अपामार्ग एक प्रकार का पौधा होता है जिसका प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है! अपामार्ग एक बहुत ही साधारण पौधा है। आपने अपने घर के आस-पास, जंगल-झाड़ या अन्य स्थानों पर अपामार्ग का पौधा को देखा होगा, लेकिन इसे नाम से नहीं जानते होंगे। अपामार्ग की पहचान नहीं होने के कारण प्रायः लोग इस पौधे को बेकार ही समझा करते हैं। इसलिए यह भी नहीं जानते है कि अपामार्ग के फायदे क्या-क्या होते हैं या अपामार्ग का इस्तेमाल भी किया जाता है।
अपामार्ग के फायदे?
अपामार्ग एक बहुत ही गुणी औषधि है जिसका बरसों से आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। अपामार्ग के उपयोग से विकारों को ठीक किया जाता है, बीमारियों की रोकथाम की जाती है। आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं। इसलिए आपके लिए यह जानकारी बहुत ही जरूरी है क्योंकि अपामार्ग का पौधा हर जगह मिल जाता है और जानकारियां होने से आप कई रोगों में इससे लाभ ले सकते हैं।
अपामार्ग एक जड़ी-बूटी है। बारिश की शुरुाती मौसम से ही अपामार्ग का पौधा अंकुरित होने लगते हैं। ठंड के मौसम में फलते-फूलते हैं और गर्मी के मौसम में पूरी तरह बड़े हो जाते हैं और इसी मौसम में फलों के साथ पौधा भी सूख जाता है। इसके फूल हरी गुलाबी कलियों से युक्त तथा बीज चावल जैसे होते हैं। जिन्हें अपामार्ग तंडुल कहते हैं। इसके पत्ते बहुत ही छोटे और सफेद रोमों से ढके होते हैं। ये अण्डाकार एवं कुछ नुकीले से होते हैं।
मुख्यतः अपामार्ग की दो प्रजातियां होती है। जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
सफेद अपामार्ग
लाल अपामार्ग
सफेद और लाल दोनों प्रकार के अपामार्ग की मंजरियां पत्तों के डण्ठलों के बीच से निकलती हैं। ये लंबे, कर्कश, कंटीली सी होती है। इनमें ही सूक्ष्म और कांटे-युक्त बीज होते हैं। ये बीज हल्के काले रंग के छोटे चावल के दाने जैसे और स्वाद में कुछ तीखे होते हैं। फूल छोटे, कुछ लाल हरे या बैंगनी रंग के होते हैं।
लाल अपामार्ग की डण्डियां तथा मञ्जरियां कुछ लाल रंग की तथा पत्तों पर लाल-लाल सूक्ष्म दाग होते हैं।
अपामार्ग के क्या है गुण?
अपामार्ग के 2-3 पत्तों के रस में रूई को डुबाकर फोया बना लें। इसे दांतों में लगाने से दांत का दर्द ठीक हो जाता है।अपामार्ग के गुण की ताजी जड़ से रोजाना दातून करने से दांत के दर्द तो ठीक होते ही हैं साथ ही दाँतों का हिलना, मसूड़ों की कमजोरी और मुंह से बदबू आने की परेशानी भी ठीक होती है। इस दातून के प्रयोग से दांत अच्छी तरह साफ हो जाते हैं।जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) के रहने वाले प्रसिद्ध स्वामी अपरोक्षानन्द की 85 वर्ष माता जी हमेशा अपामार्ग के तने का दातुन करती थीं। दातुन का प्रयोग करने वाले बहुत से लोगों के वृद्धावस्था में भी दांतों की मजबूती बनी रहती है। जब अपामार्ग ताजा नहीं मिलता है तो सूखी हुई अपामार्ग कांड को पानी में भिगोकर दातुन कर सकते हैं।इसके पत्तों को पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी आदि चर्म रोग तथा गांठ के रोग भी ठीक होते हैं।
अपामार्ग के गुण मुँह संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है। इसके लिए अपामार्ग के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक या मुंह के छाले की परेशानी ठीक होती है।
भस्मक रोग बहुत अधिक भूख लगने की बीमारी को कहते हैं। इसमें खाया हुआ अन्न भस्म हो जाता है और शरीर एक जैसा ही रहता है। अपामार्ग के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम दिन में दो बार लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें। इससे या अपामार्ग के 5-10 ग्राम बीजों को पीसकर खीर बनाकर खिला देने से भस्मक रोग अथवा अधिक भूख लगने की समस्या ठीक होती है। इसके बीजों को खाने से अधिक भूख लगना बन्द हो जाती है।
अपामार्ग के बीजों को कूट छानक, महीन चूर्ण करें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। इसे 3-6 ग्राम तक सुबह-शाम जल के साथ प्रयोग करें। इससे भस्मक रोग में लाभ होता है।
2 ग्राम अपामार्ग की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के दर्द ठीक होते हैं, लगभग 125 मिग्रा अपामार्ग क्षार में मधु मिलाएं। इसे सुबह और शाम चटाने से बच्चों की श्वास नली तथा वक्ष स्थल में जमा कफ दूर होता है। बच्चों की खांसी ठीक होती है।
खांसी बार-बार परेशान करती हो और कफ निकलने में कष्ट हो साथ ही कफ गाढ़ा हो गया हो तो अपामार्ग का इस्तेमाल अच्छा परिणाम देता है। इस अवस्था में या न्यूमोनिया की अवस्था में 125-250 मिग्रा अपामार्ग क्षार और 125-250 मिग्रा चीनी को 50 मिली गुनगुने जल में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से 7 दिन में लाभ हो जाता है।
6 मिली अपामार्ग की जड़ का चूर्ण और 7 काली मिर्च चूर्ण को मिलाएं। सुबह-शाम ताजे जल के साथ सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
अपामार्ग पञ्चाङ्ग की भस्म बनाएं। 500 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से कुक्कुर खांसी ठीक होती है।
बलगम वाली खासी को ठीक करने के लिए अपामार्ग की की जड़ चमत्कारिक रूप से काम करता है। इसके 8-10 सूखे पत्तों को हुक्के में रखकर पीने से खांसी ठीक हो जाती है।अपामार्ग के 10-20 पत्तों को 5-10 नग काली मिर्च और 5-10 ग्राम लहसुन के साथ पीसकर 5 गोली बना लें। 1-1 गोली लेने से बुखार आने से दो घंटे पहले देने से सर्दी से आने वाला बुखार छूटता है।
20 ग्राम अपामार्ग पञ्चाङ्ग को लेकर 400 मिली पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तब उसमें 500 मिग्रा नौसादर चूर्ण तथा 1 ग्राम काली मिर्च चूर्ण मिलाएं। इसे दिन में 3 बार सेवन करने से पेट के दर्द में राहत मिलती है और पेट की अन्य बीमारी भी ठीक होती है।