आरोग्यवर्धिनी वटी क्या है? जानिए इसके महत्वपूर्ण फायदे!

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हमारे वैदिक शास्त्र में कई पौधों का वर्णन औषधि के रूप में किया गया है! आरोग्य का मतलब होता है जहां रोग या बीमारी ना हो, और वर्धिनी का मतलब है रोग को दूर करे वाला। आरोग्यवर्धिनी वटी का मतलब है, वैसी वटी जो शरीर के रोगों को ठीक करे। आरोग्यवर्धिनी वटी एक औषधि है जिसका सेवन कर कई रोगों में लाभ पाया जा सकता है।

आयुर्वेद में आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं। आप आरोग्यवर्धिनी वटी का इस्तेमाल कर अनेक प्रकार से स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि आरोग्यवर्धिनी वटी के क्या काम हैं?आरोग्यवर्धिनी वटी मोटापा कम करने में लाभदायक होती है। यह चर्बी को कम करने का काम करती है। आप मल त्याग करने संबंधी परेशानी में भी आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग कर सकते हैं।

आरोग्यवर्धिनी वटी में ऐसा रसायन होता है, जो पाचनतंत्र विकारों को ठीक करने में सहायता करता है। यह पुरानी कमजोरी, अपच की परेशानी, लिवर विकार में लाभदायक साबित होती है। यह पाचन शक्ति को ठीक कर धातुओं को संतुलित करती है।

इसके सेवन से त्वचा रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है। ऐसे त्वचा रोग, जिसमें त्वचा से पीव बाहर निकलता है उसमें भी यह वटी बहुत फायदा पहुंचाती है।शरीर के विकास के लिए पोषक ग्रंथियों का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। कई बार अनेक विकारों के कारण शरीर का उचित विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में आरोग्यवर्धिनी वटी के प्रयोग से लाभ मिलता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि, जब आप आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कर रहे हों, तो दवा के सेवन के दौरान केवल दूध का ही सेवन करें।आरोग्यवर्धिनी वटी पेशाब से संबंधित बीमारी में भी लाभ पहुंचाती है। यह मूत्र मार्ग की सूजन को कम करने में सहायता है।

यह वटी बड़ी आंत तथा छोटी आंत से संबंधित विकार को ठीक करने में मदद करती है।रक्त विकार के कारण शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इसके कारण खुजली और एक्जिमा होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में आरोग्यवद्धिनी वटी को महामंजिष्ठादि अर्क के साथ, या नीम की छाल के काढ़ा के साथ प्रयोग करें। इससे विशेष लाभ होता है।आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से शरीर के किसी भी अंग जैसे- लिवर, तिल्ली (प्लीहा), गर्भाशय, आंत, ह्रदय आदि में होने वाली सूजन, पुराना बुखार, जलोदर, और एनीमिया में बहुत लाभ मिलता है।

शरीर में सूजन, एवं जलोदर जैसे रोग में केवल गाय के दूध का सेवन के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए।

अगर लिवर बढ़ने के कारण दर्द हो रहा हो, तो पुनर्नवाष्टक काढ़ा में रोहेड़ा की छाल, और शरपुंखामूल 1-1 भाग अधिक मिलाकर पीने से फायदा होता है।

औदुम्बर कुष्ठ में शरीर की त्वचा खराब, और रूखी हो जाती है। इसमें त्वचा की संवेदनशीलता खत्म हो जाती है, और शरीर सुन्नपन पड़ जाता है। पसीना अधिक निकलता है। ऐसे में आरोग्यवर्धिनी वटी को गन्धक रसायन के साथ प्रयोग करना चाहिए। यह कुष्ठ रोग की यह चमत्कारिक दवा है जिसे कुष्ठ रोग के साथ-साथ त्वचा रोगों में यह लाभ मिलता है।आरोग्यवर्धिनी वटी ह्रदय से संबंधित दर्द की बीमारी में भी बहुत लाभ पहुंचाती है। इस रोग में आरोग्यवर्धिनी के साथ डिजिटेलिस के पत्ते का चूर्ण एक रत्ती, और जंगली प्याज का चूर्ण 1-2 रत्ती मिलाएं। इसे पुनर्नवादि या दशमूल काढ़ा के साथ प्रयोग करें। इससे ह्रदय रोग ठीक होता है।आरोग्यवर्धिनी वटी का इस्तेमाल इस तरह करना चाहिएः-इसे मुंह में रख कर चूसना चाहिए।आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन इतनी मात्रा में करनी चाहिएः-आरोग्यवर्धिनी वटी की मात्रा– 250-500 मिली ग्राम, यह वटी बड़ी आंत तथा छोटी आंत से संबंधित विकार को ठीक करने में मदद करती है।रक्त विकार के कारण शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं। इसके कारण खुजली और एक्जिमा होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में आरोग्यवद्धिनी वटी को महामंजिष्ठादि अर्क के साथ, या नीम की छाल के काढ़ा के साथ प्रयोग करें। इससे विशेष लाभ होता है।आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से शरीर के किसी भी अंग जैसे- लिवर, तिल्ली (प्लीहा), गर्भाशय, आंत, ह्रदय आदि में होने वाली सूजन, पुराना बुखार, जलोदर, और एनीमिया में बहुत लाभ मिलता है।

शरीर में सूजन, एवं जलोदर जैसे रोग में केवल गाय के दूध का सेवन के साथ इसका प्रयोग करना चाहिए।

इसके सेवन से त्वचा रोगों में शीघ्र लाभ मिलता है। ऐसे त्वचा रोग, जिसमें त्वचा से पीव बाहर निकलता है उसमें भी यह वटी बहुत फायदा पहुंचाती है।शरीर के विकास के लिए पोषक ग्रंथियों का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। कई बार अनेक विकारों के कारण शरीर का उचित विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में आरोग्यवर्धिनी वटी के प्रयोग से लाभ मिलता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि, जब आप आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन कर रहे हों, तो दवा के सेवन के दौरान केवल दूध का ही सेवन करें।आरोग्यवर्धिनी वटी पेशाब से संबंधित बीमारी में भी लाभ पहुंचाती है। यह मूत्र मार्ग की सूजन को कम करने में सहायता है।