेशन जवाबी यानी ऑफेंसिव ऑपरेशन से जुड़े होते हैं।एयर चीफ मार्शल के मुताबिक, एयर डिफेंस और युद्धक मिशन आपस में करीबी रूप से जुड़े हुए हैं। अगर उन्हें अलग-अलग कर दिया जाए तो ये न केवल असंबद्ध हो जाएंगगे, बल्कि संयुक्त रणनीति के कार्यान्वयन में भी अप्रभावी हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि आधुनिक 4.5 और पांचवीं पीढ़ी के विमानों की क्षमता व्यापक है। उन विमानों को किसी एक भूमिका तक सीमित कर देने से उनका अपेक्षित उपयोग नहीं हो पाएगा।